मंगल के भिन्नाष्टकवर्ग द्वारा कुण्डली का अध्ययन करके जातक को मंगल के शुभाशुभ प्रभावों को बताया जा सकता है. मंगल के भिन्नाष्टकवर्ग द्वारा प्राप्त अंकों से जातक की अनुकूल और विपरित परिस्थितियों को समझने का पूर्ण प्रयास किया जा सकता है. निचे दिए गए संयोजनों द्वारा हम इसे समझने का प्रयास करेंगे.

कुण्डली में मंगल के भिन्नाष्टक में यदि 0 से 3 बिन्दु प्राप्त हों तो यह स्थिति निर्बलता को दर्शाती है. एक ओर मंगल शारीरिक शक्ति, बल का प्रतिक होता है ऎसे में जब यही कम अंकों के साथ कुण्डली में स्थित हो तो, इसमें कमी को दर्शाता है व्यक्ति के साहस में कमी आती है, अक्षमता आती है, जातक नकारात्मक सोच की ओर उन्मुख होता है. भू संपत्ति से परेशानी हो सकती है.

यदि कुण्डली में मंगल 4 बिन्दुओं के साथ स्थित हो तो वह औसत स्तर का फल देने वाला बनता है. और इससे एक दो अंक अधिक होने पर जातक को शुभता में अधिकता प्राप्त होती है. व्यक्ति उन्नती को पाता है. उच्च पद और धन संपदा की प्राप्ति होती है. अचानक से फल प्राप्ति भी होती है, जातक में साहस उत्पन्न होता है और वह नेतृत्व का भाव पाता है.

इसी प्रकार यदि मंगल 7 या 8 बिन्दुओं के साथ केन्द्र अथव अत्रिकोण भावों के साथ अपनी उच्च राशि में या स्वराशि में स्थित हो तो मंगल से शुभ फलों की प्राप्ति अधिक होती है. जातक को सफलता तथा संघर्ष में विजय मिलती है. संपति से धनवान बनता है, ओजस्वी भाव में वृद्धि होती है. सम्मानित व्यक्तियों से सम्मान की प्राप्ति होती है. यहां एक अन्य बात भी ध्यान देने योग्य बनती है कि यदि मंगल 4 बिन्दुओं के साथ मेष, सिंह, वृश्चिक, धनु अथवा मकर राशि का होकर लग्न में स्थित हो तो उक्त स्थिति में भी वह शासक बनने की योग्यता पाता है.

यदि मंगल 4 बिन्दुओं के साथ लग्न, चतुर्थ, पंचम, नवम या दशम भाव में स्थित हो तो उसे श्रेष्ठ फल की प्राप्ति संभवत: हो ही जाती है और अगर इन्हीं भावों में जातक को और अधिक बिन्दु मिले जैसे की 7 या 8 तो ऎसे में जातक को चहुंमुखी सफलता मिलती है.

जब मंगल अधिकतम बिन्दु वाली राशि में गोचर करता है तो उस समय जमीन-जायदाद खरीदने के लिए सबसे अच्छा समय माना जाता है. यह लाभ की स्थिति को बताता है और हानि को दूर रखने की संभावना दर्शाता है.

बिन्दु से हीन कक्ष्या में मंगल के गोचर करने से स्वास्थ्य और व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरा हो सकता है. ज्योतिष के ग्रंथ अनुसार जब मंगल किसी राशि विशेष में गोचर करता है जिसमें उसे 7 या 8 बिन्दु मिले हों तो जातक को भूमि, मकान इत्यादि का सुख अवश्य मिलता है, शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है.

यदि कुण्डली में अधिकतम बिन्दुओं के साथ स्थित मंगल राहु से युति कर रहा हो या राहु के नक्षत्र में हो तो ऎसा जातक प्रशासनिक अधिकारी अथवा सुरक्षा बल या सेना अधिकारी जैसे काम में जा सकता है. मंगल के भिन्नाष्टक वर्ग में मंगल से तीसरे भाव में शोधन से पूर्व प्राप्त बिन्दुओं की संख्या से जातक के भाई बहनों की संख्या का पता भी लगाया जा सकता है. ऎसे ही कई और नियमों के द्वारा भी मंगल के भिन्नाष्टकवर्ग का फल कथन करने में आसानी होती है.