रूचक योग - पांच महापुरुष योग | Ruchaka Yoga - Panch Mahapurusha Yoga | Malavya Yoga | Hans Yoga | Bhadra Yoga | What is The Budhaditya Yoga | Shash Yoga Result

पांच महापुरुष योग पांच ग्रहों के अपने राशि में स्थित होने अथवा उच्च के होकर केन्द्र में होने पर बनते है. इस प्रकार बनने वाले पांच योगों में से एक योग है. रुचक योग. 

रूचक योग किस प्रकार बनता है | How is Ruchaka Yoga Formed

जब कुण्डली में मंगल स्वराशि( मेष, वृ्श्चिक) अथवा मंगल अपनी उच्च राशि (मकर राशि ) में होकर केन्द्र में हो तो रुचक योग बनता है. 

रुचक योग के फल | Ruchaka Yoga Result

जिसके जन्म कुण्डली में रुचक योग बन रहा हो, वह व्यक्ति दीर्घायु वाला होता है. उसकी त्वचा साफ और सुन्दर होती है. शरीर में रक्त की मात्रा अधिक होती है. वह बली, और साहसी होता है. इसके साथ ही उसे सिद्धियां प्राप्त करने में विशेष रुचि हो सकती है. 

इस योग से युक्त व्यक्ति सुन्दर, भृ्कुटी, घने केश, हाथ-पैर सुडौल, मंत्रज्ञ, रक्तश्याम वर्ण, बडा शूर, शत्रुजित, शंख समान कण्ठ, बडा पराक्रमी, दुष्ट, ब्राह्माण, गुरु के सामने विनयशील, जनता से प्रेम करने वाला होता है. 

व्यक्ति में इन सभी गुणों के साथ साथ यह योग व्यक्ति को विपरीत परिस्थितियों से लडने की शक्ति देता है. इस योग से युक्त व्यकि अपने शत्रुओं को परास्त करनें में कुशल होता है.  

Hans Yoga

हंस योग से युक्त व्यक्ति विद्वान और ज्ञानी होता है. उसमें न्याय करने का विशेष गुण होता है. तथा हंस के समान वह सदैव शुभ आचरण करता है. उसमें सात्विक गुण पाये जाते है. 

हंस योग कैसे बनता है | How is Hans Yoga Formed

हंस योग उस समय बनता है, जब कुण्डली में लग्न, पंचम, नवम, सप्तम भाव में सभी ग्रह स्थित हो, जिस व्यक्ति की कुण्डली में हंस योग होता है, उस व्यक्ति में सही - गलत का निर्णय करने की योग्यता होती है. वह व्यक्ति उत्तम् कार्य करने वाला व उच्च कुल में जन्म लेने वाला होता है. 

 यह योग व्यक्ति में निर्णय योग्यता में बढोतरी करता है. 

Bhadra Yoga 

पांच महापुरुष योगों में से एक अन्य योग है. भद्र योग, यह योग भी शुभ योगों की श्रेणी में आता है. तथा इस योग से युक्त व्यक्ति धन, कीर्ति, सुख-सम्मान प्राप्त करता है. 

कुण्डली में जब बुध स्वराशि (मिथुन, कन्या) में हो तो यह योग बनता है. साथ ही बुध का केन्द्र अमें होना भी आवशय है. कुछ शास्त्र इसे चन्द्र से केन्द्र में भी लेते है. भद्र योग अपने नाम के अनुसार व्यक्ति को फल देता है.

भद्र योग फल | Bhadra Yoga Result

भद्र योग में जन्म लेने वाला व्यक्ति सिंह के समान फुर्तीला होता है. उसकी चाल हाथी के समान कहीं गई है. वक्षस्थल पुष्ट होता है. गोलाकारक सुडौळ बाहें, कामी, विद्वान, कमल के समान हाथ-पैर होते है. सत्वगुण, कान्तिमय त्वचा युक्त होता है. 

इसके अतिरिक्त जिसका जन्म भद्र नामक योग में हुआ हो, उसके हाथ-पैर में शंख, तलवार, हाथी, गदा, फूल,  बाण, पताका, चक्र, कमल आदि चिन्ह हो सकते है. उसकी वाणी सुन्दर होती है. इस योग वाले व्यक्ति की दोनों भृ्कुटी सुन्दर, बुद्धिमान, शास्त्रवेता, मान सहित भोग भोगने वाला, बातों को छिपाने वाला, धार्मिक, सुन्दर ललाट, धैर्यवान, काले घुंघराले बाल युक्त होता है.  

भद्र योग वाला व्यक्ति सब कार्य को स्वतन्त्र रुप से करने में समर्थ होता है. अपने जन को भी क्षमा न करने वाला तथा उसकी संपति को अन्य भी भोगते है. 

