आकाश में कुंभ राशि में 20 अंश से मीन राशि में 3 अंश 20 कला तक पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र रहता है. क्रान्ति वृ्त्त से 19 अंश 24 कला 22 विकला उत्तर में और विषुवत रेखा से 15 अंश 11 कला 21 विकला उत्तर में पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र स्थित है. नक्षत्रों की श्रेणी में पूर्वाभाद्रपद 25 वां नक्षत्र है. इस नक्षत्र के स्वामी देवगुरू बृहस्पति हैं. इस नक्षत्र के तीन चरण कुम्भ में और एक चरण मीन में होता है. दो तारों वाला यह नक्षत्र मण्डल जुड़वां बच्चों की भांति दिखाई पड़ता है. इस कारण इसे यमल सदृश भी कहा जाता है. यह उग्र संज्ञक नक्षत्र होता है. अत: इस नक्षत्र में उग्र कार्य करना जैसे तंत्र पूजा, मुकदमा दायर करना, शत्रु पर आक्रमण करना जैसे कामों को इस नक्षत्र में करना बेहतर माना गया है. यह नक्षत्र अधोमुखी नक्षत्र भी कहा जाता है.

पूर्वा भाद्रपद जातक की विशेषताएं | Characteristics of Purvabhadra Nakshatra

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार इस नक्षत्र में जिनका जन्म होता है वे सत्य का आचरण करने वाले एवं सच बोलने वाले होते हैं, ईमानदार होते हैं अत: छल कपट और बेईमानी से दूर रहते हैं. यह आशावादी होते हैं यही कारण है कि ये किसी भी स्थिति में उम्मीद का दामन नहीं छोड़ते हैं. पूर्वाभाद्रपद में जिनका जन्म होता है वे व्यक्ति परोपकारी होते हैं दूसरों की सहायता करने हेतु सदैव तत्पर रहते हैं. जब भी कोई कष्ट में होता है उसकी मदद करने से ये पीछे नहीं हटते हैं. व्यवहार कुशल एवं मिलनसार होते हैं, सभी के साथ प्रेम एवं हृदय से मिलते हैं, मित्रता में ये समझदारी एवं ईमानदारी का पूरा ख्याल रखते हैं.

इस नक्षत्र में पैदा होने वाले व्यक्ति शुद्ध हृदय के एवं पवित्र आचरण वाले होते हैं.  कभी भी व्यक्ति का अहित करने की चेष्टा नहीं करते हैं. इनके व्यक्तित्व की इस विशेषता के कारण इनपर विश्वास किया जा सकता है. शिक्षा एवं बुद्धि की दृष्टि से देखा जाए तो इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति काफी बुद्धिमान होते हैं. इनकी रूचि साहित्य में रहती है. साहित्य के अलावा ये विज्ञान, खगोलशास्त्र एवं ज्योतिष में पारंगत होते हैं तथा इन विषयों के विद्वान होते हैं.

पूर्वा भाद्रपद - कैरियर | Purvabhadra Nakshatra Careers

अध्यात्म सहित भिन्न भिन्न विषयों की अच्छी जानकारी रखते हैं तथा ज्योतिषशास्त्र के भी अच्छे जानकार होते हैं. पूर्वा भाद्रपद का अंतिम चरण मीन राशि में आता है , गुरु का नक्षत्र व गुरु की राशि मीन में होने से ऐसा जातक आकर्षक व्यक्तित्व का धनी, गुणवान, धर्म, कर्म को मानने वाला, ईमानदार, परोपकारी, न्यायप्रिय होता है. गुरु यदि अपनी राशि धनु या मीन में हो तो ऐसे जातक सदाचारी होते हैं.

पूर्वाभाद्रपद के द्वितीय चरण में जन्म लेने वाले व्यक्ति विद्वान और धार्मिक कार्यकर्ता हो सकते हैं. वह अपने कार्यों में अचानक सफलता पाते हैं. इसी प्रकार पूर्वाभाद्रपद के तीसरे चरण में जन्म लेने वाला जातक बुद्धिमान और कवि हो सकता है. जातक का अधिकांश समय यात्रा या प्रवास के दौरान गुजरता है. पूर्वाभाद्रपद के चौथे चरण में जन्में व्यक्ति का स्वास्थ उत्तम होता यह लोग अधिकत्तर शिक्षा अध्यापन का कार्य करके अपनी आजीविका चलाते हैं.

आदर्शवादी होते हैं, ये ज्ञान को धन से अधिक महत्व देते हैं, आजीविका की दृष्टि से नौकरी एवं व्यवसाय दोनों ही इनके लिए अनुकूल होता है. इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति व्यवसाय की अपेक्षा नौकरी करना विशेष रूप से पसंद करते हैं. नौकरी में उच्च पद पर आसीन होते हैं यदि ये व्यवसाय करते हैं तो पूरी लगन और मेहनत से उसे आगे बढाते हैं. इन्हें साझेदारी में व्यापार करना अच्छा लगता है. इनमें जिम्मेवारियों का पूरा एहसास होता है. यह अपने कर्तव्य का निर्वाह ईमानदारी से करते हैं. नकारात्मक विचारों को अपने ऊपर हावी नहीं होने देते तथा आत्मबल एवं साहस से विषम परिस्थिति से बाहर निकल आते हैं.