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कृष्णमूर्ति पद्धति और पांचवा भाव – KP Astrology and Fifth House

कुण्डली का पांचवा भाव (fifth house) संतान भाव होने के साथ-साथ चतुर्थ भाव से दूसरा भाव भी है. इसलिये भौतिक सुख -सुविधाओं में वृद्धि की संभावनाएं देता है. जबकि छठा घर शत्रु भाव होने के साथ-साथ कोर्ट-कचहरी का स्थान होता है. इन दोनों भावों के विषय में कृष्णमूर्ति पद्धति में और भी बहुत कुछ कहा गया है.

पंचम भाव (Consideration of the Fifth House as per K.P. Systems)

पाचवें घर से शरीर के अंगों में दिल, रीढ की हड्डी का विचार किया जाता है. इस भाव से संम्बन्धित शरीर के अंगों की जानकारी प्राप्त करने के पश्चात प्रश्न कुण्डली से रोग को ढूंढने में सहयोग प्राप्त होता है. जिससे रोग की इलाज सरल होता है.

पंचम भाव से देखी जाने वाली बातें: (Information of the Fifth House as per K.P. Systems)

इस भाव से ईश्वरीय ज्ञान देखा जाता है. किसी व्यक्ति की ईश्वर पर कितनी श्रद्धा है. इसकी जानकारी पंचम घर से ही प्राप्त होती है. पंचम घर से नाटक, फिल्म, कलाकार, तथा फिल्म उद्योग (film industry) से जुड़े विषयों को देखा जाता है.

पंचम भाव से संबन्धित अन्य बातें:-(Other Information of the Fifth House as per K.P. Systems)

पंचम घर अभिनय स्थान होता है. सभी प्रकार के अभिनय स्थलों को इस घर से देखा जाता है. स्टेडियम, खेल का मैदान, सभी प्रकार के खेल तथा खेल के साधन इन सभी बातों का विचार पंचम घर से किया जाता है. संतान से प्राप्त होने वाला सुख, शयन सम्बन्धी परेशानियां, समझौता, शेयर बाजार, नृत्य के मंच एवं प्रेम प्रसंगों के विषय में भी इसी घर से विचार होता है. पंचम भाव से पूर्व जन्म के पुण्य का भी ज्ञान मिलता है.

पांचवा घर तीसरे घर से तीसरा भाव होता है इस कारण इस घर से भाई-बन्धुओं की छोटी यात्राओं का आंकलन किया जाता है. जीवनसाथी से लाभ, पिता की धार्मिक आस्था, पिता की विदेश यात्रा, कोर्ट-कचहरी के फैसले के विषय में भी यही घर जानकारी देता है. यह स्थान छठे घर से बारहवां स्थान है जिसके कारण प्रतियोगिता कि भावना कमी करता है. नौकरी में बदलाव, उधार लिये गये ऋण की हानि भी दर्शाता है.

घर में स्थान:-(Place of the Fifth House in the Home as per K.P. Systems)

घर में रसोईघर को पंचम भाव का स्थान माना जाता है.

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