वसुमान-शुभ-कर्तरी-पाप-कर्तरी-पारिजात-पर्वत-खल-दैन्य योग क्या है. । What is the Vasuman Yoga | Shubha Kartari Yoga | Papa Kartari Yoga | Parijat Yoga | Parvata Yoga | Khal Yoga | Dainya Yoga

वसुमान योग बुध, गुरु, शुक्र लग्न या चन्द्रमा से तीसरे, छठे, दशवें, ग्यारहवें भाव में हो, तो यह योग बनता है. वसुमान योग व्यक्ति को अत्यधिक धनवान बनाता है. इस योग से युक्त व्यक्ति बुद्धिमान, बौद्धिक रुप से गुणवान होता है. व्यक्ति को अपने कार्यो में दक्षता प्राप्त होती है. तथा इस योग से व्यक्ति के मनोबल में भी वृ्द्धि हो रही होती है.  

शुभ कर्तरी योग कैसे बनता है. | How is Formed Shubha Kartari Yoga 

जब चन्द्रमा या लग्न शुभ ग्रहों के मध्य अथवा चन्द्रमाया लग्न से पांचवें और नवें भाव में शुभ ग्रह हों, तो शुभ कर्तरी योग बनता है. शुभ कर्तरी योग व्यक्ति को अच्छा स्वास्थय, धन का संचय और जीवन के सुखों में बढोतरी देता है.

पाप कर्तरी योग कैसे बनता है. | How is Formed Papa Kartari Yoga 

पाप कर्तरी योग उस समय बनता है, जब चन्द्रमा या लग्न अशुभ ग्रहों के मध्य अथवा चन्द्रमा या लग्न से पांचवें और नवें भाव में अशुभ ग्रहों के साथ हो, तो पाप कर्तरी योग बनता है. 

पापकर्तरी योग व्यक्ति को रोगी, और निर्धन बना सकता है. इस योग के व्यक्ति को शीघ्र गुस्सा आ सकता है. इसके अतिरिक्त यह व्यक्ति निष्ठुर भी हो सकता है.  

पारिजात योग कैसे बनता है. | How is Formed Parijat Yoga 

लग्नेश का राशीश जिस राशि में बैठा हो, उस राशि का स्वामी या लग्नेश के राशिश द्वारा ग्रहीत नवांश का स्वामी केन्द्र / त्रिकोण/ स्वराशि/ उच्च राशि में बैठा हों तब यह योग बनता है. यह योग व्यक्ति को प्रसिद्धि, विलक्षण, ज्ञानी, राज्य का संरक्षण प्राप्त कराता है. इस योग से युक्त व्यक्ति वाहनों का स्वामी होता है. व परम्पराओं और रीति-रिवाजों को मानने वाला व निभाने वाला होता है.  

पर्वत योग कैसे बनता है. | How is Formed Parvata Yoga 

पर्वत योग में लग्नेश उच्च या स्वराशि का होकर केन्द्र या त्रिकोण में हों, या लग्नेश और द्वादशेश एक दूसरे से केन्द्र में या शुभ ग्रह केन्द्र में और छठा व आंठवा भाव अशुभ प्रभाव से मुक्त हों, तो यह योग बनता है.  पर्वत योग से युक्त व्यक्ति धनवान, समृ्द्धशाली, कामुक, शहर का मुखिया, परोपकारी और एक अधिकार सम्पन्न व्यक्ति होता है.  

खल योग कैसे बनते है. | How is Formed Khal Yoga 

खल कुल आठ प्रकार है. ये आठ योग पहले, दूसरे, चौथे, पांचवें, सातवें, नवें, दसवें और ग्यारवें भावों के स्वामियों में से किसी के भी तीसरे भाव के स्वामी के साथ राशि परिवर्तन करने पर बनते है. खल योग व्यक्ति को समृ्द्धि देते है, परन्तु इस योग के कारण व्यक्ति को वृ्द्धावस्था में दुर्भाग्य का आगमन कराता है. इसके अतिरिक्त यह योग आयु बढ्ने पर व्यक्ति को निर्धनता, दुर्दशा, सज्जनता और अभिमान देता है.  

दैन्य योग किस प्रकार के फल देता है. | How is Dainya Yoga Formed 

दैन्य योग 30 प्रकार के होते है. छठे, आठवें और बारहवें भाव के स्वामियों का शेष किसी भी भाव के स्वामी के साथ राशि परिवर्तन करने पर बनते है. यह योग व्यक्ति को सौभाग्य और समृ्द्धि में कमी करता है, पापपूर्ण कार्य करना, मूर्खता, दूसरों कि निन्दा करना, शत्रुओं के द्वारा यातना, अस्थिर बुद्धि, कार्यो में रुकावटें आदि है. दैन्य योग पूर्ण रुप से अशुभ नहीं होता है. शत्रुओं के कारण परेशानियां आती है. उद्यमशील कार्यो में पीछे हटना पडता है. लेकिन अगर बली और शुभ ग्रहों से दृ्ष्ट हों, तो व्यक्ति अपने शत्रुओं को नियन्त्रित करने में और रुकावटें दूर करने में समर्थ होता है.  

कहल योग कैसे बनता है. | How is Kahal Yoga Formed 

जब कुण्डली में चतुर्थेश व नवमेश एक-दूसरे से केन्द्र में और लग्नेश बली हो तब कहल योग बनता है. कहल योग से युक्त व्यक्ति हठी, साहसी, एक सेना या गांव का मुखिया, उदार, प्रसिद्ध, जीवन के अन्तिम भाग में सुखी, राजाओं से मान पाने वाला होता है.