आज हम आपको वृश्चिक लग्न के बारे में बताने का प्रयास करेगें. वृश्चिक लग्न की क्या विशेषताएं होती है और कौन से ग्रह इस लग्न के लिए शुभ होते हैं और कौन से अशुभ होते हैं. साथ ही यह भी बताया जाएगा कि इस लग्न के लिए कौन से रत्न शुभ रहेगें.

वृश्चिक राशि का परिचय | An Introduction to Scorpio Sign

वृश्चिक राशि भचक्र में आठवें स्थान पर आने वाली राशि है. इस राशि का विस्तार भचक्र पर 210 अंश से 240 अंश तक फैला हुआ है. इस राशि की गणना जल तत्व के रुप में की जाती है इसलिए इस राशि के प्रभाव से व्यक्ति लचीला हो सकता है.

इस राशि की गणना स्थिर राशि में की गई है इसलिए व्यक्ति बहुत जल्दी बदलाव पसंद नही करता है. इस राशि का स्वामी ग्रह मंगल है और मंगल को ग्रहों में सेनापति का दर्जा दिया गया है. इस राशि का प्रतीक चिन्ह बिच्छू माना गया है. इस राशि के प्रभाव से व्यक्ति भी बिच्छू के समान पलट कर जवाब देने वाला होता है.

वृश्चिक लग्न की विशेषताएँ | Characteristics of Scorpio Ascendant

आइए अब वृश्चिक लग्न के बारे में बात करते हैं. वृश्चिक राशि कालपुरुष की कुंडली में आठवें भाव में आती है और आठवाँ भाव बाधाओ का माना जाता है. जब जन्म कुंडली में आठवाँ भाव जन्म लग्न बनता है तब व्यक्ति को कुछ बाधाओं का सामना जीवन में करना पड़ सकता है. उसे कई बार उतार-चढ़ाव से होकर गुजरना पड़ सकता है.

आपके वृश्चिक लग्न का स्वामी मंगल होता है जिससे आप पर मंगल का प्रभाव अधिक होगा. आप स्थिर स्वभाव के लेकिन जिद्दी प्रवृति के व्यक्ति होगें. आपके मन में एक बार जो धारण बैठ गई तब उसे कोई नहीं बदल पाएगा.

वृश्चिक राशि की गणना जल तत्व के रुप में की जाती है इसलिए आप जल के समान लचीली प्रवृति के भी हो सकते हैं. जितनी जल्दी क्रोध आएगा उतनी जल्दी आप पिघल भी जाएंगें. आप साहसी तथा पराक्रमी होगें. आप के भीतर ऊर्जा की मात्रा भी अधिक होगी. जीवन में एक बार जिससे शत्रुता हो जाए तब उससे कभी दुबारा हाथ नही मिलाएंगे.

वृश्चिक लग्न के लिए शुभ ग्रह | Auspicious Planets for Scorpio Ascendant

आइए अब वृश्चिक लग्न के लिए शुभ ग्रहो की बात करते हैं. इस लग्न का स्वामी मंगल लग्नेश होकर शुभ होता है. चंद्रमा इस लग्न के लिए नवम भाव के स्वामी होकर अति शुभ हो जाते हैं. नवम भाव बली त्रिकोण है और भाग्य भाव भी है.

इस लग्न के लिए बृहस्पति भी पंचमेश होकर शुभ होते हैं हालांकि इनकी दूसरी राशि द्वित्तीय भाव में पड़ती है लेकिन तब भी बृहस्पति को शुभ ही माना जाएगा. इस लग्न के लिए सूर्य, दशमेश होकर सम हो जाते हैं.

वृश्चिक लग्न के लिए अशुभ ग्रह | Inauspicious Planets for Scorpio Ascendant

शुभ ग्रहों के बाद अशुभ ग्रहों के बारे में भी आपको बताने का प्रयास किया जा रहा है. वृश्चिक लग्न के लिए शनि शुभ ग्रह नहीं माना जाता है. शनि तीसरे व चौथे भाव के स्वामी होते हैं. इस लग्न के लिए बुध भी अशुभ माना गया है. बुध अष्टमेश व एकादशेश होकर अशुभ बन जाते हैं.

शुक्र को इस लग्न के लिए अति अशुभ माना गया है क्योकि शुक्र सातवें भाव के स्वामी होकर मारक बन जाते हैं और बारहवें भाव के स्वामी होकर व्ययेश बनते हैं. शुक्र इस लग्न के लिए प्रबल मारकेश का काम करते हैं.

वृश्चिक लग्न के लिए शुभ रत्न | Auspicious Gemstones for Scorpio Ascendant

अंत में आपको इस लग्न के लिए शुभ रत्नों के बारे में बताया जाता है. वृश्चिक लग्न के लिए मूंगा, मोती व पुखराज शुभ रत्न माने गये हैं. पुखराज रत्न को बृहस्पति के लिए पहना जाता है लेकिन बृहस्पति दूसरे भाव का भी स्वामी माना जाता है इसलिए बृहस्पति की स्थिति का आंकलन पहले कुंडली में कर लेना चाहिए उसके बाद ही पुखराज धारण करना चाहिए. मूगा रत्न मंगल के लिए तथा मोती चंद्रमा के लिए पहना जाता है. जब कुंडली में इन रत्नो से संबंधित शुभ ग्रह कमजोर हो तभी इन्हें पहने अन्यथा आपको नहीं पहनने चाहिए.

कुंडली में जिस ग्रह की दशा चल रही हो उससे संबंधित मंत्र जाप अवश्य करने चाहिए. इससे ग्रह शुभ फल देने में अधिक सक्षम होगा. अशुभ ग्रह की दशा में मंत्र जाप के साथ दान, व्रत तथा उस ग्रह की वस्तुओं से स्नान भी किया जा सकता है. इससे अशुभ फलों में कमी आती है.