सूर्य से होने वाले रोग और उनका प्रभाव

सूर्य को ज्योतिष में अग्नि युक्त प्राण तत्व के रुप में माना गया है. ज्योतिष के आकाश में सूर्य सबसे शक्तिशाली ग्रह है. यह जीवन को उसकी समग्र ऊर्जा के साथ आगे बढ़ने का अवसर देने में सक्षम होता है. चीजों को प्रभावशाली रुप से व्यक्त करने के तरीके को सूर्य ही प्रभावित करता है. सूर्य को रोग शास्त्र में भी कई रोगों का वाहक एवं निवारक माना गया है. ज्योतिष की एक शाखा जो रोग के विषय से संबंधित है तथा आयुर्वेद इत्यादि में सूर्य के असर उससे होने वाले रोगों इत्यादि का वर्णन दर्शाया गया है.

ज्योतिष शास्त्र में, सूर्य राशि वाले लोग आकर्षण से भरपूर होते हैं. सूर्य आपके शरीर, मन और आत्मा में निहित है. जब हम अपने आप को खेल, कला, कल्पना और शारीरिक गतिविधि के साथ दुनिया में जोड़ते हैं, तो सूर्य ही चमकता है. सूर्य साहस का प्रतिनिधित्व करता है, जो दिल के लिए उत्साह को दर्शाता है. साहसी होना डर की अनुपस्थिति नहीं है, बल्कि इसके बावजूद काम करने की इच्छा का रुप ही दर्शाने वाला है. कठिन परिस्थितियों का सामना करने के लिए सूर्य की ऊर्जा ही उपयोगी होती है. सूर्य हमें मजबूत बनने के लिए प्रशिक्षित करता है. यह मानव जीवन के हृदय का कारक बन जाता है, सूर्य को नेत्र से जोड़ा गया है. रोग प्रतिओर्धक क्षमता की मजबूती केवल सूर्य के शुभ एवं प्रबल होने में प्राप्त होती है.

आत्मविश्वास सूर्य से जुड़ा एक गुण है, लेकिन अक्सर इसे गलत समझा जाता है. ऐसे शक्तिशाली दिखने वाले व्यक्ति होते हैं जो मजबूत दिखाई देते हैं, फिर भी उनमें दूसरों के लिए दया की कमी होती है वहां सूर्य काम नहीं करता है. सूर्य की शुभता जब कम होने लगती है कुंडली में वह पाप ग्रह से प्रभवैत होता है तब उसके ऎसे प्रभाव को देख सकते हैं. क्योंकि जब हम सूर्य की शुभता को पाते हैं तो धमकाने या लालच से सुर्खियों में आने की जरूरत नहीं होती है. सूर्य शक्ति के साथ धैर्यवान और उदार बनाता है. यह रचनात्मक बनाता है ओर जीवन में प्रसन्नता से जोड़ने वाला ग्रह है.

रोग एवं ज्योतिष में सूर्य की भूमिका

वैदिक ज्योतिष में सूर्य को गर्म, शुष्क प्रकृति का माना गया है. यह क्रूर ग्रह की श्रेणी में भी आता है. सूर्य सिंह राशि पर अधिकार रखता है. वह मेष राशि में उच्च स्थिति का होता है, और वह तुला राशि में अपने नीच स्थिति को पाता है. सूर्य को आत्माकारक के नाम से जाना जाता है. सूर्य जीवन का दाता है. सूर्य पिता, हमारे अहंकार, सम्मान, स्थिति, प्रसिद्धि, हृदय, आंखें, सामान्य जीवन शक्ति, सम्मान और शक्ति का कारक बनता है. दसवें घर में सूर्य सीधे सिर के ऊपर अपनी सबसे मजबूत स्थिति में है. वह अन्य केन्द्रों या कोणों में भी बलवान होता है. लग्न चतुर्थ, सप्तम में अलग असर दिखाता है. सूर्य उपचय भावों में अच्छा काम करता है. ये तीसरे, छठे, ग्यारहवें भाव में भी काम करता है . यह मेष, सिंह और धनु राशि के अग्नि राशियों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद होता है. स्वभाव की उग्रता, पित्त की अधिकता के लिए सूर्य विशेष रुप से काम करता है.

