गणेश चतुर्थी उपवास विधि (Ganesh Chaturthi Vrat Method)

ganchaturthi1श्री गणेश को सभी देवताओं में सबसे पहले प्रसन्न किया जाता है. श्री गणेश विध्न विनाशक है. श्री गणेश जी बुद्धि के देवता है, इनका उपवास रखने से मनोकामना की पूर्ति के साथ साथ बुद्धि का विकास व कार्यों में सिद्धि प्राप्त होती है. श्री गणेश को भोग में लडडू सबसे अधिक प्रिय है. इस चतुर्थी उपवास को करने वाले जन को चन्द्र दर्शन से बचना चाहिए.


श्री गणेश चतुर्थी व्रत कैसे करें? (How to Do Ganesh Chaturthi Vrat?)

श्री गणेश को चतुर्थी तिथि बेहद प्रिय है, व्रत करने वाले जन को इस तिथि के दिन प्रात: काल में ही स्नान व अन्य क्रियाओं से निवृ्त होना चाहिए. इसके पश्चात उपवास का संकल्प लिया जाता है. संकल लेने के लिये हाथ में जल व दूर्वा लेकर गणपति का ध्यान करते हुए, संकल्प में यह मंत्र बोलना चाहिए.

"मम सर्वकर्मसिद्धये सिद्धिविनायक पूजनमहं करिष्ये"


इसके पश्चात सोने या तांबे या मिट्टी से बनी प्रतिमा चाहिए. इस प्रतिमा को कलश में जल भरकर, कलश के मुँह पर कोरा कपडा बांधकर, इसके ऊपर प्रतिमा स्थापित की जास्ती है. फिर प्रतिमा पर सिंदूर चढाकर षोडशोपचार से उनका पूजन किया जाता है.


पूजा करने के बाद आरती की जाती है. श्री गणेश जी की आरती इस प्रकार है... (Arathi is performed after Puja. The Arathi of Sree Ganash is given here...)


जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

लडुअन के भोग लागे, सन्त करें सेवा। जय ..

एकदन्त, दयावन्त, चार भुजाधारी।

मस्तक सिन्दूर सोहे, मूसे की सवारी॥ जय ..

अन्धन को आंख देत, कोढि़न को काया।

बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया॥ जय ..

हार चढ़े, पुष्प चढ़े और चढ़े मेवा।

सब काम सिद्ध करें, श्री गणेश देवा॥

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

विघ्न विनाशक स्वामी, सुख सम्पत्ति देवा॥ जय ..

पार्वती के पुत्र कहावो, शंकर सुत स्वामी।

गजानन्द गणनायक, भक्तन के स्वामी॥ जय ..

ऋद्धि सिद्धि के मालिक मूषक सवारी।

कर जोड़े विनती करते आनन्द उर भारी॥ जय ..

प्रथम आपको पूजत शुभ मंगल दाता।

सिद्धि होय सब कारज, दारिद्र हट जाता॥ जय ..

सुंड सुंडला, इन्द इन्दाला, मस्तक पर चंदा।

कारज सिद्ध करावो, काटो सब फन्दा॥ जय ..

गणपत जी की आरती जो कोई नर गावै।

तब बैकुण्ठ परम पद निश्चय ही पावै॥ जय .

श्री गणेशाय नम:


आरती के पश्चात दक्षिण अर्पित करके 21 लड्डुओं का भोग लगाया जाता है. इसमें से पांच लड्डू श्री गणेश जी की प्रतिमा के पास रखकर शेष ब्राह्मणों में बाँट दिये जाते है.


विशेष- गणेश चतुर्थी के दिन, चन्द्र दर्शन वर्जित होता है, इस दिन चन्द्र दर्शन करने से व्यक्ति पर झूठे कलंक लगने की आंशका रहती है. इसलिये यह उपवास को करने वाले व्यक्ति को अर्ध्य देते समय चन्द्र की ओर न देखते हुए, नजरे नीची कर अर्ध्य देना चाहिए.