लाल किताब कुण्डली के दूसरे घर में चंद्रमा का अन्य ग्रहों के साथ संबंध | Relation of Moon With Other Planets In The Second House Of Lal Kitab

लाल किताब कुण्डली के दूसरे घर को धर्म स्थान कहा गया है. इस घर का कारक ग्रह बृहस्पति है जिसके फलस्वरूप यह स्थान गुरू मंदिर भी कहा जाता है. धर्म भाव में जो भी ग्रह होता है या गोचर में चलकर आता है उसे भाग्य का ग्रह कहते हैं, पर साथ ही इसका आधार चौथा घर होता है क्योंकि यह सुख संपत्ति का है और धन से इसका सीधा संबंध होता है.

चंद्रमा और सूर्य | Moon and Sun

लाल किताब कुण्डली के दूसरे घर में चंद्रमा के साथ सूर्य का प्रभाव मोती दमकते असर दोनों का लेख बैठे घर चमकता हो. होने पर जातक के भुजाबल में वृद्धि होती है. अपनी शक्ति व सामर्थ्य पर चलने वाला होगा तथा जिम्मेदारियों और संबंधों के प्रति समर्पित रहने वाला होता है. इस स्थान पर चंद्रमा की इसके साथ स्थिति होने पर एक दूसरे के लिए सहायक होंगे. दोनों ग्रह एक लम्बी अवधि तक संयुक्त रूप में फल देने को तत्पर रहेंगे.

पैतृक संपत्ति से लाभ मिलता है और धर्म के क्षेत्र में योग्य रहते हैं. काम में तरक्की भी मिलती है. एक दूसरे के साथ होते हुए यह सूखे में भी हरियाली ला देते हैं और उत्तम फलों को प्रदान करने में सहायक होते हैं. परंतु साथ ही में स्त्री से परेशानी भी मिलती है. विवाद हो सकते हैं व इनके समक्ष हार का सामना भी करना पड़ सकता है.

चंद्रमा और मंगल | Moon and Mars

चंद्रमा और मंगल दोनो ही मित्र हैं ऎसे में यदि यह एक साथ दूसरे भाव में स्थित होते हैं तो जातक के लिए अनुकूल ही माने जाते हैं. इस घर में चंद्रमा शुभ हो तथा अच्छे फल देने वाला हो तो यह दोनों ही एक साथ मिलकर 52 वर्ष तक अच्छा फल देने वाले बनते हैं. इसके अतिरिक्त जब इस घर में मंगल शुभ और बली होता है तो दोनों ग्रह मिलकर 28 वर्ष तक अच्छे फल देने वाले बनते हैं.

धन संपदा अच्छी मिलती है, परिवार का साथ भी मिलता है और जीवन में अनुकूलता बनी रहती है. लेकिन यदि इनमें से कोई खराब स्थित में हो तो परिणम इसके उलट हो सकते हैं, अत्यधिक व्यय व स्वास्थ्य में कमी और मानसिक तनाव की स्थिति बढ़ सकती है.

चंद्रमा और बुध | Moon and Mercury

चंद्रमा और बुध दोनों ही जब अपने घरों से बाहर किसी घर में एक साथ मिलकर बैठे होते हों और उन पर किसी दूसर ग्रह की दृष्टि नहीं हो तो यह स्थिति जातक के लिए अनुकूल मानी गई है इस स्थिति में ग्रह अपना अच्छा फल देने की कोशिश करते हैं.

पर जब यह दूसरे घर में एक साथ युति में बैठते हैं तो जातक को धन की खूब प्राप्ति होती है और उसे काफी हद तक भाग्य का साथ भी मिलता है. परंतु जातक धन को संभालने में योग्य न रह पाए और दिल में उसके सदैव भय ही रह सकता है.

चंद्रमा और बृहस्पति | Moon and Jupiter

चंद्रमा और बृहस्पति लाल किताब कुण्डली के दूसरे घर में इनके उत्तम फल ही मिलते हैं. यह स्थान इन दोनों का होता है इसलिए यहां पर आकर यह अपने कारक तत्वों के अनुरूप फल देते हैं इसलिए अच्छे फल देने वाले बनते हैं परंतु जब इन पर बुध या राहु का साथ या दृष्टि मिल जाती है तो इनके फल बहुत अधिक प्रभावित होते हैं.

चंद्रमा और शुक्र | Moon and Venus

लाल किताब में चंद्रमा और शुक्र के खाना नम्बर 2 में होने पर चंद्रमा का उत्तम फल ही मिलता है. जातक को प्रेम में सफलता ही मिलती है. जातक बोल ने में मधुर और सौम्य होता है. उसे अन्य लोगों से प्रेम की प्राप्ति होती है.

चंद्रमा और शनि | Moon and Saturn

चंद्रमा और शनि के दूसरे घर में होने पर जातक को भी सामान्यत: अनुकूल ही माना जाता है. आर्थिक रूप से संपन्न रह सकता है जातक लेकिन इन दोनों का साथ जातक के लिए दुर्घटना का कारण भी बन सकता है या अचानक से कोई हादसा उसे परेशान कर सकता है. हथियार से भय भी रहता है. इस भाव में बैठे इन ग्रहों के प्रभावों से बचाव के लिए जातक को शुभ कर्मों को करना चाहिए तथा किसी की मदद करते रहनी चाहिए.

चंद्रमा और राहु | Moon and Rahu

इस घर में चंद्रमा के साथ राहु के होने पर पारिवारिक क्षेत्र में तनाव कि स्थिति बनी रहती है. घर से दूर जाना पड़ सकता है, निर्धनता बनी रह सकती है, ओर साथ ही जातक की बोलने की प्रवृत्ति पर भी असर पड़ता है. परंतु इन दोनों ग्रहों का यहां होना जातक को धार्मिक बनाने में भी सहायक होता है.

चंद्रमा और केतु | Moon and Ketu

चंद्रमा और केतु का मिलाप फलों को खराब करने वाला माना गया है. इससे प्रभावित जातक बिना किसी की वजह के भी परेशानियों में घिर सकता है. यदि कुण्डली में नर ग्रह उत्तम स्थिति में हों तो जातक के लिए चंद्र और केतु का फल खराब नहीं हो पाता तथा जातक को कुछ अच्छे फल भी प्राप्त होते हैं.