श्री यंत्र देवी लक्ष्मी का यन्त्र होता है यह कष्टनाशक होने के कारण यह सिद्धिदायक और सौभाग्यदायक माना जाता है. लक्ष्मी कृपा हेतु श्रीयंत्र साधना के बारे में बताया जाता है. श्रीयंत्र की रचना पांच त्रिकोण के नीचे के भाग के ऊपर चार त्रिकोण के संयोजन से जिसमें 43 त्रिकोण द्वारा होती है. इन त्रिकोणों को दो कमल घेरे हुए होते हैं, पहला कमल अष्टदल का होता है और दूसरा बाहरी कमल षोडशदल का होता है.

इन दो कमलों के बाहर तीन वृत हैं इसके बाहर तीन चैरस होते हैं जिन्हें भूपुर कहते हैं.  इस यंत्र को तांबे, चांदी या सोने पर बनाया जा सकता है श्रीयंत्र पूजा विधि शुक्रवार या प्रतिदिन की जा सकती है. श्रीयंत्र पूजा से पूर्व कुछ बातों को ध्यान में रखना आवश्यक होता है. इनकी पूजा में स्वच्छ्ता का पूरा ध्यान रखना चाहिए, प्राण-प्रतिष्ठित द्वारा श्रीयंत्र की ही पूजा कि जानी चाहिए.

लक्ष्मी का स्मरण कर सुख, सौभाग्य और समृद्धि की कामना की पूर्ति के लिए श्रीयंत्र पूजा की जाती है. श्री यंत्र की पूजा नवरात्रि में बहुत ही शुभ फलदायी मानी जाती है. व्यावसाय में सफलता, सुखी जीवन, आर्थिक मजबूती एवं पारिवारिक सुख-समृद्धि की वृद्धि होती है.

श्री यंत्र पूजन विधि | Sri Yantra Puja Vidhi

प्रात: काला स्नान इत्यादि से निवृत्त होकर श्रीयंत्र पूजा की तैयारी करनी चाहिए. श्रीयंत्र को लाल कपड़े पर स्थापित करके इसे गंगाजल और दूध द्वारा पूजना चाहिए. श्री यंत्र को पूजा स्थान या व्यापारिक स्थान तथा अलमारी में शुद्ध स्थान पर रखा जा सकता है. श्रीयंत्र का पंचामृत, दुग्ध, दही, शहद, घी और गंगाजल से स्नान करा कराएं.

तत्पश्चात लाल चंदन, लाल फूल, अबीर, रोली, अक्षत से उसकी पूजा करें फिर श्री यंत्र पर लाल चुनरी चढ़ाएं तथा धूप, दीप से श्री यंत्र की आरती उताएं. लक्ष्मी मंत्र, श्रीसूक्त, दुर्गा सप्तशती का पाठ करें तथा बोग लगाएं. श्रद्धापूर्ण एवं भक्ति भाव द्वारा पूजा संपन्न करें और श्री यंत्र की स्थापना करें. स्थापना होने पर नियमित रुप से श्री यंत्र के समक्ष पूजा पाठ किया करें.

श्री यंत्र मंत्र | Shri Yantra Mantra

श्रीयंत्र के समक्ष “ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं नम:” एवं “ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्री ह्रीं श्री ॐ महालक्ष्म्यै नम:”मंत्रों का जाप करना चाहिए. श्रीयंत्र को श्रेष्ठ माना गया है इनकी अधिष्ठात्री देवी मां लक्ष्मी जी हैं. श्रीयंत्र को सभी यंत्रों में श्रेष्ठ स्थान प्राप्त है.

श्रीयंत्र का महत्व | Significance of Shri Yantra

मंत्रों से सिद्ध श्रीयंत्र असीमित धन-संपत्ति प्रदान करता है. श्रीयंत्र लक्ष्मी को आकर्षित करने वाला शक्तिशाली यंत्र है. श्री यंत्र को दक्षिण भारत के विश्वप्रसिद्ध मंदिर तिरूपति बालाजी भी स्थापित किया गया है. श्रीयंत्र के माध्यम से आर्थिक स्थिति मजबूत होती है. पूजा पाठ एवं नियमित मंत्र साधना द्वारा श्रीयंत्र को क्रियाशील बनाया जा सकता है, श्रीयंत्र को ज्यादा शक्तिशाली बनाने के लिए नवरात्रों, शिवरात्रि, होली, दीवाली जैसे समय में मंत्रों द्वारा इसे अभिमंत्रित एवं उर्जावान बनाया जा सकता है.

महालक्ष्मी की कृपा प्राप्ति के लिए श्रीयंत्र की पूजा प्रभावशाली होती है. इस यंत्र की पूजा करने से समृद्धि एवं ऎश्वर्य की प्राप्ति होती है. श्रीयंत्र चांदी, सोना या तांबे पर बनवाना उत्तम होता है. इस यंत्र को भोजपत्र पर भी बनवा सकता है. शुभ मुहूर्त में यंत्र का निर्माण गुरू या रवि पुष्य योग या नवरात्र, दीपावली में किया जाए तो शुभ फलदायक होता है. श्रीयंत्र को घर, ऑफिस में बने पूजा स्थान पर रख सकते हैं तथा प्रतिदिन इसके सम्मुख धूप, दीप एवं मंत्र जाप करने से समृद्धि, वैभव, सौभाग्य की प्राप्ति होती है.