जानिए, राक्षस गण क्या होता है?

वर-वधू की कुण्डली का मिलान करते समय मांगलिक दोष व अन्य ग्रहों दोषों के साथ साथ अष्टकूट मिलान भी किया जाता है. अष्टकूट मिलान के अलावा इसे कूट मिलान भी कहा जाता है. कूट मिलान करते समय आठ मिलान प्रकार के मिलान किए जाते है. जिसमें वर्ण मिलान, वैश्य मिलान, तारा मिलान, योनि मिलान, ग्रह मिलान, गण मिलान, भकूट मिलान व नाडी मिलान है. गण मिलान में राक्षस गण में जन्म लेने वाले व्यक्ति कौन से जन्म नक्षत्र के हो सकते है. आइये जानने का प्रयास करते है.

गण मिलान क्यों किया जाता है

गण मिलान करने पर वर-वधू का वैवाहिक जीवन सुखी ओर सामान्य भलाई के कार्यो में व्यतीत होने की संभावनाएं देता है. विवाह पश्चात इस प्रकार की कोई परेशानी न हो, इसीलिए गण मिलान किया जाता है. ज्योतिष शास्त्रों में यह मान्यता है, कि जिन वर-वधू का विवाह गण मिलान करने के बाद किया जाता है, उनके वैवाहिक जीवन में परस्पर कम विरोधाभास रहते हैं.

गण मिलान से व्यक्ति स्वभाव और व्यवहार को समझने में सहायता मिलती हैं. जब सोच में एक जैसी अनुभूति दिखाई देगी तो व्यक्ति एक दूसरे के प्रति सहयोगात्मक नजरिया रख सकता है. एक दूसरे के साथ मिलकर जीवन में आने वाले विभिन्न पड़ावों को मिल कर पार करने में भी सक्षम होता है.

राक्षस गण नक्षत्र

जिन व्यक्तियों का जन्म कृतिका नक्षत्र, मघा नक्षत्र, आश्लेषा नक्षत्र, विशाखा नक्षत्र, शतभिषा नक्षत्र, चित्रा नक्षत्र, ज्येष्ठा नक्षत्र, घनिष्ठा नक्षत्र और मूल नक्षत्र में हुआ होता है, वे सभी व्यक्ति राक्षस गण के अन्तर्गत आते है.

राक्षस गण फल

राक्षस गण के अंतर्गत कठोरता की स्थिति अधिक दिखाई देती है. राक्षस गण में जातक कुछ मनमर्जी अधिक करने वाला होता है. वह अपनी जिद के आगे दूसरों की चलने नहीं देना चाहता है. इन नक्षत्रों में जिन व्यक्तियों का जन्म होता है, उन व्यक्तियों को कलह करने की आदत हो सकती है. वह कठोर भाषण करने का आदी होता है.

कई बार व्यक्ति अपनी काम से दूसरों के साथ साथ खुद के लिए भी संकट खड़ा कर सकता है. व्यक्ति साहसी होता है और वाद विवाद में आगे रहता है. आसानी से हार नहीं मानना चाहता है. अपने काम को निकलवाने के लिए हर स्तर का प्रयास करने की कोशिश भी करता है.

राक्षस गण के प्रभाव से व्यक्ति में जल्दबाजी का गुण भी होता है. वह हर चीज को उत्साह ओर जोश के साथ सबसे पहले कर लेने की इच्छा भी रखता है. व्यक्ति को चोट अधिक लगती है. दुसाहसिक काम करने में सदैव आगे रहता है. (stylerecap.com) अपने कठोर कर्म के कारण उसके खुद के लिए भी स्थिति परेशानी की हो सकती है.

गण मिलान में गुण किस प्रकार निर्धारित करें

वर ,कन्या का गण समान हो तो 6 गुण, वर का देव तथा कन्या का मानव गण हो तो 6 गुण , कन्या का देव तथा वर का राक्षस गण हो तो 1 गुण, कन्या का राक्षस तथा वर का देव गण हो या एक का मानव व दूसरे का राक्षस गण हो तो 0 गुण मिलता है.

शुभ गण मिलान

वर और वधु दोनों अगर समान गण वाले हों तो यह स्थिति अच्छी मानी जाती है. समान गण होने पर पूरे 6 अंक मिलते हैं.

अशुभ गण मिलान

लड़का व लड़की दोनों देव-राक्षस और राक्षस-देव गण के हों तो यह गण मिलान अच्छा नहीं माना जाता है. इस मिलान में सिर्फ 1 अंक दिया जाता है. इसके अतिरिक्त मनुष्‍य के साथ राक्षस अथवा या राक्षस के साथ मनुष्‍य गण मिलान बहुत खराब माना जाता है. इसमें 0 अंक मिलते हैं.

गण दोष फल

गण दोष होने पर दोनों विवाह सुख बाधित होता है. वैचारिक मतभेद उभर सकते हैं. अलगाव और रिश्ते में तलाक की स्थिति भी प्रभावित कर सकते हैं.

गण दोष परिहार कैसे करें

जब वर-वधू की कुण्डलियों में जन्म राशि के स्वामी या नवाशं कुण्डली के लग्नेशों में मैत्री संबन्ध हो, तो यह गण दोष का परिहार हो रहा होता है. ऎसे में विशेष रुप से यह ध्यान रखा जाता है, कि दोनों की कुण्डलियों में भकूट दोष नहीं होना चाहिए.