चंद्रमा ग्रह की महादशा 10 वर्ष की होती है. चंद्रमा की महादशा में जातक को चंद्रमा से संबंधित फलों की प्राप्ति होती है. जन्म कुण्डली में चंद्रमा की स्थिति को हम यहां अवलोकन नहीं कर रहे अपितु उसकी महादशा के फलों की बात करते हुए यह कह सकते हैं कि चंद्रमा की महदशा में जातक का व्यवहार शांत हो सकता है. जातक के मन में विचारों की उद्विग्नता की स्थिति होती देखी जा सकती है.

एक साधारण दृष्टि डालें तो हम पाते हैं कि चंद्रमा के फलों में शांति, शीतलता, मानसिक उत्तेजना जैसी अनेक बातें देखने को मिलती है. यहां इस बात से कोई अर्थ नहीं कि वह किस भाव या किस राशि में स्थित है क्योंकि चंद्रमा शीतलता से ठंडा ग्रह है तो इसमें इन गुणों का होना स्वभाविक ही है. अत: कुण्डली में उसकी स्थिति का आंकलन न करते हुए यदि हम उसके स्वभाविक रूप को समझने का प्रयास करें तो हमें पता चलता है कि वह मन का कारक व शीतलता से युक्त है, ग्रहों में इसे रानी का स्थान प्राप्त है.

चंद्रमा शांत, सौम्य ग्रह है चंद्रमा में चंद्रमा का होना शीतलता व मन की चंचलता को प्रतिबिंबित करने वाला होता है. यह मिलन एक संतुलित गठन लाता है. इसी का प्रभाव हमारे मन पर भी होता है हमारा मन कृष्ण पक्ष के जैसे घटता है व शुक्ल पक्ष के जैसे बढ़ता है. चंद्रमा में चंद्रमा की अंतर्दशा होने पर जातक को मानसिक चेतना मिलती है. उसका मन कई बातों पर विचारशील रह सकता है. वह अपने मन में उठने वाले ज्वार को सही रूप से नहीं समझ पाता है. मन में अनेकों कल्पनाएं उमड़ने लगती हैं.

सामाजिक और व्यावसायिक लाभ मिलता है, धन की प्राप्ति होती है आभुषण एवं वस्त्रादि का सुख मिलता है. जातक को दूसरों से सम्मानित कराती है साथ ही प्रेम की प्राप्ति भी कराने में सहायक होती है. व्यक्ति धार्मिक पथ में चलने वाला होता है. चंद्रमा को जल तत्व का देव कहा जाता है, इनको सर्वमय कहा गया है तथा यह सोलह कलाओं से युक्त हैं. शुभ चंद्र जातक को धनवान और दयालु बनाता है, सुख और शांति देता है. घर संबंधी शुभ फल मिलते हैं. चंद्र देवता को बीज, औषधि, जल तथा ब्राह्मणों का आधिपत्य प्राप्त है. मानसिक रोगों का कारण भी चंद्र को माना गया है क्योंकि यह सबसे अधिक मन पर ही प्रभाव डालते हैं.

चंद्रमा में चंद्रमा दशा अवधि में कुछ शुभ घटनाओं, खुशी में वृद्धि होगी इसके अलावा जातक के जो भी कोई नुकसान हुए हों वह इस समय में दूर हो सकेंगे. व्यक्ति को जल से भय रह सकता है. इसकी दशाओं का योग होने पर प्रभाव अनुकूल अधिक रहते हैं और सामंजस्य की ओर भी इशारा करते हैं.

इस ग्रह में सात्विकता का भाव देखा जाता है. इनकी दशाओं का काफी कुछ शुभ प्रभाव देने वाला बनता है. जातक को शत्रुओं की ओर से शांति व समझौते करने का मौका मिलता है, धन लाभ होता है, मन में शांति व सकुन का एहसास होता है, घर से संबंधी सुखों की ओर व्यक्ति को जाने का मार्ग मिलता है.

इसमें उसे आकस्मिक लाभ ,यश, कीर्ति एवं विदेश यात्राओं से लाभ प्राप्त मिलता है. धर्म के प्रति श्रद्धा उत्पन्न होती है, माता की ओर से कुछ अच्छे संकेत मिलते हैं. प्रेम संबंधों में प्रगाढ़ता बढती है, स्त्री का सुख मिलता है. पर यदि हम उसके कुछ अशुभ स्थानों में होने या कमजोर होने की बात करते हैं तो इन प्रभावों में कहीं न कहीं कमी भी देखी जाती है व्यक्ति को मन की चेतना में तेजी आने से जातक काफी चंचल व अपने में रहने वाला हो सकता है. इस कारण से कुछ कमियां भी चंद्रमा की अंतर्दशा भुक्ति में देखने को मिल सकती है इन सभी बातों का सामान्य रूप से अध्ययन करने के लिए काफी हद तक हमें कुण्डली में ग्रहों की स्थिति को भी समझना होता है जिससे हम पूर्ण निष्कर्ष को समझ सकें.

चंद्रमा की महादशा में चंद्रमा की अन्तरदशा होने पर यह दशा जातक के जीवन में बहुत सारे नए विचारों को लाने का प्रयास करती है. इस स्थिति में चंद्रमा के बली व निर्बल दोनों रूपों को समझने का प्रयास करने की आवश्यकता होती है तभी दशा के फलों का निर्धारण किया जा सकता है.