सूर्य की विशेषता के रुप में एक मुख्य चीज जीवन शक्ति और प्रतिरोध शक्ति हमें मिलती है. सूर्य शारीरिक बनावट के रुप में अच्छा मजबूत शरीर देता है. शक्ति, इच्छा शक्ति, बुद्धि, प्रतिभा, समृद्धि, सांसारिक मामलों में सफलता, धन, व्यक्तिगत, आचरण, गतिविधि, सौभाग्य, ज्ञान, महत्वाकांक्षा, प्रसिद्धि, अभूतपूर्व सफलता, ज्ञान, चिकित्सा, मंदिर और पवित्र स्थानों पर इसका अधिकार होता है. सूर्य कृतिका नक्षत्र, उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र,और उत्तराषाढ़ा का स्वामित्व पाता है. ग्रहों के साथ सूर्य के संबंध में चंद्रमा, मंगल और बृहस्पति इसके मित्र माने गए हैं, और शुक्र, शनि, राहु और केतु शत्रु रुप में जाने गए हैं तथा बुध के साथ यह सम भाव रखता है.

मानव रीढ़ की हड्डी विशेष रूप से सूर्य से प्रभावित होती है. पिंगला नाड़ी, जो सूर्य का प्रतिनिधित्व करती है, दाहिनी ओर रीढ़ के आधार से उत्पन्न होती है. सूर्य द्वारा प्रभावित अंगों में आंख, हृदय, यकृत, फेफड़े, सिर, मस्तिष्क, नसों और हड्डियां विशेष रुप से आते हैं.

सूर्य से होने वाले रोग एवं बचाव के उपाय
सूर्य से होने वाले रोगों में सुर्य से संबंधित अंगों पर असर दिखाई देता है. जन्म कुंडली में यदि सूर्य कमजोर स्थिति में है या पाप ग्रहों का कारण प्रभवैत है, रोग भाव का स्वामी है तो उस स्थिति में यह कई तरह से स्वास्थ्य पर असर डाल सकता है. पीड़ित और कुदृष्टि से प्रभावित होने पर सूर्य रक्तचाप, नेत्र विकार, अपच, पीलिया, हैजा, बुखार, मधुमेह, एपेंडिसाइटिस, रक्तस्राव, कार्डियक थ्रोम्बोसिस, चेहरे पर दाने, टाइफाइड, तपेदिक, बहुत अधिक सोचने से होने वाली मानसिक बिमारियां दे सकता है. सिर के रोग, मिर्गी और बढ़े हुए पित्त के कारण होने वाले विकार शामिल होते हैं.

सूर्य से उत्पन्न होने वाले रोगों से बचाव के लिए सूर्य उपासना करने को विशेष माना जाता है. राशि चक्र में सूर्य का प्रमुख स्थान केंद्र स्थान है, यह जीवन का स्रोत है और इसलिए सूर्य को जीवन-दाता-प्राणधाता के रूप में वर्णित किया गया है. सूर्यनमस्कार हड्डियों को मजबूत करने वाला बेहद उपयोगी उपाय है, सूर्य नमस्कार द्वारा नेत्र रोगों को भी शांति मिलती है. सूर्य उपासना बीमारी को ठीक करने का सरल एवं सक्षम माध्यम भी है. चाहे रोग कितना भी गंभीर क्यों न हो, सूर्य अराधना द्वारा राहत प्राप्त की जा सकती है. सूर्य की शुभता मान सम्मान, संतान, धन, अच्छे स्वास्थ्य और लंबे जीवन को प्रदान करने वाली होती है.