शकुनि करण

पंचांग का एक महत्वपूर्ण अंग करण है. करण 11 होते हैं और हर 1 तिथि में 2 करण आते हैं. प्रत्येक करण का अपना एक अलग प्रभाव होता है. व्यक्ति के जीवन और उसके कार्यों पर करणों का प्रभाव भी स्पष्ट होता है. शकुनि करण के प्रभाव से जातक उत्साहित और काम को लेकर अधिक भागदोड़ करने वाला होता है. मन से कठोर हो सकता है और फैसले लेने में जल्दबाज होता है.

शकुनि करण कब होता है

कृष्ण पक्ष की चतुदर्शी के उत्तरार्ध में शकुनि करण होता है. शकुनि करण का प्रतीक पक्षी को बताया गया है. यह विचरण करने के लिए स्वतंत्र है और मुक्त रुप से जीवन जीने की इच्छा रखते हैं. शकुनि करण की अवस्था ऊर्ध्वमुखी है. अपने इस प्रभाव के कारण इसे आगे बढ़ने वाला और सामान्य फल देने वाला करण बताया गया है.

शकुनि एक स्थाई करण है

शकुनि करण एक स्थाई करण होता है. इस करण को बहुत अधिक शुभता की श्रेणी में नहीं रखा जाता है. इस करण के प्रभाव से व्यक्ति को बहुत अधिक शुभ प्रभाव नहीं मिल पाते हैं. जीवन में संघर्ष अधिक रहता है. शकुनि करण के स्वामी कलयुग को बताया गया है. ऎसे में इस करण पर कलियुग नामक देव का प्रभाव भी होता है.

शकुनि करण में क्या काम करने चाहिए

शकुनि करण का मुहूर्त में उपयोग होता है. शकुनि करण में कठोर काम करना अनुकूल होता है. शकुनि करण में मंत्र सिद्धि करने के काम किया जा सकता है. औषधि का निर्माण भी इस करण में किया जा सकता है. शकुनि करण में व्यक्ति

शकुनि करण में जातक को युद्ध क्षेत्र विजय पाने के लिए उपयोग किया जाता है. इस करण का उपयोग सफलता पाने के लिए कठिन क्षेत्रों में उपयोग कर सकते हैं.

शकुनि करण में जन्मा जातक

शकुनि करण में जन्मा जातक कुशल वक्ता और काम काज में योग्य होता है. व्यक्ति अपने काम को करने पर युक्तियों का उपयोग भी करता है. मेहनत से अधिक बौद्धिकता से काम करने की कोशिश अधिक करता है. इस करण में जन्मा जातक अपने काम से प्रख्यात होता है.

व्यक्ति को अपने मन के अनुरुप काम करने की इच्छा अधिक होती है. व्यक्ति में झूठ बोलने और चालबाजियों को करने में भी आगे रह सकता है. बोलचाल में कुशल होता है. मनोविज्ञान को समझने वाला होता है. अपने काम को दूसरों से करवाने में कुशल होता है.

व्यवहार कुशल होता है. कार्यस्थल पर अपने सहकर्मियों के साथ जल्द मेल जोल बनाए रखने वाला होता है. अपनी बोल चाल और व्यवहार कुशलता से लोगों को आकर्षित कर अपना संघटन भी बना सकता है. लोगों से अपना काम निकलवा लेने की योग्यता भी रखता है.

शकुनि करण आजीविका क्षेत्र

शकुनि करण में जिस व्यक्ति का जन्म हो वह व्यक्ति विवादों का निपटारा कराने में कुशल होता है. ऎसा व्यक्ति आपस में समझौते और बिगडती बात को संभालने की योग्यता रखता है. बडी-बडी कम्पनियों में समन्वय कराने का कार्य उसे बखूबी आता है. साथ ही ऎसे व्यक्ति को औषधि निर्माण कार्य का ज्ञान हो सकता है. चिक्तिसा जगत में सेवा कार्य कर वह उतम आय प्राप्त करने में सफल रहता है.

शकुनि करण अपनी बौद्धिक योग्यता का प्रयोग शुभ कार्यो के लिए करें, तो व्यक्ति को धन और मान दोनों प्राप्त होते है. परन्तु अगर वह धन प्राप्ति की ओर लालयित रहे तो, उसे गलत तरीकों से धन कमाने की ओर आकर्षित हो सकता है.