Malavya Yoga

पांच महापुरुष योगों को पंच-महापुरुष योग भी कहते है. यह योग पांच श्रेष्ठ योगों का समूह है. पांच महापुरुष योग में रुचक योग, हंस योग, मालव्य योग, भद्र योग व शश योग आते है. इन पांचों योगों को एक साथ पंच महापुरुष योग के नाम से जाना जाता है. 

मालव्य योग कैसे बनता है | How is Malavya Yoga Formed

शुक्र जब कुण्डली में स्वराशि (वृ्षभ, तुला) राशि में हो, तो मालव्य योग बनता है. 

मालव्य योग फल | Malavya Yoga Result

मालव्य योग में जन्म लेने वाले व्यक्ति को विदेश स्थानों की यात्रा करने के अवसर प्राप्त होते है. मालव्य योग में उत्पन्न व्यक्ति पतले होंठ वाला होता है, अंगों की संधियां रक्त रहित, दुर्बल, चन्द्रमा के समान कान्ति, दीर्घ नासिका, सुन्दर गाल, उत्तम तेज दृष्टि, सर्वत्र पराक्रमी, लम्बी बाहें, और दीर्घायु वाला होता है.

Budhaditya Yoga | Budhaaditya Yog Result | What is The Budhaditya Yoga"/>कुण्डली में ग्रहों अपनी विशेष स्थिति में होने पर विशेष रुप से शुभ या अशुभ फल देने वाले हो जाते है.  इस स्थिति को योग कहा जाता है. योग बनाने वाले ग्रहों की फल देने की क्षमता बढ जाती है.  योग शुभ हो तो व्यक्ति को शुभ फल प्राप्त होते है. इसके विपरीत योग अशुभ बन रहा हो तो व्यक्ति को योग के परिणाम अशुभ रुप में प्राप्त होते है.   

बुद्धादित्य योग क्या है | Budhaditya Yoga Meaning | What is The Budhaditya Yoga 

जब कुण्डली में सूर्य और बुध किसी भी रशि में एक साथ हो तो बुद्धादित्य योग बनता है. बुद्धादित्य योग जिस व्यक्ति की कुण्डली में होता है, वह व्यक्ति बुद्धिमान, विद्वान, और तेजस्वी होता है. उसमें साहस भाव भी भरपूर पाया जाता है. तथा अपने बौद्धिक कार्यो से वह उन्नतिशील बनता है. इसके अतिरिक्त ऎसा व्यक्ति अपने सिद्धान्तों पर स्थिर रहकर् जीवन व्यतीत करता है. 

Shash Yoga Result"/>शश योग शनि से बनने वाला योग, जिस व्यक्ति की कुण्डली में यह योग हो, उस व्यक्ति के जीवन की मुख्य घटनाएं शनि देव से प्रभावित रहती है. शश योग विशेष योगों की श्रेणी में से आता है. साथ ही यह योग पांच महापुरुष योग भी है. 

शश योग कैसे बनता है | How is Shash Yoga Formed

कुण्डली में जब शनि स्वराशि (मकर,कुम्भ) में हो,  अथवा शनि अपनी उच्च राशि तुला में होकर, कुण्डली के केन्द्र भावों में स्थित हो, उस समय यह योग बनता है. एक अन्य मत के अनुसार इस योग को चन्द्र से केन्द्र में भी देखा जाता है. 

शशक योग फल | Shash Yoga Result

शश योग को शशक योग के नाम से भी जाना जाता है. इस योग में जन्म लेने वाला व्यक्ति छोटे मुंह वाला, जिसकें छोटे छोटे दांत होते है. उसे घूमने-फिरने के शौक होता है. वह भ्रमण उद्देश्य से अनेक यात्राएं करता है. शश योग वाला व्यक्ति क्रोधी, हठी, बडा वीर, वन-पर्वत,किलों में घूमने वाला होता है. उसे नदियों के निकट रहना रुचिकर लगता है. इसके अतिरिक्त उसे घर में मेहमान आने प्रिय लगते है. कद से मध्यम होता है. व उसे अपनी मेहनत के कार्यो से प्रसिद्धि प्राप्त होती है. 

ऎसा व्यक्ति दूसरों के सेवा करने में परम सुख का अनुभव करता है. धातु वस्तु निर्माण में कुशल होता है. चंचल नेत्र होते है. विपरीत लिंग का भक्त होता है. दूसरे का धन का अपव्यय करता है. माता का भक्त होता है. सुन्दर पतली कमर वाला होता है.  सुबुद्धिमान और दूसरों के दोष ढूंढने वाला होता है.