वैदिक ज्योतिष में बारह राशियों का वर्णन किया गया है. इन्हीं बारह राशियो में से ही कोई एक राशि व्यक्ति विशेष के लग्न में उदय होती है. जो राशि लग्न में उदय होती है उसी के अनुसार व्यक्ति का व्यक्तित्व निर्धारित होता है. उसी लग्न के आधार पर शुभ व अशुभ ग्रहो का निर्धारण भी होता है. आज हम आपके सामने धनु लग्न के विषय में बताएंगें.

धनु राशि की विशेषताएँ | Characteristics of Sagittarius Sign

धनु राशि भचक्र की नवें स्थान पर आने वाली राशि है. भचक्र में इस राशि का विस्तार 240 अंश से 270 अंश तक फैला हुआ है. यह राशि स्वभाव से द्वि-स्वभाव मानी गई है. इस कारण व्यक्ति का स्वभाव कई बार डांवा डोल सा रहता है. इस राशि का तत्व अग्नि है और अग्नि के प्रभाव से व्यक्ति तेज तर्रार होता है.

धनु राशि के स्वामी ग्रह बृहस्पति हैं, जिन्हें अत्यधिक शुभ ग्रह माना गया है. इस राशि का प्रतीक चिन्ह एक घोड़ा है जिसकी आकृति ऊपर से मानव जैसी है और उसके हाथ में तीर है अर्थात इस राशि का प्रतीक चिन्ह आधा मानव और आधा घोड़ा है.

धनु लग्न के व्यक्ति का व्यक्तित्व | Sagittarius Ascendant and Your Characteristics

धनु लग्न के जातकों की विशेषताओ को जानने का प्रयास करते हैं. धनु राशि कालपुरुष की कुंडली में नवम‌ भाव में आती है. जब कालपुरुष कुंडली का नवम भाव लग्न बनता है तब ऎसे व्यक्ति को भाग्यशाली समझा जाता है. इस राशि की गणना अग्नि तत्व राशि के रुप में होती है, इसलिए अग्नि तत्व लग्न होने से आपके भीतर अत्यधिक तीव्रता होगी. आपको क्रोध भी अधिक आने की संभावना बनती है.

आप अत्यधिक फुर्तीले और अपनी धुन के पक्के व्यक्ति होगें. एक बार जिस काम को करने का निर्णय ले लिया तब उसे आप पूरा करके ही दम लेगें. आपकी एक विशेषता यह होगी कि किसी भी निर्णय को लेने में आप जरा भी देर नहीं लगाएंगें.

धनु लग्न के लिए शुभ ग्रह | Auspicious Planets for Sagittarius Ascendant

धनु लग्न होने से आपके लिए कौन से ग्रह शुभ हो सकते हैं आइए इसे जानने का प्रयास करें. इस लग्न के लिए बृहस्पति लग्नेश होकर शुभ हो जाते हैं. लग्न के स्वामी को सदा शुभ माना जाता है. इस लग्न के लिए मंगल त्रिकोणेश होकर शुभ हो जाते हैं. हालांकि मंगल की दूसरी राशि वृश्चिक बारहवें भाव में पड़ती है, लेकिन तब भी यह शुभ होता है.

इस लग्न के लिए सूर्य नवमेश होकर अति शुभ होते हैं. नवम भाव कुंडली का सबसे बली त्रिकोण भाव होता है. इसी भाव से व्यक्ति के भाग्य का भी निर्धारण होता है. धनु लग्न के लिए शुभ ग्रहों की शुभता कुंडली में उनकी स्थिति तथा बल पर निर्भर करेगी. यदि शुभ ग्रह पीड़ित या निर्बल है तब शुभ फलों की प्राप्ति में कमी हो सकती है.

धनु लग्न के अशुभ ग्रह | Inauspicious Planets of Sagittarius Ascendant

इस लग्न के लिए कौन से ग्रह अशुभ हो सकते हैं, अब उनके बारे में बात करते हैं. धनु लग्न के लिए शनि अशुभ माना गया है. यह तीसरे व चतुर्थ भाव के स्वामी होते हैं. इस लग्न के लिए बुध सम होते हैं और इसे केन्द्राधिपति दोष भी होता है अर्थात बुध की दोनो राशियाँ केन्द्र स्थान में ही पड़ती है.

इस लग्न के लिए चंद्रमा अष्टमेश होकर अशुभ होते हैं हालांकि चंद्रमा को अष्टमेश होने का दोष नहीं लगता है लेकिन यह जहाँ और जिस ग्रह के साथ स्थित होगें उसे दूषित कर देगें. शुक्र इस लग्न में षष्ठेश व एकादशेश होकर अशुभ होते हैं.

धनु लग्न के लिए शुभ रत्न | Auspicious Gemstones for Sagittarius Ascendant

अंत में हम आपको शुभ रत्नो के बारे में जानकारी उपलब्ध कराने का प्रयास करते हैं. इस लग्न के लिए पुखराज धारण करना शुभ होता है. धनु लग्न के स्वामी ग्रह बृहस्पति होते हैं और पुखराज उनके लिए ही पहना जाता है.

मंगल के लिए मूंगा व सूर्य के लिए माणिक्य पहनना भी शुभ होता है. पुखराज महंगा रत्न है यदि आप इसे खरीदने में सक्षम नहीं हैं तब इसके स्थान पर इसका उपरत्न सुनहैला भी पहन सकते हैं.

एक बात का ध्यान यह रखें कि कुंडली में यदि बृहस्पति, मंगल अथवा सूर्य निर्बल हो तभी इनका रत्न पहनें. यदि बली अवस्था में स्थित हैं तब आपको इनका रत्न पहनने की आवश्यकता नहीं है. यदि जन्म कुंडली में अशुभ ग्रह की दशा चल रही हो तब उस ग्रह से संबंधित मंत्रों का जाप रोज करें. अशुभ ग्रह की दशा में आप दान व व्रत भी कर सकते हैं.