शुक्र के भिनाष्टकवर्ग से जन्म कुण्डली के जातक को शुक्र से प्राप्त होने वाले शुभाशुभ परिणामों की विवेचना के लिए उससे प्राप्त बिन्दुओं की संख्या को जानने की आवश्यकता होती है. शुक्र को वैभव, विलासिता और ऎश्चर्य का कारक माना गया है. कुण्डली में यदि यह खराब होकर 0 से 3 बिन्दुओं के साथ स्थित हो तो अपने शुभ कारकों में कमी करता है.

जन्म कुण्डली में शुक्र 4 बिन्दुओं के साथ स्थित होने पर औसत स्तर का फल देता है. अपने मिले जुले फलों के अनुसार उसके परिणामों को प्राप्त किया जाता है. लेकिन 5 से 8 बिन्दुओं के साथ होने पर यह शुभता में वृद्धि करने वाला होता है.

शुक्र 4 या इससे ज्यादा बिन्दुओं के साथ उच्च के नवांश में हो और मंगल से दृष्ट हो तो जातक जीवनशक्ति से परिपूर्ण दिखाई देता है. अपनी समस्याओं के प्रति सजग रहते हुए उनसे निपटने के लिए तत्पर भी रहता है.

शुक्र यदि 6, 8 या 12 भाव में 3 से कम बिन्दुओं के साथ हो तो जातक अनैतिक कार्यों की ओर भी अग्रसर रह सकता है. और इस कारण से वह अनैतिक कार्यों के अपराध का कारण भी बन सकता है.

शुक्र 5 से 8 बिन्दुओं के साथ केन्द्र या त्रिकोण में बैठा हो तो जातक सेना प्रमुख जैसे पदों पर स्थित हो सकता है. जातक वाहन एवं धन से पूर्ण होता है. शुक्र जब अधिक बिन्दुओं वाली किसी राशि में गोचर करता है तो उक्त स्थिति में जातक को साजो सामान की चाह व प्राप्ति हो सकती है, विवाह, कला के प्रति लगाव सुख का अनुभ हो सकता है.

जन्म कुण्डली में अशुभ ग्रहों से प्रभावित हुए बिना और अधिक बिन्दुओं के यदि शुक्र स्थित है तो इससे जातक को वैवाहिक सुख की प्राप्ति होती है, जीवन साथी के साथ सुखद पलों को बिताने के अवसर मिलते हैं.

कुण्डली में शुक्र का राशिश 5 या उससे अधिक बिन्दुओं के साथ हो तो सम्पति, वाहन सुख की प्राप्ति होती है. मंगल की राशि में स्थित शुक्र अगर 5 या उससे अधिक बिन्दुओं के साथ हो तो भू-संपदा की प्राप्ति होती है.

शुक्र के अष्टकवर्ग में अधिकतम बिन्दुओं वाली कक्ष्या में जब भी शुक्र का गोचर होता है तो उस स्थिति विशेष में जातक की प्रतिष्ठा में वृद्धि होती दिखाई देती है, कन्या संतान का सुख मिलता है. कई प्रकार की अन्य गतिविधियों में शामिल होता है.

शुक्र 5 से अधिक बिन्दुओं के साथ लग्न में स्थित हो होने पर जातक में आकर्षण का भाव देखा जा सकता है उसका रूप मोहित करने वाला होता है. इसी के सतह केन्द्र में स्थित अधिक बिन्दुओं के साथ शुक्र आकर्षक व्यक्तित्व देता है. कला संगीत के प्रति झुकाव बना रहता है.

केन्द्र अथवा त्रिकोण भाव में 8 बिन्दुओं के साथ शुक्र स्थित होने पर जातक में योद्धा का रूप विकसित होता है. वायु तत्व वाली राशियों में होने पर जातक वायु सेना में सेना प्रमुख हो सकता है. दीर्घायु का संकेत भी इसी से मिलता है. यदि शुक्र नीच राशि में सातवें आठवें या बारहवें भाव में 7 या 8 बिन्दुओं के साथ हो तो जातक के लिए यह स्थिति अच्छी नहीं होती.