लाल किताब में एक ग्रह का दूसरे ग्रह से संबंध | Relationship of planets according to Lal Kitab

लाल किताब में एक ग्रह का दूसरे ग्रह से संबंध वैदिक ज्योतिष के जैसा ही है. लाल किताब में भी ग्रहों के एक दूसरे के साथ सम्बन्धों का अपना अलग महत्व तथा अपना एक अलग सिद्धान्त है.वैदिक ज्योतिष के एक अन्य सिद्धान्त में नैसर्गिक ग्रहों की मित्रता एंव शत्रुता स्थायी होती है तथा एक-दूसरे पर दृष्टि का आधार भी नैसर्गिक होता है. परन्तु लाल किताब अपने विशेष सिद्धान्त पर कार्य करती है.

परंपरागत ज्योतिष में पंचधा मैत्री चक्र और तात्कालीन मैत्री चक्र द्वारा ग्रहों की आपसी शत्रुता एवं मित्रता या समभाव का ज्ञान प्राप्त होता है. इसी प्रकार लाल किताब में भी हम ग्रहों का एक दूसरे से मित्र या शत्रु भाव देख सकते हैं.

सूर्य | Sun

  • सूर्य मित्र है बृहस्पति(गुरू), मंगल और चंद्रमा का.
  • शुक्र, शनि, राहु और केतु सूर्य के शत्रु हैं.
  • बुध सूर्य के साथ सम भाव रखता है.


चंद्रमा | Moon

  • बृहस्पति(गुरू), मंगल, सूर्य और शनि चंद्रमा के मित्र हैं.
  • राहु और केतु इससे शत्रु भाव रखते हैं.
  • बुध और शुक्र इसके साथ सम भाव रखते हैं.


मंगल | Mars

  • सूर्य, चंद्र और बृहस्पति(गुरू) का मंगल के साथ मित्र भाव है.
  • बुध और केतु का इनसे शत्रु भाव रहता है.
  • शुक्र, शनि और राहु इनके साथ समभाव रखते हैं.


शुक्र | Venus

  • शनि, बुध, और केतु इसके साथ मित्र भाव रखते हैं.
  • सूर्य, चंद्रमा और राहु इनके साथ शत्रु पक्ष में आते हैं.
  • मंगल और बृहस्पति(गुरू) इनके साथ सम भाव रखते हैं.


बुध | Mercury

  • शुक्र, सूर्य और राहु इनके मित्र हैं.
  • चंद्रमा को यह अपना शत्रु मानता है.
  • शनि, केतु, मंगल और बृहस्पति(गुरू) का इनके साथ समभव रहता है.


शनि | Saturn

  • बुध, शुक्र और राहु का इनके साथ मित्रभाव रहता है.
  • सूर्य, चंद्रमा और मंगल का इनसे शत्रु भाव रहता है.
  • बृहस्पति और केतु का इनके साथ समभाव रहता है.


राहु | Rahu

  • बुध, शनि और केतु का इनके साथ मित्र भाव रहता है.
  • सूर्य, शुक्र और मंगल का इनके साथ शत्रु भाव रहता है.
  • बृहस्पति(गुरू) और चंद्रमा समभाव में आते हैं.


केतु | Ketu

  • शुक्र और राहु इनके मित्र हैं.
  • सूर्य, चंद्रमा और मंगल शत्रु हैं.
  • बृहस्पति(गुरू), शुनि और बुध समभाव रखते हैं.


इस प्रकार इन सभी की मित्रता और शत्रुता के अतिरिक भी कुछ अन्य बातें इनके मित्रता और शत्रुता को दर्शाती हैं जो इस प्रकार से हैं.

ग्रहों के संबंधों की अन्य विशेष स्थितियां | Other special conditions of planetary relationships

  • चंद्र और शुक्र बराबर हैं परंतु चंद्रमा शुक्र से दुश्मनी रखता है.
  • बृहस्पति(गुरू) बराबर शुक्र के परंतु शुक्र दुश्मनी करता है बृहस्पति से.
  • मंगल और शनि समभाव में हैं परंतु मंगल शत्रुता करता है शनि से.
  • बुध और चंद्रमा मित्र में आते हैं परंतु चंद्र दुश्मनी करता है बुध से.
  • इसी प्रकार बुध बृहस्पति(गुरू) का शत्रु है परंतु भाव नम्बर दो या चार में बैठा हुआ.
  • बृहस्पति(गुरू) बुध से दुश्मनी करने की बजाय उसके साथ पूर्ण रुप से मदद करने वाला वाला होता आर्थिक स्तर पर उसे बढाता है.


वैदिक ज्योतिष के विपरीत लाल किताब में नैसर्गिक ग्रहों की मित्रता एंव शत्रुता अस्थाई होती है. उदाहरण के लिए सूर्य एंव शनि में नैसर्गिक शत्रुता है. लाल किताब की कुण्डली में सुर्य प्रथम भाव तथा शनि नवम भाव में स्थित है. चूंकि शनि, सूर्य से नवम भाव में स्थित है अतः यहाँ पर शनि, सूर्य से मित्रता का भाव रखते हुए उसकी भरपूर मदद करेगा इस बात से सिद्ध होता है कि लाल किताब में ग्रहों की नैसर्गिक मित्रता एंव शत्रुता में बदलाव भी देखने को मिलता है.