ज्योतिष में ग्रहों की स्थिति और योग के निर्माण से प्रेम संबंधों के विषय में भी जाना जाता है. रिश्तों की मजबूती तथा स्थिरता को समझने में ज्योतिष एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. कुण्डली में प्रेम संबंधों को देखने के लिए भाव एवं ग्रहों की दशा को समझना अत्यंत आवश्यक होता है इनके सू़क्ष्म निरिक्षण से हम प्रेम संबंधों को समझने में सक्ष्म होते हैं.

पंचम भाव से प्रेम संबंध | Love relationship through fifth house

कुण्डली में पंचम भाव से प्रेम संबंधों का विश्लेषण किया जाता है. इसे रोमांस का भाव माना जाता है. यदि पंचम भाव में बैठे ग्रह की दशा चल रही है या पंचमेश की दशा चल रही है, तब इनके प्रभाव स्वरूप व्यक्ति का मन किसी की ओर आकर्षित हो सकता है तथा प्रेम संबंध स्थापित हो सकते हैं.

नवम भाव का विश्लेषण | Analysis of the ninth house

पंचम भाव से गणना करने पर नवम भाव, पंचम ही होता है. इसलिए यदि किसी की कुण्डली में नवम भाव में बैठे ग्रह या नवमेश की दशा चल रही है तब भी उस जातक के मन में प्रेम की अभिव्यक्ति तीव्र हो सकती है.

सप्तम भाव का विश्लेषण | Analysis of the seventh house

इसी के साथ सप्तम भाव भी प्रेम में अपनी भूमिका दर्शाता है क्योंकि इसे से साथी का संब्म्ध देखा जाता है तथा इससे विवाह का आंकलन किया जाता है. यदि किसी की कुण्डली में सप्तम भाव में बैठे ग्रह की या सप्तमेश की दशा चल रही हो तब भी उसके ह्रदय में किसी के प्रति प्रेम भावनाएँ उभरने लगती हैं. इसके आतिरिक्त जन्म कुण्डली में लग्नेश की दशा के समय भी व्यक्ति मन किसी की ओर आकर्षित हो सकता है.

प्रेम संबंधों में ग्रहों का योगदान | Contribution of Planets in Love Relationships

भावों के आधार पर प्रेम संबंध स्थापित होने की स्थिति के अतिरिक्त ग्रहों की स्थिति तथा उनके प्रभाव से भी प्रेम संबंधों को समझा जा सकता है. कुछ प्रमुख ग्रहों की दशा में प्रेम संबंध स्थापित होने की संभावना भी प्रबल होती है. जिसमें से प्रमुख रूप से शुक्र को स्थान प्राप्त है. शुक्र ग्रह का अवलोकन किया जाता है. शुक्र को ही भोग विलास का कारक माना गया है. यह प्रेम मुख्य कारक ग्रह माना जाता है. शुक्र की दशा के प्रभाव स्वरूप व्यक्ति प्यार की ओर स्वत: ही झुकाव महसूस करने लगता है.  इसी के साथ चन्द्र ग्रह जो मन का कारक ग्रह होता है और एक अत्यधिक चंचल ग्रह होता है. इसलिए चन्द्रमा की दशा में व्यक्ति का मन भटकने लगता है और उसके प्रेम संबंध स्थापित हो सकते हैं.

राहु की दशा का प्रभाव कुण्डली में चलने पर भी व्यक्ति के प्रेम संबंध अति शीघ्रता से स्थापित होते हैं. राहु अच्छे तथा बुरे के विषय में नहीं जानता. इसलिए इसकी दशा में बुद्धि भ्रमित सी रहती है तथा परंपरा से हटकर भी रिश्ते बन सकते हैं अर्थात आप किसी ओर जाती या धर्म के व्यक्ति से प्रेम कर सकते हैं. इसी प्रकार एक अन्य ग्रह बुध को भी प्रेम संबंधों के लिए कारक ग्रह माना जा सकता है. बुध ग्रह बुद्धि का कारक है. इसलिए इसकी दशा में बुद्धि अकसर चंचल हो जाती है. इसकी दशा में मन में भावनाओं की अभिव्यक्ति तेज हो जाती है और रोमांस स्थापित होने की संभावना बनती है.