हल योग अपने नाम के अनुसार ही दिखाई भी देता है. हल जो भूमि को खोदकर उसमें से जीवन का रस प्रदान करता है और उसी को पाकर ही जीव अपने जीवन को बनाए रखने में सफल होता है यही हल योग जब कुण्डली में निर्मित होता है तो उसी प्रकार जातक के जीवन के शुभ रुपों को बाहर निकाल कर उसे नई शक्ति प्रदान करता. ज्योतिष अनुसार यह योग जब त्रिकोण की आकृति में स्थित हो, अर्थात लग्न से 2, 6, 10 भाव अथवा 3, 7, 11 अथवा 4, 8, 12 भावों में हो, तो इस शुभ हल योग की रचना होती है. इस योग से युक्त व्यक्ति भूमि और भूमि से जुडे क्षेत्रों से आय प्राप्त करने में सफल रहता है.

यह हल योग जातक को कृषि क्षेत्र  से लाभ प्राप्त कराने में सहायक होता है. इस योग वाले व्यक्ति को भूमि खनन के कार्यो से आजीविका की प्राप्ति हो सकती है. वह शारीरिक परिश्रम के कार्य करने में कुशल होता है. इस योग वाला व्यक्ति भूमि से जुडे कार्यो को कुशलता से कर सकता है. इसलिए ऎसे व्यक्तियों को भूमि के क्रय-विक्रय से संबन्धित कार्य करना लाभकारी रहता है.

हल योग का निर्माण | Formation of Hal Yoga

ज्योतिष शास्त्रियों और विद्वानों के अनुसार कुंडली में हल योग तीन प्रकार से बनता है. जातक परिजात और वृहदपराशरहोराशास्त्र में इस योग के इन मुख्य संदर्भों पर प्रकाश डाला गया है जिसके अनुसार जन्म कुंडली में सभी ग्रह दूसरे, छठे और दसवें भाव में स्थित हैं तब हल योग निर्मित होता है. एक अन्य तथ्य के अनुसार कुंडली में जब सभी ग्रह तीसरे, सातवें और एकादश भाव में स्थित हैं तब भी हल योग का निर्माण होता है. तथा तीसरा तथ्य इस बात की ओर इशारा करता है कि यदि कुंडली में सभी ग्रह चतुर्थ, अष्टम और बारहवें भाव में स्थित है तब भी इस हल योग का निर्माण संभव होता है.

हल योग का जीवन पर प्रभाव | Effect of Hal Yoga

जन्म कुंडली में हल योग किसी भी प्रकार से निर्मित होता हो परंतु यह अपना प्रभाव अवश्य दिखाता है. यह योग जातक की कुण्डली में दूसरे, छठे और दसवें भाव में स्थित होने पर उसको अधिक संघर्ष की स्थिति तो देता है लेकिन साथ ही साथ उसके प्रयासों में तेजी लता है. जातक अपनी कठिनाईयों से लड़ने के लिए पूर्ण रुप से तैयार रहता है. कुंडली में यदि सभी ग्रह तीसरे, सातवें और एकादश भाव में स्थित होने पर इस स्थिति में उसके लाभ में बहुत सा अच्छा संकेत देखने को मिलता है. संबंधों में नई चुनौतियां तो आती ही हैं परंतु साथ ही साथ एक सकारात्मक रवैया भी प्राप्त होता है.

कुंडली में सभी ग्रह चतुर्थ, अष्टम और बारहवें भाव में स्थित होने पर  स्थिति कुछ अलग होती है जीवन संघर्षपूर्ण व्यतीत होता है जातक को कृषि कर्म में अधिक सफलता प्राप्त होती है. कृषि कर्म के ज़रिए ही व्यक्ति आय प्राप्त करता हैं. व्यक्ति की कुंडली में हल योग बनने पर उसका जीवन संघर्षपूर्ण परिस्थितियां लाता है लेकिन उनसे लड़ने की क्षमता भी प्राप्त होती है. यह योग अच्छे तथा बुरे दोनों ही प्रकार के होते हैं. यह किस तरह से बनते हैं और आपके जीवन पर इन योगों का क्या प्रभाव पड़ता है.इस बत को जानना अत्यंत अवश्यक है