ज्योतिष में चिकित्सा विज्ञान पर कई शोध किए गए हैं जिनके द्वारा जन्म कुण्डली से इस बात को जानने में बहुत सहायता मिलती है कि व्यक्ति को कौन सा रोग अधिक प्रभावित कर सकता है. इसी के साथ नक्षत्रों का भी रोग विचार करने में महत्वपूर्ण स्थान होता है जिसमें रोग की अवधि और उसके ठीक होने के समय को भी जाना जा सकता है.

  • यदि जातक की बीमारी आरंभ उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में हुआ हो तो जातक की बीमारी सात से इक्कीस दिनों के भीतर समाप्त होने का समय लेती है. इस स्थिति में जातक को अपने स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना चाहिए.
  • व्यक्ति का रोग यदि हस्त नक्षत्र के समय आरंभ हुआ हो तो स्वास्थ्य लाभ पाने में व्यक्ति को पंद्रह से बीस दिन का समय लग सकता है. स्वास्थ्य लाभ में सुधार हेतु व्यक्ति को नक्षत्र संबंधी उपाय करने चाहिए जिससे की उसे कुछ राहत प्राप्त हो सके.
  • यदि किसी व्यक्ति की बीमारी चित्रा नक्षत्र के समय आरंभ हुई हो तो उसकी एक सप्ताह में समाप्त हो सकती है जातक को जल्द ही स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होता है वह रोग से लड़ने कि क्षमता को जागृत पाता है और उसे अधिक परेशानी नहीं उठानी पड़ती है.
  • इसी प्रकार यदि व्यक्ति का स्वास्थ्य स्वाती नक्षत्र के समय खराब हुआ हो तो रोग दो माह के समय तक रह सकता है स्वास्थ्य लाभ मिलने में दिक्कत आती है. जातक को स्वास्थ्य लाभ में देरी होने से मृत्यु तुल्य कष्ट भी सहन करना पड़ सकता है अत: ऎसी स्थिति में अपना अधिक ध्यान रखना चाहिए और समय समय पर डाक्टरी जांच कराते रहना चाहिए.
  • व्यक्ति का स्वास्थ्य विशाखा नक्षत्र के आरंभ होने के साथ ही खराब हुआ हो तो उस जातक को जल्द ही स्वास्थ्य लाभ मिलता है. इस नक्षत्र के अधिक खराब प्रभाव नहीं झेलने पड़ते और व्यक्ति को शीघ्र राहत मिलती है.
  • व्यक्ति को यदि बीमारी अनुराधा नक्षत्र के समय पर आरंभ हुई हो तो जातक के स्वास्थ्य में सुधार 17 दिनों में होता है. इस नक्षत्र के प्रभाव स्वरूप व्यक्ति को अधिक कष्ट की अनुभूति नहीं होती है और रोग नियंत्रण में आने लगता है.
  • अगर किसी व्यक्ति की बीमारी ज्येष्ठा नक्षत्र के समय पर आरंभ हुई हो तो बीमारी 15 दिनों के अंदर ठीक हो सकती है अन्यथा व्यक्ति को मृत्युतुल्य कष्ट होता है.
  • मूल नक्षत्र के समय पर आरंभ हुई ठीक होने में लम्बा समय लेती है. कई प्रकार से स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें परेशान कर सकती है साथ ही अन्य रोग भी उभर सकने का भय बना रह सकता है.
  • यदि किसी व्यक्ति का रोग पूर्वाषाढा नक्षत्र के समय पर उभर कर सामने आता है तो स्वास्थ्य लाभ में एक माह तक का समय लगता है.
  • उत्तराषाठा नक्षत्र में आरंभ हुई बीमारी ठीक होने में एक माह तक का समय ले सकती है.
  • श्रवण नक्षत्र के आरंभ में यदि जातक को कोई रोग होता है तो जल्द ही बीमारी से मुक्ति मिलती है.
  • यदि जातक को धनिष्ठा नक्षत्र में रोगग्रस्त हुआ हो तो स्वास्थ्य लाभ मिलने में दो माह तक का समय लग सकता है.
  • शतभिषा नक्षत्र में आरंभ हुआ रोग समाप्त होने में कम से कम 11 दिन या चार माह तक का समय ले लेता है.
  • पूर्वा भाद्रपद में आरंभ हुई बीमारी को ठीक होने में 20 दिनों तक का समय लग सकता है.
  • व्यक्ति का रोग यदि उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र के समय आरंभ हुआ हो तो स्वास्थ्य लाभ पाने में एक सप्ताह का समय लग जाता है.
  • यदि किसी व्यक्ति की बीमारी रेवती नक्षत्र के समय आरंभ हुई हो तो जातक को जल्द ही स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होता है वह रोग से लड़ने कि क्षमता को जागृत पाता है और उसे अधिक परेशानी नहीं उठानी पड़ती है.

“नक्षत्र द्वारा रोग मुक्ति का निर्धारण - भाग 1”