विभिन्न ग्रहों के रत्न | Gemstones for Different Planets

सूर्य - माणिक्य, चन्द्र - मोती, मंगल - मूँगा, बुध - पन्ना, बृहस्पति - पुखराज, शुक्र - हीरा, शनि - नीलम, राहु - गोमेद, केतु - लहसुनिया.

विभिन्न ग्रहों के उपरत्न | Substitute Gems For Different Planets

सूर्य - रक्ताश्म, लाल रक्तमणि, स्टार रुबी, चन्द्र - मून स्टोन, मंगल - रात-रतुवा (कार्नेलियन), बुध -जेड( हरिताश्म), फिरोजा, गुरु - सुनहला, शुक्र - ओपल, जर्कन, शनि - नीली, कटैला(एमेथिस्ट), राहु - अम्बर, तुरसावा, केतु - मार्का, एलेग्जण्ड्राइट.

ग्रहों से संबंधित धातुएँ | Metals for Different Planets

सूर्य - सोना, चन्द्र - चाँदी, मंगल - ताँबा, बुध - कांसा, गुरु - सोना, शुक्र - चाँदी, शनि - लोहा, राहु/केतु - सीसा

माणिक्य को सूर्य के लिए पहना जाता है. चन्द्रमा को बल देने के लिए मोती पहनते हैं. मूँगा रत्न मंगल की निर्बलता को दूर करने के लिए पहना जाता है. यदि बुध कुण्डली में शुभ फल नहीं दे रहे हैं तब पन्ना धारण कर सकते हैं. गुरु को बली बनाने के लिए आप पुखराज पहनना जाता है. यदि शुक्र के कमजोर होने से परेशानी है तब हीरा पहन सकते हैं. शनि को मजबूत बनाने के लिए नीलम पहनना चाहिए. राहु  के कारण बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है तब गोमेद पहन सकते हैं. यदि केतु से पीड़ित है तब लहसुनिया धारण करना चाहिए.

कई बार व्यक्ति महंगे रत्न खरीदने में असमर्थ होता है तब उनके स्थान उपरत्न पहनने की सलाह दी जाती है. प्राचीन ग्रन्थों में 84 प्रकार के उपरत्नों का जिक्र किया गया है. कई उपरत्नों का अपना स्वतंत्र महत्व भी होता है.

व्यक्ति की आवश्यकता अनुसार उपरत्नों को धारण करने का परामर्श दिया जाता है. कई बार स्वास्थ्य संबंधी बातों में रत्नों के बजाय उपरत्न बहुत ही सफलता से काम करते हैं क्योंकि वह केवल एक ही विषय से संबंधित होते हैं. कई बार संबंधित ग्रह की धातुओं को धारण करने से भी लाभ मिलता है. इन धातुओं का दान करने से भी ग्रह को बल मिलता है.

रत्नों धारण करने से पूर्व सावधानियाँ | Precautions to take before wearing any gemstone

कोई भी रत्न अथवा उपरत्न धारण करने से पूर्व उसकी जाँच आपको अवश्य करनी चाहिए कि यह आपके लिए अनुकूल होगा या प्रतिकूल होगा. आप किसी भी रत्न को धारण करने से पूर्व उसे दो से सात दिन तक अपने पास रखें. आप इसे अपने पर्स में अपने साथ रख सकते हैं या रात में सोते समय अपने बिस्तर के नीचे रख सकते हैं. यदि  इन दिनों में कुछ गलत अनुभव नहीं होता है और रात में चैन की नींद आती है तब रत्न या उपरत्न को विधिपूर्वक धारण कर सकते हैं.

रत्नों को धारण करने से पहले यह देख लें कि उनका कोई किनारा टूटा हुआ तो नहीं है. कई बार इनमें बहुत ही महीन दरार होती है जो इन्हें तराशने पर पड़ जाती है. ऎसे रत्न आपको धारण नहीं करने चाहिए. यदि कोई पहना हुआ रत्न देता है तब उसे बिलकुल भी धारण नहीं करना चाहिए. रत्न व्यक्ति की नकारात्मक बातों को अपने अंदर समा लेता है. इसलिए यदि किसी का उतारा हुआ रत्न धारण करेगें तब अशुभ फलों का सामना करना पड़ सकता है.

रत्नों अथवा उपरत्नों को ज्योतिषीय सलाह के बाद ही धारण करना चाहिए अर्थात ज्योतिषी द्वारा एक विशेष समय रत्न धारण करने का बताया जाता है. उस समय में इस रत्न को बताई विधि अनुसार धारण करें. एक बात का ध्यान हमेशा रखें कि जब भी कोई रत्न या उपरत्न धारण करें उसे शुक्ल पक्ष में धारण करें. रत्न को पंचामृत से स्नान कराएँ और उस रत्न से संबंधित मंत्र का 108 बार जाप करने पर इसे पहनें.