नाग पंचमी 2024 "कालसर्प योग शान्ति महोत्सव" (Nag Panchami 2024- An Occasion to Pacify Kalsarp Yoga)
नाग पंचमी श्रावण मास में शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है. वर्ष 2024 में यह 21 अगस्त के दिन मनाया जायेगा. यह श्रद्धा व विश्वास का पर्व है. इस दिन नागों को धारण करने वाले भगवान भोलेनाथ की पूजा आराधना करने का विशेष विधान है.
नाग पंचमी की विशेषता (Importance of Nag Panchami)
शास्त्रों के अनुसार पंचमी तिथि के स्वामी नाग देवता है. श्रवण मास में नाग पंचमी होने के कारण इस मास में धरती खोदने का कार्य नहीं किया जाता है. श्रवण मास के विषय मेम यह मान्यता है कि इस माह में भूमि में हल नहीं चलाना चाहिए, नीवं नहीं खोदनी चाहिए. इस अवधि में भूमि के अंदर नाग देवता का विश्राम कर रहे होते है. भूमि के खोदने से नाग देव को कष्ट होने की संभावना रहती है.
नाग पंचमी के उपवास की विधि (Method of Fasting on Nag Panchami)
देश के कई भागों में श्रावण मास की कृ्ष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को भी नाग पंचमी मनाई जाती है. नाग पंचमी में व्रत उपवास करने से नाग देवता प्रसन्न होते है. इस व्रत में पूरे दिन उपवास रख कर सूर्य अस्त होने के बाद नाग देवता की पूजा के लिये प्रसाद में खीर मनाई जाती है. खीर का भोग सबसे पहले नाग देवता को लगाया जाता है.
अथवा भगवान शिव को भोग लगाया जाता है. इसके बाद इस खीर को प्रसाद के रुप में सभी लोग ग्रहण करते है. इस उपवास में नम व तली हुई चीजों को ग्रहण करना वर्जित माना जाता है. उपवास रखने वाले व्यक्ति को उपवास के नियमों का पालन करना चाहिए.
दक्षिण भारत में नाग पंचमी का रुप (Nag Panchami South India)
भारत के दक्षिण क्षेत्रों में श्रवण शुक्ल पक्ष की नाग पंचमी में शुद्ध तेल से स्नान किया जाता है. वहां अविवाहित कन्याएं इस दिन उपवास करती है. और मनोवांछित जीवनसाथी पाने की कामना करती है.
नाग पंचमी में बासी भोजन ग्रहण करने का विधान (System of Consuming Stale Food on Nag Panchami)
नाग पंचमी के दिन मात्र पूजा में प्रयोग होने वाला भोजन ही तैयार किया जाता है. बाकि भोजन एक दिन पहले ही बनाया जाता है. परिवार के जो सदस्य उपवास नहीं कर रहे हे. उन्हें बासी भोजन ही ग्रहण करने के लिये दिया जाता है. वैसे ताजे भोजन में खीर, चावल -सैवईयां इस दिन लोग घरों में बनाते है.
मुख्य द्वार पर नाग देवता की आकृ्ति पूजा (Worshiping Nag at the Main Entrance)
नाग पंचमी के दिन उपवासक अपने घर की दहलीज के दोनों और गोबर से पांच सिर वाले नाग की आकृति बनाते है. गोबर न मिलने पर गेरु का प्रयोग भी किया जा सकता है. इसके बाद दुध, दुर्वा, कुशा, गंध, फूल, अक्षत, लड्डूओं से नाग देवता की पूजा कि जाती है. तथा नाग स्त्रोत या निम्न मंत्र का जाप किया जाता है.
"ऊँ कुरुकुल्ये हुँ फट स्वाहा"
इस मंत्र की तीन माला जप करने से नाग देवता प्रसन्न होते हैं. नाग देवता को चंदन की सुगंध विशेष प्रिय होती है. इसलिये पूजा में चंदन का प्रयोग करना चाहिए. इस दिन की पूजा में सफेद कमल का प्रयोग किया जाता है. उपरोक्त मंत्र का जाप करने से "कालसर्प योग' के अशुभ प्रभाव में कमी आती है यानी कालसर्प योग की शान्ति होती है.
मनसा देवी को प्रसन्न करना (Making Goddess Mansa Happy)
उतरी भारत में श्रवण मास की नाग पंचमी के दिन मनसा देवी की पूजा करने का विधान भी है. देवी मनसा को नागों की देवी माना गया है. इसलिये बंगाल, उडिसा और अन्य क्षेत्रों में मनसा देवी के दर्शन व उपासना का कार्य किया जाता है.
काल-सर्प योग की शान्ति (Pacification of Kalsarpa Yog)
जिन व्यक्तियों की कुण्डली में "कालसर्प योग' बन रहा हों, उन्हें इस दोष की शान्ति के लिये उपरोक्त बताई गई विधि से उपवास व पूजा-उपासना करना लाभकारी रहेगा.
नाग-पंचमी में क्या न करें (What Not to Do on Nag Panchami)
नाग देवता की पूजा उपासना के दिन नागों को दूध पिलाने का कार्य नहीं करना चाहिए. उपासक चाहें तो शिव लिंग को दूग्ध स्नान करा सकते है. यह जानते हुए कि दूध पिलाना नागों की मृत्यु का कारण बनता है. ऎसे में उन्हें दूध पिलाना अपने हाथों से अपने देवता की जान लेने के समान है. इसलिये भूलकर भी ऎसी गलती करने से बचना चाहिए. इससे श्रद्धा व विश्वास के पर्व में जीव हत्या करने से बचा जा सकता है.