वणिज करण

सूर्य से बारह अंशों की दूरी पर तिथि बनती है, तथा सूर्य से छ: अंशों कि दूरी पर करण बनता है. इस प्रकार एक तिथि में दो करण होते है. करण ज्योतिष शास्त्र में पंचाग का भाग है, व इसे मुहूर्त कार्यों में प्रयोग किया जाता है. वणिज करण को सामान्य करण माना गया है. करण का उपयोग किसी भी मुहूर्त्त को निकालने के लिए किया जाता है. शुभ कार्यों में वणिज करण को लिया जा सकता है.

वणिज करण

वणिज करण एक चलायमान करण है. इस करण का प्रभाव व्यक्ति को सजग और कार्यशील बनाने वाला होता है. इस का चिन्ह सांड अथवा गाय को बताया गया है. यह एक संघर्षशील स्थिति और उस पर विजय पाने की योग्यता को दिखाने वाला होता है. यह एक कर्मठ करण हैं जो काम में लगातार व्यस्त रहने की ओर ईशारा करता है.

वणिज करण में जन्मा जातक

वणिज करण में जन्मा जातक अधिक सोच विचार करने वाला और युक्ति से काम निकालने की इच्छा रखने वाला होता है. जातक विद्वान लोगों की संगत को पाता है. अपने और अपने परिवार के प्रति सजग होता है जिम्मेदारियों को निभाना जानता है. जातक में भीड़ से अलग चलने की योग्यता भी होती है और वह अपनी इस सोच में कामयाब भी होता है.

जातक में जीवन का आनंद लेने की इच्छा रहती है. वह सुंदर चीजों के प्रति आकर्षित होता है. अपने मन को अनुकूल ही हर कार्य करने की उसकी इच्छा बहुत अधिक रहती है. जातक में कलात्मक प्रतिभा होती है और वे अपनी प्रतिभा से धन भी अर्जित कर सकता है. जीवन को व्यवस्थित ढंग से जीने की कोशिश करते हैं. सुरुचिपूर्ण वस्त्र, जीवन शैली, संगीत इत्यादि जीवन में रहते हैं.

जातक को धन से प्रेम होता है, वह जीवन में अत्यधिक धन की चाह भी रखता है और इसके लिए प्रयास भी बहुत करता है. इसी के कारण वह सब कुछ पाता है जो उसे अच्छा लगता है. जातक मिलनसार और वाक चातुर्य से भरा होता है. महत्वाकांक्षी और थोड़ा सा अहंकारी भी हो सकता है. जातक का ये स्वभाव कई बार परेशानी का सबब बन सकता है.

वणिज करण-व्यक्ति व्यवसाय

जिस व्यक्ति का जन्म वणिज करण में होता है, उस व्यक्ति को व्यापारिक कार्यो में विशेष रुचि होती है. इस योग के व्यक्ति को नौकरी करने के स्थान पर अपना व्यापार कार्य कर लाभ उठाना चाहिए. ऎसे व्यक्ति को विदेश गमन से उत्तम आय की प्राप्ति होती है. वह व्यक्ति विदेशी संबधों के साथ कार्य कर अपनी ख्याति और आय दोनों को बढा सकता है. व्यापारिक उद्देश्यों के लिए की गई यात्राएं भी व्यक्ति की सफल होती है.

व्यक्ति अपनी जीवन लक्ष्यों को विदेशी सूत्रों के सहयोग से पूरा करता है. बाजार में रह कर वस्तुओं के क्रय और विक्रय के विषय में बहुत अधिक ज्ञानी होता है.

वणिज करण-चरसंज्ञक करण

वणिज करण चरसंज्ञक है. शेष अन्य चरसंज्ञक करणों में बव, बालव कौलव, तैतिल, गर और विष्टि है. बाकी के बचे हुए चार करण शकुनि, चतुष्पाद, नाग और किस्तुघ्न ध्रुव करण कहलाते है.

वणिज करण- स्वामी

वणिज करण की अराध्य देवी स्वामी लक्ष्मी जी हैं. इस करण के जातकों के लिए माँ लक्ष्मी की पूजा बहुत अधिक फल दायक होती है. जो व्यक्ति अपने करण के सभी शुभ फल प्राप्त करना चाहता है. उन्हें देवी लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए. देवी लक्ष्मी की पूजा करने से व्यक्ति को स्वास्थय सुख के साथ साथ भाग्य और धन का लाभ भी प्राप्त होता है.

आर्थिक कष्टों से बचने के लिए वणिज करण के जातक को शुक्रवार के दिन श्री सूक्त का पाठ अवश्य करना चाहिए.

  • देवी लक्ष्मी को भोग स्वरुप खीर का भोग अवश्य लगाना चाहिए.
  • यदि संभव हो सके तो शुक्रवार के व्रत करने चाहिए.
  • सफेद वस्त्रों का दान भी शुभ होता है.
  • वणिज करण में करने योग्य कार्य

    वणिज करण में कोई भी वस्तु का क्रय विक्रय करना अनुकूल माना गया है. किसी व्यापार को करने के लिए इस करण का होना बेहतर स्थिति देने वाला माना गया है. यह करण सामान्य करण है, इस करण में नवीन कार्य किए जा सकते हैं.