कुंडली में अपनी स्थिति विशेष के कारण अथवा किसी बुरे ग्रह के प्रभाव में आकर भी शुक्र बलहीन हो जाते हैं. इसके बलहहीन होने के प्रभाव जातक के वैवाहिक जीवन अथवा प्रेम संबंधों मेंतनाव को उत्पन्न कर सकते हैं.स्त्रियों की कुंडली में शुक्र के बलहीन होने पर उनकी प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है. जातक के भीतर शारीरिक वासनाओं को आवश्यकता से अधिक बढ़ा भी सकता है अथवा जातक किसी गुप्त रोग से पीड़ित भी हो सकता है.

जन्म कुण्डली के लग्न में बैठा शुक्र यदि कमजोर हो तो व्यक्ति अपने आप को अधिक बेहतर समझने वाला होगा. स्वंय पर खर्च करने वाला और दिखावा भी कर सकता है. भाग्य के भरोसे रहने वाला होता है.

दूसरे भाव में स्थित कमजोर शुक्र होने से जातक बातों में गुमावदार हो सकता है. बड़-चढ़कर बोलने वाला, मिथ्याभाषी भी हो सकता है. संपत्ति के सद-उपयोग नहीं कर पाता है.

तृतीय भाव में बलहीण शुक्र के होने से व्यक्ति में मोह अधिक रहता है. भाई बहनों से युक्त होता है. किंतु उनसे प्रतिद्वंदिता बनी रह सकती है.

चतुर्थ भाव में बलहीन चंद्रमा के होने पर माता के सुख में कमी आती है, माता को कष्ट या दूरी हो सकता है. वाहनों का सुख पूर्णता नहीं मिल पात अकोई न कोई परेशानी बनी रह सकती है.

पंचम भाव में शुक्र के बलहीन होने पर जातक के लव-अफेयर अधिक हो सकते हैं. प्रेम संबंधों में कई बार उतार-चढा़व की स्थिति बनी रहती है. जातक को प्रेम संबंधों में संतुष्टि का अनुभव नहीं मिल पाता है.

छठे भाव में बलहीन शुक्र के होने पर व्यक्ति बुरे लोगों की संगत में पड़ सकता है. व्यसनों का आदि हो सकता है. इस भाव में शुक्र के बलहिण होने पर व्यक्ति पर लांछन लगने की स्थिति भी बनी रह सकती है.

सप्तम भाव में कमजोर शुक्र के होने पर जातक के विवाह में देरी हो सकती है. जातक के संबंध एक से अधिक भी रह सकते हैं वैवाहिक सुख में कमी भी रहती है.

आठवें भाव में शुक्र के कमजोर होने पर जातक का व्यवहार काफी सीमित हो सकता है धर्म से विमुख भी हो सकता है तथा अपने में गुप्त रहने वाला अपनी बातों को सभी के समझ न कहने वाला हो सकता है. जातक को गुप्त रोग भी प्रभावित कर सकते हैं.

नवम भाव में कमजोर शुक्र के होने से जातक यात्राओं से परेशानी झेल सकता है. तीर्थयात्राओं में अधिक रूचि नहीं लेता. भगय भाव में कमी का अनुभव रहता धर्म के प्रति उदासीन रह सकता है.

दशम भाव में कमजोर शुक्र के होने पर व्यवसाय में जैसे पानी से संबंधी या कपडे के व्यापार में मुनाफा नहीं मिल पाता. प्रतिद्वंदियों का हस्तक्षेप बना रह सकता है.

एकादश भाव में बलहीन शुक्र के होने पर गुणों से रहित संतान की ओर से परेशानी झेलनी पड़ सकती है. लाभ में कमी बनी रहती धन का अनावश्यक खर्च होता है

द्वादश भाव में शुक्र की स्थिति व्यक्ति के सुखों में कमी लाती है. उसे भौतिक सुखों में कमी का अनुभव होता है. ज्योति प्रभावित हो सकती है.