रेड जेस्पर

रेड जेस्पर जिसे हिन्दी में लाल सूर्यकान्तमणि भी कहा जाता है. माणिक्य का यह उपरत्न अपारदर्शी होता है. माणिक्य के सभी उपरत्नों में रेड जेस्पर सबसे अधिक बिकता है और सबसे अधिक लाभ प्रदान करने वाला होता है. इस उपरत्न में कुछ दैवीय शक्तियाँ मानी जाती हैं. पॉप जोन पॉल ने भी अपनी अँगुली में लाल सूर्यकान्तमणि धारण कर रखी है. इसे पहनने आत्मबल में बढो़तरी होती है.

रेड जेस्पर पहचान

यह एक दुर्लभ उपरत्न है. यह कई रंगों में पाया जाता है. इसमें धारियाँ और धब्बे दोनों ही होते हैं. सभी प्रकार के जेस्पर में रोगों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता होती है. इसे धारण करने से शरीर के सातों चक्र संतुलित रहते हैं. इसके साथ ही व्यक्ति विशेष में बोलने की क्षमता का विकास भी होता है.

यह रत्न सूर्य ग्रह की शुभता बढ़ाने और पाने के लिए किया जाता है. इस रत्न का उपरत्न के रुप में उपयोग होता है. यदि जातक माणिक्य रत्न को नहीं ले पाता है तो उस स्थिति में वह माणिक्य के उपरत्न रेड जेस्पर का यूज कर सकता है. उपरत्नों का उपयोग भी मुख्य रत्न के समान ही प्रभावशाली बताया गया है.

रेड जेस्पर के फायदे

  • इस रत्न का उपयोग व्यक्ति को सकारात्मक ऊर्जा से भर देने वाला होता है.
  • व्यक्ति अपने लक्ष्य के प्रति सदैव सजग रहता है.
  • अपने काम को करने में परिश्रम और साहस का परिचय भी देता है.
  • नेतृत्व करने की क्षमता व्यक्ति में विकसित होती है.
  • समाज में मान सम्मान मिलता है.
  • सरकारी क्षेत्र में लाभ मिलता है.
  • नौकरी में उच्च अधिकारियों की ओर से लाभ मिलता है.
  • मित्रों का सहयोग मिलता है.
  • रेड जेस्पर का स्वास्थ्य लाभ

  • रेड जेस्पर रत्न का उपयोग स्वास्थ्य से जुड़ी कुछ समस्याओं को दूर करने में सहायक होता है.
  • यह मानसिक रुप से व्यक्ति को मजबूती देता है.
  • रक्त से संबंधी परेशानियों से राहत दिलाता है.
  • लिवर से जुड़े रोग में भी इसका उपयोग बेहतर होता है.
  • व्यक्ति यदि आलसी हो या किसी काम में मन न लगता हो तो उस व्यक्ति को ऊर्जावान बनाता है.
  • नेत्र ज्योति को बेहतर करता है.
  • शरीर में रक्त कोशिकाओं को दुरुस्त रखता है.
  • कौन धारण कर सकता है

    जिन व्यक्तियों की कुण्डली में सूर्य शुभ भाव का स्वामी है, परन्तु अशुभ भाव में स्थित है अथवा सूर्य शुभ भाव का स्वामी होकर पीड़ित है. लाल सूर्यकान्तमणि (रेड जेस्पर) को धारण करने से सूर्य को बल मिलता है.

    कौन धारण नहीं करे

    इस उपरत्न को हीरा और उसके उपरत्न के साथ धारण नहीं करना चाहिए. नीलम तथा इसके उपरत्न के साथ भी रेड जेस्पर को धारण नहीं करना चाहिए.

    रेड जेस्पर कब और कैसे धारण करें

    रेड जेस्पर को सोने, पीतल की अंगूठी में जड़वाकर रविवार, सोमवार और बृहस्‍पतिवार के दिन पहना जा सकता है. इस उपरत्न को पहनने से पहले इस रत्न को दूध और गंगाजल में डाल कर इसे शुद्ध कर लीजिए इसके बाद धूप दीप दिखा कर सूर्य के मंत्र ऊं घृणि: सूर्याय नम: का जाप करते हुए इसे धारण करना चाहिए.

    अगर आप अपने लिये शुभ-अशुभ रत्नों के बारे में पूरी जानकारी चाहते हैं तो आप astrobix.com की रत्न रिपोर्ट बनवायें. इसमें आपके कैरियर, आर्थिक मामले, परिवार, भाग्य, संतान आदि के लिये शुभ रत्न पहनने कि विधि व अन्य जानकारी के साथ दिये गये हैं.