Monthly Archives: March 2018

12 माह आजीविका ज्योतिष से | Next 12 Months Career According to Astrology | Profession According to Vedic Astrology

एक वितीय वर्ष में आजीविका क्षेत्र में आने वाले उतार-चढावों को ज्योतिष के माध्यम से समझने के लिये हमें योग, दशा ओर गोचर की अंगूली पकड कर चलना पडेगा. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सभी योग केवल अपनी महादशा- अन्तर्दशा और … Continue reading

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मोती का उपरत्न मूनस्टोन लाएगा जीवन में सुख और समृद्धि

मून स्टोन चन्द्रमा के रत्न मोती का मुख्य उपरत्न है. इस रत्न का उपयोग नव ग्रह में से एक चंद्रमा की शक्ति और सकारात्मकता को पाने के लिए किया जाता है. मून स्टोन आसानी से प्राप्त हो जाने वाला प्रभावशाली … Continue reading

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जानिए, सप्तमी तिथि का महत्व और इसकी विशेषता

एक हिन्दू तिथि सूर्य के अपने 12 अंशों से आगे बढने पर तिथि बनती है. सप्तमी तिथि के स्वामी सूर्य देव है, तथा प्रत्येक पक्ष में एक सप्तमी तिथि होती है. सप्तमी तिथि को शुभ प्रदायक माना गया है. इस … Continue reading

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मंगल ज्योतिष में । The Mars in Astrology । Know Your Planets Mars

मंगल को ज्योतिष शास्त्र में व्यक्ति के साहस, छोटे भाई-बहन, आन्तरिक बल, अचल सम्पति, रोग, शत्रुता, रक्त शल्य चिकित्सा, विज्ञान, तर्क, भूमि, अग्नि, रक्षा, सौतेली माता, तीव्र काम भावना, क्रोध, घृ्णा, हिंसा, पाप, प्रतिरोधिता, आकस्मिक मृ्त्यु, हत्या, दुर्घटना, बहादुरी, विरोधियों, … Continue reading

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शुक्रवार व्रत विधि | Friday Vrat (Santoshi Mata Vrat Katha in Hindi) Friday Fast Story in Hindi – Shukrawar Vrata Katha – Aarti

वार व्रत करने का उद्देश्य नवग्रहों की शान्ति करना है, वार व्रत इसलिये भी श्रेष्ठ माना गया है. क्योकि यह व्रत सप्ताह में एक नियत दिन पर रखा जा सकता है. वार व्रत प्राय: जन्मकुण्डली में होने वाले ग्रह दोषों … Continue reading

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माता वैभव लक्ष्मी व्रत विधि | Mata Vaibhav Lakshmi Vrat Method – Vaibhav Laxmi Fast – Vaibhav Lakshmi Pooja (Mantra) | Vaibhav Lakshmi Vratam

माता लक्ष्मी की कृ्पा पाने के लिये शुक्रवार के दिन माता वैभव लक्ष्मी का व्रत किया जाता है. शुक्रवार के दिन माता संतोषी का व्रत भी किया जाता है. दोनों व्रत एक ही दिनवार में किये जाते है. परन्तु दोनों … Continue reading

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प्रश्न कुण्डली तथा जन्म कुण्डली में अंतर| Different Between Prashna Kundali And Janam Kundli

प्रश्न कुण्डली | Prashna Kundli (1) क्रियमाण कर्म को दर्शाती है. क्रियमाण कर्म वह हैं जो इस जीवन में किये गए हैं.(2) यह कुण्डली केवल एक विषय से संबंधित होती है. जन्म कुण्डली | Janam Kundali (1) प्रारब्ध को दर्शाती … Continue reading

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मण्डूक दशा की गणना | Calculation of Mandook Dasha

आपने पिछले अध्याय में पढा़ कि जब केन्द्र में राहु/केतु के अतिरिक्त चार या चार से अधिक ग्रह केन्द्र में स्थित हों तब मण्डूक दशा लगती है. इस दशा का क्रम निर्धारित करने के लिए यह देखा जाता है कि … Continue reading

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जानिए, लालडी़ अथवा सूर्यमणि उपरत्न कौन धारण करे?

ऋग्वेद के प्रथम श्लोक में ही रत्नों के बारे में जिक्र किया गया है. इसके अतिरिक्त रत्नों के महत्व के बारे में अग्नि पुराण, देवी भागवद, महाभारत आदि कई पुराणों में लिखा गया है. कुण्डली के दोषों को दूर करने … Continue reading

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ज्योतिष के इतिहास में भास्कराचार्य का योगदान

ज्योतिष की इतिहास की पृष्ठभूमि में वराहमिहिर और ब्रह्मागुप्त के बाद भास्कराचार्य के समान प्रभावशाली, सर्वगुणसम्पन्न दूसरा ज्योतिषशास्त्री नहीं हुआ है. इन्होने ज्योतिष की प्रारम्भिक शिक्षा अपने पिता से घर में ही प्राप्त की. भास्कराचार्य भारत के महान विद्वानों की … Continue reading

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