जन्म कुण्डली द्वारा जातक के कैरियर के बारे में जानकारी प्राप्त करने में योगों का बहुत योगदान रहता है आज के समय में देश-विदेशों के साथ संपर्क साधना बहुत आसान हो गया है ग्लोबलाईजेशन के इस युग में हवाई जहाजों द्वारा देश विदेश मे आवागमन बढते जाने के कारण विमान चालकों अर्थात पायलट और परिचारिकाओं अर्थात एयर होस्टेस की मांग बहुत बढ़ रही है. युवाओं में भी इस नौकरी का आकर्षण खूब है एक ग्लैमर और रोमांच से जुडा़ यह काम युवाओं को अपनी ओर आकर्षित करने वाला बनता है.

कुण्डली में अनेक प्रकार के ऎसे योग बनते हैं जो पायलट बनने के क्षेत्र में काफी सहयोगी होते हैं जिनके बनने से जातक इस कैरियर को आसानी से अपना सकता है. ज्योतिष के माध्यम से यह जाना जा सकता ही बच्चा इस क्षेत्र में कुछ कर सकता है या नहीं. निचे दिए गए कई प्रकार के योग इस काम के करने में प्रबल सहायक बनते हैं.

  • पायलेट जैसे काम को करने के लिए सर्वप्रथम व्यक्ति में साहस और पराक्रम, बौद्धिकता, खूब होना चाहिए अत: कुण्डली में लग्न, तीसरे भाव, कर्म भाव, अष्टम स्थान और द्वादश भाव की भूमिका तय कि जाती है जिसके आधार पर इस कार्य को करने की योग्यता एवं ग्रह योग का निर्धारण किया जाता है.
  • लग्न, पराक्रम भाव, कर्म भाव और अष्टम भाव को वायु तत्व व आकाश तत्व वाली राशियों से संबंधित होना चाहिए. इसके अतिरिक्त इन भावों में चर रशियां अथवा द्विस्वभाव वाली राशियों का होना अनुकूल माना जाता है.
  • कर्म भाव अर्थात दशम भाव में शुक्र की राशि स्थित हो और इस भाव पर भाग्येश, लग्नेश व लाभेश इत्यादि का किसी भी प्रकार से संबंध बन रहा हो.
  • वायु कारक राहु का चंद्रमा के साथ व्यय भाव में या चतुर्थ भाव में हो या इनसे संबंध बना रहा हो तथा दशमेश शुभ स्थिति में त्रिकोण स्थान में स्थित हो तो व्यक्ति को हवाई यात्राओं से संबंधित काम करने को मिलता है.
  • यदि जन्म कुण्डली के लग्न भाव में चर राशि का राहु स्थित हो तथा वह तृतीयेश के साथ दृष्टि संबंध बना रहा हो. दशमेश चंद्रमा का संबंध बारहवें भाव या तीसरे भाव से हो रहा हो. दशम भाव को किसी भी रूप में लग्नेश और भाग्येश प्रभावित करते हों तो इस स्थिति में भी जातक हवाई उडा़न से संबंधित कमों में रूचि रखता है और इस क्षेत्र में नाम कमा सकता है.
  • लग्न चर राशि का हो और वह दशमेश राहु के साथ युति संबंध बनाते हुए तीसरे भाव, बारहवें या अष्टम भाव में बैठा हो. शुक्र कर्म भाव को किसी भी तरह से प्रभावित करता हो और तृतीयेश का संबंध पंचमेश अथवा भाग्येश से हो रहा हो तथा मंगल लग्न या कर्म भाव से संबंध बना रहा हो तो जातक पायलट बन सकता है अथवा हवाई यात्रा से संबंधित अन्य कामों को भी कर सकता है.
  • जन्म कुण्डली में राहु द्वादश भाव में स्थित होकर शुक्र को प्रभावित करता हो तथा द्वादश भाव का स्वामी दशम भाव में स्थित हो या उसे प्रभावित करे, कर्मेश का संबंध सप्तमेश के साथ हो व मंगल और चंद्रमा भी प्रभावित हो रहे हों तो जातक पायल या एयर होस्टेस का कार्य कर सकता है.
  • शुक्र और राहु लग्न, तृतीय भाव, दशम भाव, पंचम भाव, अष्टम भाव या द्वादश भाव से संबंध बनाए और लग्नेश का संबंध भी अष्टम भाव, द्वादश भाव या तीसरे भाव या दशम भाव से संबंध बना रहा हो तो जातक हवाई यात्रा में रूचि रख सकता है.
  • द्वादशेश का संबंध पंचमेश से हो रहा हो, भाग्येश व कर्मेश का संबंध तृतीयेश या अष्टमेश से हो रहा हो और दशम भाव का राहु या शुक्र द्वादशेश से प्रभावित हो रहा हो तो जातक पायलट या एयरहोस्टेस का काम कर सकता है.