जैमिनी ज्योतिष में राशियों पर ग्रहों की दृष्टि को काफी महत्वपूर्ण माना गया है. इस ज्योतिष विधि में कहा गया है कि किसी व्यक्ति के भविष्य कथन में ग्रहों की दृष्टि को महत्वपूर्ण कारक के रूप में देखना चाहिए. जैमिनी ज्योतिष में राशियों को तीन भागों में बांटा गया है जिन्हें चर, स्थिर और द्विस्वभाव राशि के रूप में नामित किया गया है. राशियों की दृष्टि के विषय में यह कहा जाता है कि चर राशि स्थिर राशि पर दृष्टि डालती है लेकिन, अपने दोनों तरफ की राशियों को नहीं देखती है. इसी तरह स्थिर राशि की दृष्टि चर राशि पर होती है लेकिन वह अपने दोनों तरफ की राशियों को नहीं देखती हैं.

राशियों की दृष्टियां | Aspect of Signs

जैमिनी ज्योतिष में कहा गया है कि मेष की दृष्टि कुम्भ, सिंह एवं वृश्चिक राशि पर होती है. वृष की कर्क, तुला और मकर पर दृष्टि होती है. मिथुन की दृष्टि धनु, मीन और कन्या पर होती है. कर्क राशि वृश्चिक, कुम्भ एवं वृष राशि को देखती है. सिंह राशि की दृष्टि तुला, मकर एवं मेष राशि पर होती है. कन्या राशि अपनी दृष्टि से धनु, मीन एवं मिथुन राशि को देखती है. तुला राशि कुम्भ, वृष एवं सिंह पर अपनी दृष्टि रखती है. वृश्चिक राशि की दृष्टि मकर, मेष व कर्क पर होती है. मीन राशि, मिथुन एवं कन्या राशि पर धनु की दृष्टि होती है. वृष, सिंह एवं वृश्चिक राशि को मकर देखता है. कुम्भ की दृष्टि मेष, कर्क और तुला पर होती है. मीन राशि की दृष्टि मिथुन, कन्या और धनु पर रहती है.

राशियों की दृष्टि के प्रकार | Types of Aspects of Signs

चर राशि अपने स्थान से पंचम, अष्टम एवं एकादश भाव को देखते हैं. स्थिर राशि की दृष्टि तृतीय, षष्टम एवं नवम भाव पर होती है. जबकि द्विस्वभाव राशियों की दृष्टि अपने स्थान से चतुर्थ, सप्तम एवं दसम घर पर होती है. राशियों की दृष्टि को डिग्री के आधार पर देखें तो ज्ञात होता है कि-

  • चर राशि अपने स्थान से 120 डिग्री, 210 डिग्री और 300 डिग्री देखती है.
  • स्थिर राशि अपने स्थान से 60 डिग्री, 150 डिग्री और 240 डिग्री देखती है.
  • द्विस्वभाव राशि अपने स्थान से 90 डिग्री, 180 डिग्री और 270 डिग्री देखती है.

राशियों की दृष्टि प्रभाव | Effects of Aspects of Signs

जैमिनी ज्योतिष में चर राशियाँ, स्थिर राशियों पर दृष्टि डालती है और स्थिर राशियाँ, चर राशियों पर दृष्टि डालती हैं. दोनो राशियाँ अपनी समीपवर्ती राशि पर दृष्टि नहीं डालती. जैसे मेष राशि की दृष्टि अपनी निकटतम राशि वृष पर नहीं मानी जाती. वह केवल 4,7,10 पर दृष्टिपात करती है. इस प्रकार कर्क राशि की दृष्टि सिंह राशि पर नहीं मानी जाती है और सिंह की दृष्टि कर्क पर नहीं मानी जाती है. बाकी राशियों की दृष्टि की गणना भी इसी प्रकार की जाती है.

जैमिनी में अनेकों राजयोगों का निर्माण राशियों एवं ग्रहों की दृष्टियों द्वारा संपन्न होता है. जैसे यदि कुण्डली में आत्मकारक तथा अमात्यकारक एक साथ किसी भाव में स्थित हों या दोनों की आपस में परस्पर दृष्टि हो तो यह जैमिनी का राजयोग होता है.  इसके अतिरिक्त कुण्डली में जब चन्द्रमा तथा शुक्र एक साथ स्थित हों अथवा परस्पर एक-दूसरे को देख रहें हैं तब यह उत्तम राजयोग माना जाता है.