वास्तविक प्रश्न की जाँच | Enquiry of Real Prashna

प्रश्न कुण्डली के लिए कई तरीकों का उपयोग विभिन्न स्थानों पर किया जाता है. इस बारे में आपको आरम्भ के अध्याय में बताया गया है. कई बार प्रश्नकर्त्ता मजाक में प्रश्न में भी प्रश्न कर लेता है और कई बार कई मूर्ख तथा अज्ञानी व्यक्ति ज्योतिषी के ज्ञान की परीक्षा हेतु भी प्रश्न कर लेते हैं. यदि प्रश्नकर्त्ता इस विद्या की हँसी उडा़ने वाला, पाखण्डी अथवा धूर्त है तो कोशिश करें कि प्रश्न कुण्डली नहीं लगानी चाहिए. प्रश्नकर्त्ता वास्तविक है या नहीं है इसकी जानकारी प्रश्न कुण्डली से मिलती है. यदि आपको प्रश्नकर्त्ता के विषय में जानकारी प्राप्त नहीं होती है और आप प्रश्न कुण्डली लगाते हैं तब प्रश्न कुण्डली के कुछ योग होते हैं जिनसे आपको पता चल जाता है कि प्रश्नकर्त्ता ज्योतिषी का समय नष्ट कर रहा है. इन कुछ योगों की जानकारी आपको दी जा रही है. यह योग हैं :-

 
(1) यदि प्रश्न कुण्डली के लग्न में अथवा सप्तम भाव में बलवान पाप ग्रह स्थित हो तब प्रश्न करने वाला व्यक्ति धूर्त अथवा कुटिल ह्रदय का व्यक्ति होता है.
 
(2) यदि प्रश्न कुण्डली के लग्न में चन्द्रमा स्थित है. कुण्डली के केन्द्र स्थानों में से किसी एक स्थान में सूर्य, बुध तथा शनि एक साथ स्थित हैं तब प्रश्न करने वाला जातक धूर्त है. वह बेकार ही प्रश्न कर रहा है.
 
(3) प्रश्न कुण्डली के लग्न में चन्द्रमा और केन्द्र स्थान में शनि हो और बुध अस्त हो तो प्रश्न करने वाले जातक का ह्रदय कुटिल होता है.

(4) प्रश्न कुण्डली में चन्द्रमा को मंगल तथा बुध पूर्ण दृष्टि से देख रहें हों तो प्रश्न करने वाला व्यक्ति केवल उपहास के लिए प्रश्न कर रहा है.

(5) प्रश्न कुण्डली में लग्नेश तथा सप्तमेश पर चन्द्रमा तथा गुरु की शत्रु दृष्टि हो तो प्रश्न करने वाला व्यक्ति मजाक के लिए प्रश्न कर रहा है.

(6) प्रश्न कुण्डली में मंगल ग्रह, छठे भाव का स्वामी होकर लग्न में शनि के साथ स्थित हो तो प्रश्नकर्त्ता दुष्ट होता है.

(7) प्रश्न कुण्डली में लग्नेश तथा सप्तमेश को चन्द्रमा तथा गुरु मित्र दृष्टि से देख रहे हों तो प्रश्नकर्त्ता सरल स्वभाव का व्यक्ति होता है.

(8) प्रश्न कुण्डली के लग्न में शुभ ग्रह स्थित हो या शुभ ग्रहों की दृष्टि लग्न पर हो तो प्रश्नकर्त्ता सज्जन व्यक्ति होता है.

(9) प्रश्न कुण्डली के सप्तम भाव में शुभ ग्रह हों या शुभ ग्रहों की दृष्टि सप्तम भाव पर हो तो प्रश्न करने वाला व्यक्ति धूर्त नहीं होगा.

(10) प्रश्न कुण्डली में चन्द्रमा तथा गुरु दोनों ही केन्द्र व त्रिकोण स्थान में मित्र राशि में हों अथवा बुध तथा गुरु लग्न या सप्तम भाव में हों तो प्रश्नकर्त्ता सरल होता है.

(11) प्रश्न कुण्डली में मंगल, चन्द्रमा तथा बुध को देखता हो तो प्रश्न करने वाला व्यक्ति ज्योतिषी की परीक्षा लेने के लिए प्रश्न कर रहा है.

यदि इन दोनों ग्रहों को गुरु या शुक्र देख रहें हों तो प्रश्नकर्त्ता अपनी यथार्थ स्थिति के बारे में ज्योतिषी से परामर्श लेना चाहता है.

एक समय में अनेक प्रश्नों का निर्णय
प्रश्न कुण्डली किसी एक विषय को लेकर बनाई जाती है लेकिन कई बार ऎसा होता है कि प्रश्नकर्त्ता जब ज्योतिषी के पास आता है तब परिस्थितिवश वह एक बाद दूसरा तथा तीसरा प्रश्न भी कर लेता है. ऎसे में ज्योतिषी को उत्तर देते समय तथा कुण्डली का आंकलन करते समय विशेष सावधानी बरतनी चाहिए.

प्रश्नकर्त्ता के पहले प्रश्न का उत्तर प्रश्न कुण्डली के लग्न से देखना चाहिए. दूसरे प्रश्न का उत्तर चन्द्रमा का विश्लेषण करके देना चाहिए. तीसरे प्रश्न का उत्तर सूर्य जिस भाव में स्थित हो उससे देना चाहिए. चौथे प्रश्न का उत्तर गुरु ग्रह जिस भाव में स्थित हो उस भाव का विश्लेषण करने के बाद देना चाहिए. पांचवें प्रश्न का उत्तर बुध तथा शुक्र में से जो ग्रह बली हो और वह जिस भाव में स्थित हों उस भाव से देना चाहिए.   

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