Category Archives: vedic astrology

कार्नेलियन । रात-रतुवा । रोडोनाइट । Substitute of Red Coral | Carnelian | Rhodonite Stone | Substitute of Moonga | Stone of Love

कार्नेलियन उपरत्न को हिन्दी में “रात-रतुवा” कहा जाता है(Carnelion stone is called Rat-Ratua in Hindi). रात-रतुवा को रोडोनाइट के नाम से भी जाना है. इस उपरत्न को मूँगा रत्न के स्थान पर धारण किया जा सकता है. लाल रंग के … Continue reading

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9th भाव-भाग्य भाव क्या है | Bhagya Bhava Meaning | Navam House in Horoscope | 9th House in Indian Astrology

नवम भाव धर्म का भाव है.  इस भाव से सौभाग्य देखा जाता है. इसके अतिरिक्त नवम भाव पिता, पुत्र का भाव भी है. व्यक्ति की धार्मिक आस्था इसी भाव से देखी जाती है. किसी भी व्यक्ति का ईष्टदेव कौन सा … Continue reading

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वृषभ राशि क्या है. | Taurus Sign Meaning | Taurus – An Introduction | Who is the Lord of the Taurus sign

राशिचक्र 12 राशियों से मिलकर बना है, इस चक्र में 360 अंश होते है. तथा 360 अंशों को 12 भागों में बराबर बांटने पर 12 राशियों का निर्माण होता है. सभी व्यक्तियों का जीवन 12 राशियों, 9 ग्रह और 27 … Continue reading

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सोमवार के दिन क्या कार्य करना शुभ है? | Auspiciousness of Monday in Daily Life

वर्तमान समय में दैनिक जीवन के सभी कार्यों को शुभ मुहूर्त निकाल कर करना संभव नहीं है. अगर कोई व्यक्ति ऎसा प्रयास करता भी है तो मुहूर्त समय की शुद्धि में कमी रहेगी. या फिर व्यक्ति के कार्य विल्मबित होते … Continue reading

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कनकदण्ड-इष्टबल-कीर्ति-चामर-कुलश्रेष्ठ-भाग्य योग कैसे बनता है | How is Formed Kanak Danda Yoga | What is Eshtha Bal Yoga | How is Formed Kirti Yoga | How is Formed Kirti Yoga

कनकदण्ड योग उस समय बनता है, जब सातों ग्रह मीन, मेष, वृ्षभ, और तुला राशियों में होते है. यह योग व्यक्ति को श्रेष्ठ धर्मपरायण बनाता है. इसके प्रभाव से व्यक्ति को यश की प्राप्ति होती है. जिस भी क्षेत्र में … Continue reading

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सावन के माह का महत्व । Sawan Month | Importance of Sawan Month | Why Shiva Puja is Done

हिन्दू कैलेण्डर के बारह मासों में से सावन का महीना अपनी विशेष पहचान रखता है. इस माह में चारों ओर हरियाली छाई रहती है. ऎसा लगता है मानों प्रकृति में एक नई जान आ गई है. वेदों में मानव तथा … Continue reading

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बव करण फल

चन्द्रमा की एक कला तिथि कहलाती है. एक तिथि से दो नक्षत्र बनते है. इस प्रकार कृ्ष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष दोनों पक्षों की तिथियां मिलाकर 30 तिथियां बनती है. चरण एक तिथि में दो होते है. इस हिसाब से … Continue reading

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लग्न में स्थित राशि का व्यवसाय पर प्रभाव । Effect of Sign Present in Ascendant । Movable Sign | Fixed Sign | Dual Sign

अनेक विद्वानों के मतानुसार लग्न की राशि के अनुसार व्यक्ति का व्यवसाय होता है. लग्न में जो राशि आती है और लग्न में स्थित ग्रहों के गुणधर्म के अनुसार व्यक्ति की आजीविका होती है. कई विद्वानों का मानना है कि … Continue reading

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शनि क्या है । The Saturn in Astrology । Know Your Planets- Saturn | Satrun and Choice of Profession

शनि ग्रह को समझने के लिए सबसे पहले शनि की कारक वस्तुओं को जानना आवश्यक है. शनि ज्योतिष में आयु का कारक ग्रह है. इसके प्रभाव से प्राकृ्तिक आपदायें, मृ्त्यु, बुढापें, रोग, निर्धनता,पाप, भय, गोपनीयता, कारावास, नौकरी, विज्ञान नियम, तेल-खनिज, … Continue reading

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शुक्र क्या है । The Venus in Astrology । Know Your Planets- Venus | Venus and Choice of Profession

शुक्र पत्नी का प्रतिनिधित्व करता है. वह विवाह का कारक ग्रह है, ज्योतिष में शुक्र से वाहन, काम सुख, आभूषण, भौतिक सुख सुविधाओं का कारक ग्रह है. शुक्र से आराम पसन्द होने की प्रकृ्ति, प्रेम संबन्ध, इत्र, सुगन्ध, अच्छे वस्त्र, … Continue reading

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