प्रश्न कुण्डली | Prashna Kundli | What is Prashna Kundali

यदि दो ग्रह एक दूसरे से 1, 4, 7 या 10 की स्थित में हों तो उस मामले में भी घटना घटित हो सकती है लेकिन लगातार संघर्ष व जद्दोजहद के बाद ही कुछ होता है.

दो ग्रहों के आपस में सामान्य प्रभाव नहीं हों या 2, 6, 8 और 12 वें भावों में हों, तो उस मामले में, असफलता और नुकसान हो सकता है.

ताजिक ज्योतिष में दो महत्वपूर्ण योग हैं जो प्रश्न कुण्डली के जवाबों को निकालने में सबसे ज्यादा उपयोग किए जाते हैं. लग्नेश और सवाल के इन योग को समझने के लिए सूक्षमता से अध्ययन करने की आवश्यकता है.

ताजिक योगों को समझने के लिए लग्नेश और कारकों एवं इसके महत्व को समझने के लिए सबसे पहले, तेज चलने वाले ग्रह और धीमे चलने वाले ग्रहों को जानना होगा. तेजी से बढ़ ग्रह धीमी गति से चलते ग्रह के पीछे है, तो घटना निकट भविष्य में हो सकेगी.

हम एक उदाहरण से इस बात को समझ सकते हैं. यदि कोई प्रश्न नौकरी या व्यवसाय से संबंधित है, और मेष लग्न है तथा 10 वें भाव में मकर राशि है अधिपत्य होता है जिसके स्वामी शनि ग्रह हैं इसलिए यहां शनि का प्रभाव रहेगा.

लग्नेश मंगल, शनि ग्रह की तुलना में तेज चलने वाला ग्रह है. यदि मंगल ग्रह शनि ग्रह के पिछे हो तो यह आने वाले समय में शनि को पकड़ सकेगा. इसलिए नौकरी या व्यवसाय से संबंधित कार्यों में भविष्य़ में अनुकूलता मिल सकेगी. इसे इत्थशाल योग कहा जाता है जो कि एक अच्छा योग है.

धीमी गति से चलती वाला ग्रह तेज गती से चलने वाले ग्रह के पिछे हो तो यह कहा जा सकता है कि घटना हो चुकी है और फल नहीं मिलेगा. इसे अनुकूल नहीं माना जाता है जो इशराफ योग' भी कहा जाता है.

ये दोनों योग प्रश्न कुण्डली में प्रमुख स्थान रखते हैं. इन योगों का उल्लेख व फल कथन करने से पूर्व इस बात का ध्यान रखना आवश्यक होता है कि यह किस प्रकार से बन रहे हैं.

लग्नेश और कार्येश एक दूसरे से 3, 5, 9 और 11 वें भाव में स्थित होकर इत्थशाल योग बना रहे हों तो उनके बीच अच्छा फल मिल सकता है. यह संकेत इस बात को दर्शाता है कि कम मेहनत करने पर भी अच्छे फलों की प्राप्ति हो सकेगी.

लग्नेश और कार्येश इत्थशाल योग रूप में एक दूसरे से 1,4, 7 या 10 वें भाव में होंतो तो उन दोनों के मध्य बुरे प्रभाव देखे जा सकते हैं. ऐसे मामलों में, यह बुरा पहलू इस बात को दर्शाता है कि बहुत सारे संघर्ष के बाद ही कुछ सफलता मिल सकती है.

ग्रहों के बीच कोई संबंध न हो तो, घटना के फलित होने में संदेह ही रहता है. यहां अनेक शुभ और अशुभ प्रभाव संबंधित घटना में प्रभाव डालने वाले होते हैं.

इसके अलावा ताजिक योग में 11 वां भाव और उसका स्वामी एक महत्वपूर्ण कारक है किसी भी प्रश्न कुंडली में. ग्यारहवां भाव उपचय भाव के रूप में जाना जाता है, और यह लाभ और सफलता का भाव भी है, एक अच्छा संबंध इसके स्वामी और लग्नेश के साथ होने पर शुभता देने वाला होता है.

ऊपर चर्चा में शनि ग्रह न केवल कारक है लेकिन 11 वें भाव का स्वामी भी है. यदि शनि शनि ग्रह 11 वें भाव में है और लग्नेश मंगल लग्न पर दृष्टि दे रहा हो या सातवें भाव पर तो यह नौकरी में लाभ को दर्शाता है लेकिन कुछ संघर्ष के साथ स्पष्ट संकेत देता है.

हम एक और उदाहरण के साथ यह समझते हैं कि यदि प्रश्न कुण्डली में वृषभ लग्न उदय हो रहा हो और प्रश्न कर्ता जानना चाहता हो कि उसे नौकरी कब तक मिल सकेगी, तब उस स्थिति में लग्नेश शुक्र होगा और शनि 10वें और बृहस्पति 11 वें भाव का स्वामी होगा.

शुक्र से गिनने पर यदि शनि के 4 या 7 वें या 10 वें भाव में है तो शुक्र और शनि के बीच एक बुरा प्रभाव होगा. यह बुरा पहलू नौकरी प्राप्त करने में कुछ बाधाएं और संघर्ष का संकेत होगा.परंतु यदि 11 वें भाव का स्वामी बृहस्पति शुक्र से 5 वें में है, तो बीच में एक अच्छा पहलू हो जाएगा शुक्र और बृहस्पति. इस उद्देश्य की पूर्ति का एक संकेत है. तब प्रश्नकर्ता को निश्चित रूप से काम मिल सकता है कुछ अन्य पहलुओं पर विचार करने के उपरांत हम इस बात में शुभता के संकेत दे सकते हैं.