जन्म कुंडली में बहुत से योग मौजूद होते हैं, कुछ शुभ होते हैं तो कुछ योग अशुभ भी होते हैं. कई व्यक्ति अपने ही जन्म स्थान में जीवनभर बने रहते हैं तो कुछ लोगो को जन्म स्थान से दूर रहकर ही सुख की प्राप्ति होती है. कुछ अपना भाग्य आजमाने जन्म स्थान से दूर भी जाते हैं लेकिन कुछ समय बाद किन्ही कारणों से फिर वापिस लौट आते हैं. बहुत से लोग ज्यादा पैसे कमाने की धुन में अपने देश को ही छोड़कर विदेशों में बसना चाहते हैं और बहुत से कामयाब हो जाते हैं लेकिन कुछ ऎसे भी होते हैं जो कुछ समय बाद थोड़ा सा धन कमाकर वापिस स्वदेश आ जाते हैं. आइए कुंडली के उन योगों की चर्चा करें जिसके आधार पर हम यह कह सकें कि व्यक्ति विशेष विदेश में स्थाई रुप से निवास करेगा या नहीं.

  • यदि जन्म कुंडली में लग्नेश व चतुर्थेश बारहवें भाव में स्थित हों तब व्यक्ति विदेश में स्थाई तौर पर निवास करता है.
  • यदि कुंडली के चतुर्थ भाव में बारहवें भाव का स्वामी बैठा हो तब व्यक्ति अपने ही देश में निवास करता है.
  • कुंडली में चतुर्थेश, बारहवें भाव में स्थित हो या चौथा भाव, बारहवें भाव के घटको से प्रभावित हो रहा हो तब जातक लम्बे समय तक विदेश में ही रहता है.
  • लग्नेश व द्वादशेश का आपस में राशि परिवर्तन होना व्यक्ति का विदेश में निवास को दर्शाता है.
  • यदि कुंडली में बारहवें भाव का स्वामी लग्न से केन्द्र या त्रिकोण में स्थित है तब जातक विदेश में समृद्धशाली बनता है.
  • यदि कुंडली में लग्नेश, कमजोर द्वादशेश को देखे जो कि निर्बल या अस्त है तब ऎसा व्यक्ति बहुत दूर स्थान पर अकेले निवास करने वाला होता है. यदि द्वादशेश बली है तब व्यक्ति मेट्रोपोलिटिन शहर में ही निवास करता है.
  • जन्म कुंडली में चंद्रमा का बल देखना बहुत आवश्यक होता है. चंद्रमा मन होता है और कुंडली में लम्बी यात्राओं का प्रतिनिधित्व भी करता है. अगर कुंडली में विदेश से संबंधित योग बली है लेकिन चंद्रमा कमजोर है तब व्यक्ति विदेश यात्रा नहीं कर पाएगा.
  • यदि व्यक्ति चंद्रमा अथवा शुक्र की दशा में विदेश यात्रा जाता है तब वह सैर सपाटे अथवा मौज-मस्ती के लिए विदेश जाता है.
  • जन्म कुंडली में विदेश यात्रा का निर्णय आठवें भाव/आठवें भाव के स्वामी ग्रह और बारहवें भाव अथवा उसके स्वामी ग्रह से करना चाहिए. आठवां भाव निर्वासन का भाव माना गया है.
  • जन्म कुंडली में राहु आठवें भाव में स्थित हो और अष्टमेश दसवें भाव में स्थित हो तब विदेश यात्राएँ होती हैं.

प्रश्न कुंडली से विदेश यात्रा का निर्णय | Determination of Foreign Travel Through Prashna Kundli

कई बार ज्योतिषी के पास व्यक्ति प्रश्न लेकर तो आता है लेकिन उनके पास अपने जन्म का सही विवरण नही होता है. ऎसे में कुशल ज्योतिषी प्रश्न कुंडली का सहारा लेता है और व्यक्ति के सवालों का उत्तर देता है. आइए प्रश्न कुंडली के योगो को जानें.

  • यदि प्रश्न कुंडली के लग्न में चर राशि स्थित है और चर राशि ही नवांश के लग्न में हो या द्रेष्काण के लग्न में आती हो तब व्यक्ति का प्रश्न विदेश से संबंधित हो सकता है और अगर उसका प्रश्न जाने के लिए है तब वह विदेश जा सकता है.
  • यदि प्रश्न कुंडली का लग्नेश, आठवें या नवम भाव में स्थित हो तब भी विदेश से संबंधित प्रश्न हो सकता है और व्यक्ति जा सकता है.
  • प्रश्न कुंडली के लग्न, सातवें व नवम भाव में शुभ ग्रह प्रश्नकर्ता की इच्छा की पूर्ति बताते हैं.
  • प्रश्न कुंडली के लग्न, सातवें व नवम भाव में पापी ग्रह प्रश्नकर्त्ता की विदेश यात्रा में परेशानियों का अनुभव बताते हैं.
  • प्रश्न कुंडली के आठवें भाव में शुभ ग्रह हों तब विदेश में पहुंचने पर व्यक्ति विशेष को लाभ मिलता है.
  • प्रश्न कुंडली के सातवें भाव में सूर्य स्थित हो तब व्यक्ति विदेश से शीघ्र वापिस आएगा.
  • प्रश्न कुंडली के नवम भाव में मंगल स्थित हो तब विदेश यात्रा में व्यक्ति के सामान की हानि हो सकती है और यदि मंगल आठवें भाव में हो तब चोट अथवा दुर्घटना का भय रहता है.
  • प्रश्न कुंडली के सातवें भाव में मंगल स्थित हो तब व्यक्ति का स्वास्थ्य प्रभावित होने की संभावना बनती है.
  • प्रश्न कुंडली में राहु या शनि सातवें, आठवें या नवम भाव में स्थित हो तब व्यक्ति को बीमारी हो सकती है.