कई बार जन्म कुण्डली में शुभ योग होने पर भी जातक को शुभ फलों की प्राप्ति नही हो पाती. जन्म कुण्डली शुभ होने पर भी जातक के जीवन में कभी तो दशा या गोचर में ग्रहों की स्थिति विषम हो जाती है कि जीवन में उतार चढा़व की स्थिति बनने लगती है और व्यक्ति व्याकुल व बेचैन होने लगता है. ऎसी स्थिति में उचित रुप से कुण्डली के विभिन्न पक्षों पर विचार करना अत्यंत आवश्यक हो जाता है.

शुभ फलदायी दशा | Dasha giving auspicious results

  • शुभ फलदायी दशा में ग्रह जन्म कुण्डली में केन्द्र भाव लाभ या धन भाव में स्थित हों.
  • ग्रह उच्च राशि, स्वराशि या मित्र राशि में हों.
  • ग्रह शुभ ग्रहों से दृष्ट या युक्त हों.
  • ग्रह भाव मध्य में स्थित हों या षडबल में बली हों तो उनकी दशा, अन्तर्दशा, प्रत्यंतर दशा व सूक्षम दशा अच्छा सुख और सम्मान प्रदान करती है.
  • त्रिषाड्य या त्रिक भव में स्थित पाप ग्रह अथवा दुस्थान के स्वामी ग्रह यदि दुस्थान में हों तो भी अपनी दशा या अंतर्दशा में शुभ फल देते हैं.

राहु केतु उत्तम प्रभाव | Auspicious results of Rahu - Ketu

राहु केतु केन्द्र या त्रिकोण में स्थित हों अथवा केन्द्र में स्थित राहु-केतु त्रिकोणाधिपति पंचमेश और नवमेश से दृष्ट या युक्त हों तो अपनी दशा काल में अच्छे फल प्रदान करते हैं.

त्रिकोणेश युक्त दशा | Dasha of the Lord of a triad house

कोई भी ग्रह पंचमेश या नवमेश से युक्त होने पर शुभ ग्रह बन जाता है और अपनी दशा भोग्य काल में अच्छे फल देता है. जातक को बुद्धि और भाग्य का साथ प्राप्त होता है.

धन लाभ दशा | Dasha giving wealth and profits

धन का विचार लग्न या चंद्र से किया जाता है. दूसरे भाव में स्थित कोई भी ग्रह या दूसरे भाव को देखने वाला ग्रह या दूसरे भाव का अधिपति अपने दशा काल में धन संपदा प्रदान करने में सहायक होता है. द्वितीयेश जिस राशि में स्थित हो वह भी यदि शुभ ग्रह दृष्टि से युक्त हो वह अपनी दशा में सम्मान और लाभ की प्राप्ति कराता है.

पाप ग्रह शुभयुक्त होने पर | Dasha of Malefic planets

नैसर्गिक पाप ग्रह यदि पाप भावों में स्थित हों तो अपनी दशा में जातक को भाई बंधुओं का स्नेह प्राप्त होता है, रोग, ऋण का नाश, बाधा व कष्ट दूर होते है. मान सम्मान की प्राप्ति होती है. इसी प्रकार पाप भाव या दुष्ट भाव के स्वामी कहीं भी बैठ कर यदि शुभ ग्रह या शुभ भावों के स्वामी केन्द्र, त्रिकोण, धन या लाभ स्थानों के अधिपतियों से युक्त या दृष्ट हों तो वह अपनी दशा में रोग-शोक से मुक्ति प्रदान करते हैं.

शुभ ग्रह दशा | Dasha of auspicious planets

शुभ ग्रहों के अनुसार पहले उस भाव संबंधि फल देते हैं जिस भाव में यह शुभ ग्रह स्थित हों.

दूसरे मध्य में राशि के गुण धर्मानुसार फल प्रदान करते हैं. तीसरे में जिन ग्रहों से वह दृष्ट हों उन दृष्ट ग्रहों का फल देते हैं. भाव राशि युति एवं ग्रह दृष्टि से फल का यह कालक्रम शुभ ग्रहों के लिए है.

अशुभ ग्रह दशा | Dasha of inauspicious planets

सर्वप्रथम उस राशि से संबंधित फल देगा जिस राशि में यह ग्रह स्थित हैं. उसके बाद उस भाव के कारक तत्व संबंधी फल देगा जिसमें यह पाप ग्रह स्थित हैं. आखिर में विभिन्न ग्रहों की इस दशा भुक्ति स्वामी पर पड़ने वाली दृष्टि युति से फल का क्रम अशुभ ग्रह के लिए जानने का प्रयास किया जाएगा.