जानिए गार्नेट रत्न के लाभ

गार्नेट जिसे रक्तमणि और तामडा़ नाम से भी जाना जाता है. एक बहुत ही प्रभावशाली रत्न है. आज के समय में हर व्यक्ति किसी ना किसी बात को लेकर परेशान रहता है. अपनी परेशानियों का हल खोजने के लिए वह कई बार अपने भविष्य की जाँच भी कराता है. जाँच कराने के पश्चात उसे कई प्रकार की सलाह दी जाती है. मंत्र जाप, पूजा-अर्चना आदि के बारे में जानकारी दी जाती है. कई बार व्यक्ति विशेष को रत्न धारण करने की सलाह भी दी जाती है. रत्न कीमती होते हैं. इसलिए रत्नों के स्थान पर उपरत्न भी धारण करने का परामर्श दिया जाता है. इन उपरत्नों की श्रेणी में सूर्य के रत्न माणिक्य के उपरत्न भी शामिल हैं.

गार्नेट पहचान

यह एक सुंदर एवं प्रभावशाली रत्न है. यह कई अन्य रंगों में पाया जाता है. माणिक्य के कई उपरत्न हैं. जिनमें से रक्तमणि एक मुख्य उपरत्न माना जाता है. यह उपरत्न देखने में गहरा लाल तथा कालिमा लिए हुए होता है. इस रत्न का उपयोग व्यक्ति की नकारात्मक छाया को दूर क्रता है. बुरी नजर से बचाता है. (Tramadol) रोगों से लड़ने की रोगप्रतिरोधक क्षमता बेहतर करता है. इसे धारण करने से शरीर में ऊर्जा का संचरण करता है.

यह रत्न सूर्य ग्रह की शुभता बढ़ाने और पाने के लिए किया जाता है. इस रत्न का उपरत्न के रुप में उपयोग होता है. यदि जातक माणिक्य रत्न को नहीं ले पाता है तो उस स्थिति में वह माणिक्य के उपरत्न गार्नेट का उपयोग कर सकते हैं. उपरत्नों का उपयोग भी मुख्य रत्न के समान ही प्रभावशालि बताया गया है.

गार्नेट के फायदे

गार्नेट का उपयोग करने से व्यक्ति को आत्मिक बल मिलता है, उसमें आत्मविश्वास की वृद्धि होती है. नकारात्मक सोच को दूर करता है. इस उपरत्न का उपयोग व्यक्ति को सूर्य के शुभ फलों कि प्राप्ति कराने वाला होता है. इस रत्न का उपयोग किसी र्भी रुप में करके लाभ प्राप्त किया जा सकता है. गारनेट रत्न आसानी से उपलब्ध हो जाता है. यह कीमत में भी सस्ता होता है.

  • गार्नेट पहनने से सौभाग्य में वृद्धि.
  • गार्नेट रत्न का उपयोग स्वास्थ्य में लाभ देने वाला होता है.
  • आंखों की रोशनि को सही रखता है.
  • यह रत्न मान-सम्मान की प्राप्ति कराने वाला होता है.
  • यात्रादि में सफलता दिलाता है.
  • मानसिक चिन्ता दूर होती है.
  • मन में शंका-कुशंका को भी दूर भगाता है.
  • गार्नेट(रक्तमणि) कौन धारण कर सकता है

    जिन व्यक्तियों की कुण्डली में सूर्य लग्नेश या त्रिकोणेश या दशमेश या चतुर्थेश होकर कमजोर है अथवा नीच राशि में स्थित है वह माणिक्य का उपरत्न रक्तमणि धारण कर सकते हैं. सूर्य कुण्डली में निर्बल है तब रक्तमणि धारण कर सकते हैं. इससे सूर्य को बल प्राप्त होगा.

    गार्नेट कौन धारण नहीं करे

    रक्तमणि को शनि के रत्न नीलम अथवा नीलम के उपरत्न के साथ धारण नहीं करना चाहिए. रक्तमणि को शुक्र के रत्न हीरे अथवा हीरे के उपरत्न के साथ भी धारण नहीं करना चाहिए.

    गारनेट धारण करने की विधि

    गारनेट रत्न को अनामिका अँगुली में ताँबे, सोने इत्यादि में बनवाकर शुक्ल पक्ष के रविवार को प्रात काल धारण करना चाहिए. रत्न को कच्चे दूध और गंगा जल में रख कर पूजा पाठ करके इसे धारण करना चाहिए.

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