प्रश्न कुण्डली में लग्न, चन्द्र तथा नवाँश की भूमिका अहम मानी जाती है. प्रश्न कुण्डली में लग्न को पुष्प माना गया है. प्रश्न कुण्डली में चन्द्र को बीज की संज्ञा दी गई है. नवाँश कुण्डली में प्रश्न का स्वाद बताया गया है. ज्योतिषी प्रश्न कुण्डली का अध्ययन करते समय मुख्य रुप से लग्न, चन्द्र तथा नवाँश कुण्डली पर अधिक महत्व देते हैं. प्रश्न कुण्डली में इन तीनों की अहम भुमिका होती है.  प्रश्न के समय कौन सा लग्न उदय हो रहा है. लग्न पर किन शुभ - अशुभ ग्रहों का प्रभाव पड़ रहा है आदि बातों को ध्यान में रखकर ही कुछ कहा जाता है.

लग्न का अध्ययन कुशलता से करने के बाद अगला कदम चन्द्रमा के अध्ययन की ओर होता है. इसका विश्लेषण भी लग्न की तरह किया जाता है. चन्द्र का संबंध शुभ - अशुभ ग्रहों से है या नहीं. चन्द्र किन्हीं योगों में शामिल है या नहीं है. कुशलता से अध्ययन करने के बाद ही किसी निष्कर्ष पर पहुंचा जाता है.

आप देखेंगे कि लग्न तथा चन्द्र के आधार पर ही प्रश्न कुण्डली का आंकलन किया जाता है. बाकी नवाँश कुण्डली का अध्ययन किसी बात की पुष्टि को पुख्ता करने के लिए करना आवश्यक माना गया है. इसीलिए कहा गया है कि प्रश्न कुन्डली में चन्द्रमा बीज तो लग्न पुष्प है और इसका स्वाद नवाँश कुण्डली में देखने को  मिलता है.

प्रश्न कुण्डली में लग्न, चन्द्र तथा नवाँश कुण्डली के अतिरिक्त इस पद्धति में कुछ योगों का अत्यधिक महत्व होता है. यह ताजिक योग कहलाते हैं. ताजिक योग शुभ तथा अशुभ दोनों ही प्रकार के होते हें. कुछ योग ग्रह स्थिति पर आधारित होते हैं तो कुछ योग चन्द्रमा तथा ग्रहों के अंशों की गणनाओं पर आधारित होते हैं. कुछ ताजिक योगों में ग्रहों के दीप्ताँशों का महत्व होता है.

इकबाल योग, कम्बूल योग, गैरी कम्बूल योग, ताम्बीर योग, नक्त योग, यमया योग शुभ माने जाते हैं.जन्म कुण्डली तथा प्रश्न कुण्डली के महत्व को अलग रखना चाहिए. यह दोनों एक - दूसरे से भिन्न हैं. प्रश्न कुण्डली वर्तमान कर्मों को दिखाती है. आपके किए कर्मों पर आपके प्रश्न का उत्तर अत्यधिक निर्भर करता है.

व्यक्ति जब किसी बात को लेकर अत्यधिक परेशान होते हैं तब आप उसी को लेकर ज्योतिषी के पास पहुंचते हैं. उस समय के प्रश्न के आधार पर आपकी समस्या अथवा परेशानी का हल निकाला जाता है. प्रश्न कुण्डली की अपनी कुछ सीमाएँ होती हैं. यह एक समय में एक विषय से जुडे़ प्रश्न का हल ढूंढने में बहुत अच्छी मानी जाती है लेकिन कई प्रश्नों का उत्तर देने में यह सक्षम नहीं है.

प्रश्न कुण्डली के विपरीत जन्म कुण्डली आपके पिछले कर्मों को दिखाती है. कुण्डली में स्थित शुभ तथा अशुभ योग पूर्व कर्मों पर आधारित होते है. यह प्रारब्ध को दिखाती है. पूर्व जन्म के कर्मों का भुगतान हम इस जन्म में करते हैं.

जन्म कुण्डली से हमारे भूत, वर्तमान तथा भविष्य का पता चलता है. अच्छे तथा बुरे समय के बारे में सारी जानकारी हमें जन्म कुण्डली से ही मिलती है. यह आपके सभी प्रश्नों का उत्तर समय-समय पर देने में सक्षम होती है.