बव करण फल

चन्द्रमा की एक कला तिथि कहलाती है. एक तिथि से दो नक्षत्र बनते है. इस प्रकार कृ्ष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष दोनों पक्षों की तिथियां मिलाकर 30 तिथियां बनती है. चरण एक तिथि में दो होते है. इस हिसाब से करण कुल 60 होने चाहिए. पर करण 60 न होकर केवल 11 ही है. इसमें भी प्रारम्भ के 7 करण चर प्रकृति के हैं, और बाकी के चार स्थिर है. वे एक चन्द्र माह में एक-एक बार आते है. व्यक्ति का जन्म जिस राशि, लग्न, नक्षत्र में होता है, उनके गुण-विशेषताएं व्यक्ति के स्वभाव को प्रभावित करते है. आईये बव करण में जन्म लेने वाला व्यक्ति का स्वभाव कैसा हो सकता है. यह जानने का प्रयास करते हैं.

बव करण- व्यक्ति स्वभाव

इस करण में जन्म लेने वाले व्यक्ति जीवन में अपने कार्यों के लिए समाज में सराहा जाता है. वह अपने गुरुओं और अपने बडों का आदर करने वाला होता है. ऎसा व्यक्ति स्वभाव से खुशमिजाज प्रकृति का होता है. वह आशावादी स्वभाव का होता है. तथा उसकी सोच विस्तृत होती है. इसके अतिरिक्त वह धार्मिक आस्था युक्त होता है. शिक्षा क्षेत्र में वह अपनी योग्यता के लिए सम्मान प्राप्त करता है.

शुभ प्रकृति के कार्यो को करने में सदैव अग्रणी भूमिका निभाता है. तथा दूसरों को सहयोग या दान-धर्म में उसकी स्वभाविक रुचि होती है. उदारवादी होने के कारण दूसरों के दु:ख बांटने का प्रयास करता है. बव करण में जन्म लेने वाला व्यक्ति स्थिर विचारों का होता है.

बव करण कब आता है

बव करण एक गतिशील करण है. यह चलायमान रहता है. तिथि में ये करण बार-बार आता है. यह एक सौम्य करण माना गया है. अस्थिर करण होने पूर्णिमा और अमावस की तिथियों को छोड़ कर बाकी तिथियों की गणना के अनुरुप आता रहता है.

बव करण-चरसंज्ञक है

बव करण चरसंज्ञक है. शेष अन्य चरसंज्ञक करणों में बालव, कौलव, तैतिल, गर, वणिज और विष्टि है. बाकी के बचे हुए चार करण शकुनि, चतुष्पाद, नाग और किस्तुघ्न ध्रुव करण कहलाते है.

बव करण में क्या काम करें

बव करण को शुभ करण की श्रेणी में रखा गया है. इस करण में सगाई, विवाह, गृह निर्माण, गृह प्रवेश इत्यादि शुभ एवं मांगलिक कार्य किए जा सकते हैं. यह करण किसी काम के शुरु करने या किसी यात्रा को करने के लिए लिया जा सकता है. बव करण में व्यक्ति परिक्षा इत्यादि में सफल हो सकता है. साथ ही किसी प्रकार के अधूरे बचे हुए कामों को पूरा करने का मौका भी मिलता है. इस समय पर व्यक्ति अपनी जीत के लिए बहुत अधिक प्रयासशील रहता है. व्यक्ति साहस और मेहनत से भरे कामों को कर सकने में भी सक्षम होता है.

बव करण का मुहूर्त में महत्व

मुहूर्त निकालने के लिए बव करण को उपयोग में लिया जाता है. इस करण के दौरान व्यक्ति सकारात्मक कार्य, सफलता प्राप्ति के काम, शुभत अपाने के काम, नौकरी में ज्वाइनिंग का काम जैसे बहुत से काम किए जा सकते हैं. इस समय किसी के साथ मित्रता एवं किसी प्रकार के संधि प्रस्तावों पर भी काम शुरु किया जा सकता है.

बव करण फल

बव करण बालवस्था की स्थिति को प्राप्त करने वाला करण है. इस करण का प्रतीक सिंह है, इस प्रकार इस करण के प्रभाव स्वरुप जातक पराक्रम से युक्त काम करने की कोशिश करता है. इसकी अवस्था बालावस्था है और इसी कारण इसमें ऊर्जा भी अधिक रहती है. यह जातक को मिलनसार, स्वाभिमानी बनाता है. चंचलता भी अधिक रहती है . इसमें किए गए कामों में व्यवधान नही आते हैं और काम पूरा भी होता है. बव करण के प्रभाव से स्वास्थ्य सुख की पूर्ति होती है. विरोधियों और संकटों से लड़ने के लिए सदैव साहस का परिचय देने में सक्षम है.