मकरगत शनि का योगफल | Saturn Aspecting Capricorn

मकरगत शनि के होने पर जातक दूसरों की वस्तुओं पर अधिकार जमाने वाला होता है. वह अच्छे व बुरे दोनों कामों का अनुसरण करने में तत्पर रहता है. वैदिक आचार और गुणों से संपन्न होता है. इनके प्रति उसकी रूचि बनी रहती है. शिल्प कला का हुनर होता है तथा बहुत गुणी कारीगर होता है, किस भी काम को करने में पूर्ण तल्लिनता का भाव दिखाता है. अपने अपने वंश में श्रेष्ठ तथा सम्मानित व्यक्ति होता है. जातक को दूसरे की स्त्री के प्रति अधिक सहानभूति रहती है.

व्यक्ति के मन में कई सारी इच्छाएं व्याप्त रहती हैं जिनकी पूर्ति के लिए वह कोशिशों को कम नहीं होने देना चाहता है. जातक को सजने संवरने का खूब शौक होता है. वह कार्य संपन्न करने की कला का जानकार होता है और सभी विचारों के द्वारा ही वह अपने कार्य को आगे तक ले जाने की पहल करता है. प्रवास में अधिकांश समय व्यतीत करने वाला होता है तथा घर से दूर रहकर ही इसके जीवन में प्रगती देखी जा सकती है. शौर्य व साहस के साथ किसी भी काम को उसके अंजाम तक पहुंचाने की योगयता रखता है जिस कारण से दूसरों के सम्मुख हार नहीं पाता है.

जातक के मन में संसार से विरक्ति का भाव जागृत होता है और वह अध्यात्म की ओर अग्रसर रह सकता है. जातक की माता का स्वास्थ्य प्रभावित रह सकता है. जातक का लालन-पालन किसी अन्य द्वारा हो सकता है. जातक को स्नायु तंत्र की परेशानियों से जूझना पड़ सकता है. शरीर रोगी तथा चेहरा निस्तेज रह सकता है. जातक निरूत्साही, वहमी एवं शंकालु प्रवृत्ति का हो सकता है.आर्थिक संपन्नता नहीं मिल पाती, नौकरी में पदोन्नति देरी से होती है, विवाह देर से होता है व दांपत्य जीवन सुखी नहीं रह पाता. जीवन में अनेक परेशानियां रह सकती हैं लेकिन फिर भी जातक इन सब से बाहर आने की कोशिश में लगा रहता है और उसके द्वारा किए गए प्रयास सफल भी होते हैं.

कुम्भगत शनि का योगफल | Saturn Aspecting Aquarius

कुम्भगत शनि के होने पर जातक वचन से झूठा हो सकता है. किसी प्रकार के व्यसनों का शिकार हो सकता है. उसके आचरण में धूर्तता का भाव दिखाई देता है. जातक को अच्छे मित्रों की संगती नहीं मिल पाती वह दुर्जनों का साथी बनकर अपनी प्रतिभा को खराब मार्ग पर ले जाता है. जातक की इच्छा शक्ति प्रबल होती है जिसके आधार पर वह अपने प्रयासों में सफलता हासिल कर लेने में सफल रहता है. अपनी स्थिति और अपनी अभिव्यक्ति के तर्ज पर जातक के व्यवहार में काफी सारे बदलाव होते रहते हैं उसे बदलाव की चाह भी रहती है. जातक खर्च अधिक करता है इस कारण जातक को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ सकता है वह कर्ज ले सकता है. जीवन में सुख की कमी बनी रहते है मन किसी न किसी बात से व्यथित रह सकता है.

व्यक्ति बचपन में आर्थिक कठिनाईयों से त्रस्त रह सकता है. उसे पैतृक संपत्ति प्राप्त होती है लेकिन वह मिलने में बाधा आ सकती है. जातक की वाणी में कटुता रह सकती है. धन कमाने के लिए उसे कठिन परिश्रम करना पड़ता है. जीवन के उत्तरार्द्ध में आर्थिक स्थिति ठीक रह सकती है. दांत, गला एवं कान में बीमारी की संभावना अधिक बनी रहती है. शिक्षा में कोई व्यवधान उतपन्न हो सकता है. वह नौकरी से धन कमाता है, उसे भाई-बहनों के साथ संबंधों में कटुता का अनुभव भी करना पड़ सकता है. नौकरों का साथ मिल सकता है. लेकिन सेवक कुछ न कुछ विश्वासघात कर सकते हैं. यात्रा में विघ्न आते हैं, श्वांस के रोग होने की संभावना रहती है. जातक अपने जन्म स्थान को छोड़कर कहीं दूर जाकर कार्य करना पड़ सकता है. मध्यम आयु में आय कुछ ठीक रहती है, स्वयं से दुखी दरिद्र रहता है किंतु दीर्घ आयु पाता है. वैवाहिक सुख में कमी रहती है.

मीनगत शनि का योगफल | Saturn Aspecting Pisces

मीनगत शनि के होने पर जातक उच्च स्तर का शिल्पकार बन सकता है उसमें कला को समझने की योग्यता होती है. जातक का मन उच्च विचारों एवं सात्विकता से युक्त होता है. व्यक्ति की क्रूरता में कमी आती है और व्यक्ति को कष्टों से मुक्ति मिल जाती है. व्यक्ति के लिए बहुत ही उत्तम और शुभफलदायी हो सकती है . इसके प्रभाव से व्यक्ति यश, मान-सम्मान, धन सम्पत्ति प्राप्त करता है. किंतु पिता पक्ष से मिलने वाले सुख में कमी आ सकती है. संतान की ओर से भी चिंता जनक स्थिति रह सकती है. शिक्षा, सुख, कारोबार के सम्बन्ध में कुछ न कुछ परेशानियों का होना स्वभाविक ही होता है.

जातक नीतिसंगत बातों का साथ देने वाला होता है. वह गुणों का पारखी बनता है. सही गलत के निर्णयों को समझने की बुद्धि उसमें होती है. रत्नों व आभूषणों की परख करने वाला होता है. धर्मानुसार व्यवहार करने वाला होता है. जातक का आचरण विनयशील होता है वह दूसरों के समक्ष अपनी प्रतिभा को दर्शाने में सफल रहता है. जातक को वृद्धावस्था में विशेष सम्मान की प्राप्ति होती है.

"शनिगत स्थिति का योगफल - भाग 1"

"शनिगत स्थिति का योगफल - भाग 2"

"शनिगत स्थिति का योगफल - भाग 3"