लाल किताब कुण्डली के तीसरे घर में बृहस्पति का बुध, शुक्र, शनि और राहु-केतु के साथ संबंध | Relation Of Jupiter With Mercury, Venus, Saturn, Rahu/Ketu In The Third House Of Lal Kitab

बृहस्पति और बुध | Jupiter and Mercury

लाल किताब कुण्डली के तीसरे घर में बृहस्पति के साथ बुध की युति होने पर जातक को दोनों के शुभ फलों की प्राप्ति होती है. इस स्थिति में यदि इन पर शुभ ग्रहों का प्रभाव आ रहा होता है तो व्यक्ति अपने सामर्थ्य से अधिक फल की प्राप्ति करता है. वह किसी न किसी प्रकार से दूसरों की सहायता को पाने में सफल रहता है. बंधु जनों का साथ उसे प्राप्त होता है. वह अपने कार्यों में परिश्रम से अधिक अपनी बौद्धिकता को स्थान देता है. जातक को अपने भाई बंधुओं का साथ भी खूब मिलता है और उनसे सहायता भी प्राप्त होती है.

गुरू यदि शुभ राशियों में होता है तो व्यक्ति को अनुकूलता का अनुभव कराने वाला होता है. जातक को कई प्रकार की शुभता मिलती है. गुरू जनों का साथ मिलता है तथा उसकी शिक्षा का स्तर भी अनुकूल रहता है. व्यक्ति को भाग्य पर भरोसा होता है और मन में कोइ गिलाशिकवा नहीं रहता. काम को धैर्य से पूर्ण करने की चाह रखने में विश्वास रखता है जल्द ही किसी के द्वारा बहकावे में नहीं आता है.

व्यक्ति आर्थिक स्थिति के लिए प्रयासरत तो सदैव बना रहता है और साथ ही साथ उसके प्रयासों में उसके बुद्धि बल बहुत सहयोग रहता है. यह दोनों ग्रह धन और राज्य व अधिकारों की पूर्ति से जुडे़ होते हैं. परंतु यदि बृहस्पति पर अशुभ ग्रहों की दृष्टि आ रही हो तो वह अच्छे फल देने में सक्षम नहीं हो पाता है.

बृहस्पति और शुक्र | Jupiter and Venus

टेवे के तीसरे घर में बृहस्पति के साथ शुक्र की युति होने पर जातक को आर्थिक संपन्नता की प्राप्ति होती है. उसे अपने प्रयासों से अच्छे लाभ मिल सकते हैं. वह कर्मों द्वारा अपने कामों को अच्छी प्रकार से कर लेने में सक्षम होगा. वह भाई बंधुओं का सहायक बन सकता है उसकी सहायता द्वारा उसके बंधुओं का भाग्य भी चमकेगा. उसका धन उनके लिए भी होगा. शुभता के प्रभाव में होने पर जातक को यात्राओं से लाभ की प्राप्ति होगी वह जिस भी कार्य के लिए आगे जाना चाहेगा वहीं उसे लाभ की स्थिति प्राप्त हो सकेगी. जीवन साथी का भी साथ उसके लिए बहुत मददगार होगा.

स्त्री पक्ष से मजबूती और सहायता की प्राप्ति हो सकेगी. वह कंधे से कंधा मिला कर उसका साथ देने में आगे रहेगी. इस भाव में शुक्र की स्थिति व्यक्ति को कला के प्रति उदार बनाती है व्यक्ति अपनी छुपी प्रतिभा को सामने लाने का प्रयास भी करता है. व्यक्ति अधिकांश समय प्रवास में बिताना पसंद करता है, भटकाव से बचा रहता है क्योंकि शुभ का साथ मिलता है. अधिक परिश्रम से बचने का प्रयास भी करता है.

बृहस्पति और शनि | Jupiter and Saturn

बृहस्पति और शनि की तीसरे भाव में युति होने पर व्यक्ति को सामान्य रूप से आर्थिक संतुष्टि देने में सहायक होती है. व्यक्ति अपने लोगों पर अधिक निर्भर रह सकता है. लेकिन साथ ही व्यक्ति की वृद्धावस्था बेहतर रूप में व्यतीत होती है और उसे कई स्थानों पर जाने के अवसर प्राप्त होते हैं. इस स्थान पर स्थित होने पर यह भाई बंधुओं के लिए अनुकूल फल देने में कमी कर सकता है उनके साथ संबंधों में तनाव की स्थिति बनी रहती है.

यहां अशुभता अधिक होने पर व्यक्ति को दुख व दरिद्र का सामना करना पड़ता है. लगातार किए जाने वाले प्रयास भी निराशा देने वाले हो सकते हैं. शनि की स्थिति कंगाल बना सकती है लेकिन यदि यहां पर शुभ ग्रहों की दृष्टि पड़ रही होती है तो व्यक्ति का बचाव होता है.

बृहस्पति और राहु-केतु | Jupiter and Rahu-Ketu

बृहस्पति के साथ राहु-केतु की स्थिति होने पर व्यक्ति को परिश्रमी होने की ओर अग्रसर करने में सहायक होती है. व्यक्ति में होशियारी रहेगी और वह वीरता पूर्वक अपने कामों को करने में लगा रहेगा. आसानी से हार नहीं मानेगा. उम्र के कुछ महत्वपूर्ण समय पर व्यक्ति को शुभ फलों की प्राप्ति भी हो सकेगी. शत्रुओं से बचाव हो सकेगा और संबंधों में उच्च सम्मान की प्राप्ति हो सकेगी.

व्यक्ति अपने काम में प्रवीणता हासिल करने की क्षमता रखने वाला होता है. किसी भी स्थिति में स्वयं को कम नहीं होने देता है. असुरक्षा की भावना से डरते हैं सभी के साथ रहना अच्छा लगता है और अपनी बातों को भी दूसरों के साथ बांटते हैं. सभी के समक्ष स्वयं को अभिव्यक्त करने की क्षमता रखते हैं. कृतज्ञता की भावना से युक्त होते हैं. कभी कभी अपने व्यवहार से काफी मूडी हो सकते हैं या विक्षिप्त जैसा व्यवहार भी कर सकते हैं. संवेदनशील होते हैं. कलात्मक प्रतिभा से युक्त होते हैं.