लाल किताब का खाना नम्बर 9 | House No. 9 in Lal Kitab

लाल किताब के खाना नम्बर 9 को भाग्य विधाता कहा जाता है. इसे लाल किताब में किस्मत की कहानी कहते हैं. इस घर का स्वामी और कारक दोनों ही बृहस्पति हैं. लाल किताब में इस स्थान को गुरू की गद्दी कहा गया है. नौंवा घर कर्मों का विशाल सागर कहा गया है. नवम घर और दूसरे घर के मध्य एक गहरा संबंध होता है. जब नौंवा घर सोया हुआ हो तो दूसरे घर के माध्यम से उसे जगाया जा सकता है. पर इस स्थित के लिए तिसरे घर और पांचवें घर को खाली होना चाहिए.

सोया हुआ ग्रह जब नौवें घर में आता है तो वह जाग उठता है और अपने भाग्य से संबंधित फलों को देने की कोशिश करता है. ऎसी स्थिति में सूर्य और चंद्रमा सदैव शुभ फल देने वाले बनते हैं. राहु केतु भी बुरा प्रभाव नहीं देते इस घर के बुरे प्रभावों से बचने के लिए नौवें घर के ग्रहों की वस्तुओं को माथे से लगाना चाहिए.

जड़ बुनियाद ग्रह 9 होता किस्मत का आगाज भी है
घर दूजे पर बरिश करता समुद्र भरा ब्रह्माण भी है

नवम में स्थित ग्रह को भाग्योदय करने वाला ग्रह माना जाता है. इसे ही ब्रह्माण का समुद्र भी कहते हैं इसलिए जब यहां से घटाएं उठती हैं तो दूसरे घर अर्थात धन स्थान में वर्षा करती है उसे ही सुख समृद्धि देने की कोशिश करती हैं.

घर तीजे का असर हो पहले बाद मिला घर पांच का हो
कुण्डली मकान मरकज गिनते हाकिम गिना सभी ग्रह का हो

अगर लाल किताब कुण्डली में तीसरा घर और पांचवां घर खाली हो तो नौवां घर जाग जाता है. लेकिन जब तीसरा घर सोया हुआ हो तो यह प्रभाव उस पर तीन वर्ष के पश्चात देखा जाता है. इसलिए नौवां घर में स्थित ग्रह सबमें प्रमुख स्थान पाता है और राजा के समान माना जाता है. यह कुण्डली में आधार स्तंभ की भांति होता है जीवन में शुभता इसी से प्राप्त होती है तथा धर्म का उत्थान जातक को प्राप्त होता है.

यदि जन्म कुण्डली में कोई सोया हुआ ग्रह हो और वह वर्षफल में नौंवें घर में जाता है तो जाग उठता है और अपने फलों को देने का पूर्ण प्रयास भी करता है. ग्रह अपनी अपनी शर्तों के द्वारा अपने फलों को देने में सक्ष्म होता जाता है. जिसे हम इस प्रकार समझ सकते हैं सूर्य ग्रह आठवें भाव में हो और वर्षफल में नवम भाव में आ जाए तो 22वें वर्ष से आने वाले 22 साल तक वह अपना फल देने का प्रयास करेगा. इसी प्रकार यदि दूसरे घर में बैठा मंगल वर्षफल में 28वें वर्ष से 28 साल तक शुभ फल देने का प्रयास करता है.

नौवें घर को पितृ ऋण का कारक भी माना जाता है. पांचवां और नवां घर के ग्रह चाहे पाप ग्रह ही क्यों न हों साधारणत: शुभ कहे जाते हैं. नवां घर ज्ञान का घर है जो जातक को आध्यात्मिक व बौद्धिक ज्ञान प्रदान करता है. इस भाव से संतान का भी विचार किया जाता हैक्योंकि यह पंचम से पंचम होता है.