सरल योग विपरीत राजयोग

जन्म कुण्डली में कुछ योग इस प्रकार के बनते हैं जिनमें उन योग का फल सीधे न मिलकर विपरीत रुप से फल मिलता है, इसका अर्थ हुआ की कष्ट तो मिलेगा लेकिन उसके बाद राहत भी मिलनी संभव हो पाएगी. विपरित राजयोग के अन्तर्गत सरल नामक योग बनता है.

दु:स्थान के प्रभाव में बनने वाला यह व्यक्ति को इन भावों के कष्टों पर विजय पाने की शक्ति देता है. विपरीत राजयोग ऎसा योग है जो खराब भावों से भी जातक को अच्छे फल देने की संभावनाएं बढ़ा देता है. यह शुभ फल देने वाला योग बनता है. यह योग व्यक्ति को थोड़े सी मेहनत पर भी बेहतर फल देने की योग्यता रखता है.

छठा भाव -

जन्म कुण्डली में छठा भाव जातक के जीवन में होने वाली बीमारी, दुर्घटना, कर्ज, लड़ाई झगड़ों की स्थिति को दर्शाता है. इस भाव के प्रभाव का जातक के जीवन पर बहुत अहम रोल होता है. कुण्डली में इस भाव को कष्ट स्थान कहा जाता है क्योंकि इस भाव से जातक के जीवन के दुख इत्यादि का पता चलता है. इस स्थान के प्रभाव से बनने वाला सरल नामक विपरीत राजयोग व्यक्ति को बहुत कुछ सकारात्मक फल देने में बहुत सक्षम होता है.

आठवां भाव -

जन्म कुण्डली का आठवां भाव, एक ऐसा अंधकारमय स्थान हैं जिसकी गहराई को नहीं जाना जा सकता है. यह स्थान जातक की आयु को बताता है. इस भाव से जातक के जीवन में आने वालीकठिनाइयां, व्यवधान अर्थात रुकावटें, गड़ा हुआ धन या कहें की ऐसा धन जिसके विषय में किसी को पता ही नहीं चल पाता है. अचानक से घटने वाली घटनाएं, गुप्त रहस्य एवं बातें इत्यादि. इस स्थान की शुभता का प्रभाव भी जातक को इस सरल नामक विपरीत राजयोग में मिलता है.

बारहवां भाव -

जन्म कुण्डली का बारहवां भाव व्यक्ति के खर्चों को दिखाता है. जातक के जीवन में होने वाले सभी प्रकार के व्यय अर्थात खर्चे इसी भाव से देखे जाते हैं. इस भाव से जेल यात्रा, विदेश यात्रा, चिकित्साल्य, आपके यौन संबंधों की संतुष्टि, निंद्रा इत्यादि चीजें आप इसी से देख सकते हैं. सरल योग में इस भाव का भी बहुत महत्वपूर्ण प्रभाव होता है और इस भाव से मिलने अच्छे प्रभावों को इस योग से मिल पाता है.

सरल योग विपरीत राज योगों में से एक योग है. यह योग व्यक्ति को विपरीत परिस्थितियों से लडने की योग्यता देता है. इस योग से युक्त व्यक्ति जीवन की विपरीत परिस्थितियों का सामना कुशलता के साथ करता है तथा संघर्ष की स्थिति में वह घबराता नहीं है.

सरल योग कैसे बनता है

जन्म कुण्डली में जब आठवें भाव का स्वामी छठे या बारहवें भाव में, स्थित हो तो यह सरल नामक राजयोग कहलाता है.

सरल योग में जन्मा जातक

जिस व्यक्ति की कुण्डली में सरल योग हो, वह व्यक्ति विद्वान होता है, अपने प्रयासों से वह अतुलनीय धन प्राप्त करने में सफल रहता है. इसके साथ ही वह संपति का भी स्वामी होता है. व्यक्ति प्रसिद्ध होता है. वह अपने सिद्धांतों पर अटल रहने वाला होता है, निर्णय लेने में कुशल होता है. इस योग से युक्त व्यक्ति आदर्शवादी होता है. वह व्यक्ति अपने शत्रुओं पर विजय पाने वाला तथा दीर्घायु होता है. जातक को अपने शत्रुओं से भी लाभ मिलता है वह उसके लिए फ़ायदेमंद हो सकते हैं.

सरल योग एक शुभ विपरीत राजयोग कहा जा सकता है. इस योग में जन्मा जातक अपने भाग्य और अपने कर्मों के शुभ फलों को प्राप्त कर सकेगा. इस योग के कारण व्यक्ति के जीवन में आने वाला कष्ट तो होगा लेकिन उस कष्ट से बाहर निकलते हुए जातक को सुख भी मिल सकेगा. इसे हम इस तरह से समझ सकते हैं की एक होगा राजयोग जिसमें व्यक्ति को शुभ स्थिति ही मिलेगी. जीवन में परेशानी नहीं आएगी. लेकिन विपरीत राजयोग के कारण जातक के जीवन में कठिनाईयां तो होंगी पर वह अपने भाग्य और कर्म द्वारा उस कष्ट से निकलते हुए जीवन के शुभ फलों को पा सकेगा.

सरल योग फल

सरल नामक विपरीत राजयोग अपने नाम के अनुरूप होता है. वह सरल रुप अर्थात साधारण रुप में होते हुए भी एक असाधारण प्रभाव देता है. जातक को इसके असरदायक प्रभाव दिखाई देते हैं. यह योग ऐसे समय पर जातक को फल देता है जब व्यक्ति एक ऐसे स्थान पर अटक जाता है किसी परेशानी में पड़ जाता है और उसे महसूस होता है की वह इस स्थिति से निकल नहीं पाएगा तो उस स्थिति में व्यक्ति यह योग अपना प्रभाव दिखाता है और व्यक्ति अचानक से उस स्थिति से उबर जाता है और अप्रत्याशित फल पाता है.