वैदिक ज्योतिष के अनुसार सूर्य एक बहुत ही प्रभाशाली ग्रह है और दूसरी ओर कुंडली का आठवां भाव सभी प्रभाव को कम देने वाला भाव है. अब इस स्थिति में आठवें भव में जब सूर्य बैठ जाता है तो क्या संभावनाएं ला सकता है इस बारे में सही से समझने के लिए इन दोनों की स्थिति अर्थात भाव और ग्रह की स्थिति को समझ लेना बहुत जरुरी होता है. अगर जन्म कुंडली के आठवें भाव में सूर्य ग्रह की स्थिति शुभ परिणाम देती है, तो ऐसे व्यक्ति को अपनी आयु के बाइसवें वर्ष से सरकार से सहयोग मिल सकता है. लेकिन इसके अपने कुछ नकारात्मक प्रभाव भी होते हैं जिन्हें जान लेना जरुरी है.
इस भाव में सूर्य ग्रह व्यक्ति को सत्यवादी, गुणी और राजा जैसा व्यक्तित्व वाला बनाता है. ऐसे व्यक्ति को कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकता. इस भाव में सूर्य के होने के अर्थ का पता लगाते हुए इसके ज्योतिषीय महत्व को समझ पाएंगे और यह किसी व्यक्ति के भाग्य को कैसे आकार देता है. सूर्य इस भाव वाले लोगों के लिए करियर, रिश्तों, स्वास्थ्य और आध्यात्मिक विकास से संबंधित महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि पर भी कैसे असर डालता है इस पर भी ध्यान देना जरुरी होता है तो चलिये जान लेते हैं सूर्य के आठवें भाव में स्थिति कैसे डालती है आप पर अपना असर.
अष्टम भाव क्या है
ज्योतिष शास्त्र में कहा गया है कि, दीर्घायु और अप्रत्याशित घटनाओं को देने वाला होता है. अष्टम भाव किसी भी व्यक्ति के जीवन के कुछ खास महत्वपूर्ण पहलू पर अपना असर डालता है. ज्योतिष में, इन पहलुओं से संबंधित विकास को निर्धारित करने वाले भाव को कुंडली का आठवां भाव कहा जाता है. आठवां भाव अक्सर ज्योतिष के सबसे रहस्यमय और गहन क्षेत्रों में से एक माना जाता है. यह बदलाव, मृत्यु, पुनर्जन्म और विरासत और अन्य लोगों के पैसे से संबंधित मामलों को नियंत्रित करता है. आठवां भाव गुप्त विज्ञान, मानसिक क्षमताओं और छिपे हुए ज्ञान में भी बदलता है. यह अवचेतन मन से गहराई से जुड़ा हुआ है और जीवन के उन अंधेरे पक्ष का प्रतिनिधित्व करता है जिनका हमें आध्यात्मिक रूप से बढ़ने के लिए सामना करना चाहिए.
वैदिक ज्योतिष में, कुंडली का आठवां भाव मृत्यु, दीर्घायु और अचानक होने वाली घटनाओं के बारे में जानकारी देता है. यह प्राकृतिक, शांतिपूर्ण, पानी या आग, दुर्घटना, आत्महत्या या किसी प्रकार की पुरानी बीमारी के कारण हो सकता है. शास्त्रों के अनुसार, जब सूर्य ग्रह इस भाव में होता है, तो जीवन अवधि आमतौर पर छोटी होती है. लेकिन फिर भी, कुछ सरल निवारक उपायों के माध्यम से स्थिति को बदला जा सकता है. इस भाव में सूर्य का होना यह दर्शाता है कि व्यक्ति महत्वपूर्ण जीवन बदलावों से प्रभावित हो सकता है. यह स्थिति जीवन के गहरे रहस्यों को समझने और अपने भावनात्मक और आर्थिक संसाधनों को पाने की इच्छा को भी दर्शाती है.
सूर्य का प्रभाव
आठवें भाव में सूर्य के प्रभाव को जानने से पहले, ज्योतिष में सूर्य की भूमिका को समझना आवश्यक है. सूर्य का असर व्यक्ति के अस्तित्व पर असर डालता है, अहंकार और हमारी पहचान का प्रतिनिधित्व करता है. यह व्यक्ति की जीवन शक्ति, जीवन शक्ति और उद्देश्य की भावना को नियंत्रित करता है. सूर्य व्यक्ति के जीवन में पिता या पैतृक व्यक्ति से जुड़ा होता है और यह दर्शाता है कि व्यक्ति अपनी इच्छा और अधिकार को कैसे व्यक्त करता है. तो अब सूर्य आठवें भाव में बैठा सूर्य जीवन के अनेक पहलुओं पर एक अलग ही प्रभाव डालता है.
अष्टम भाव में सूर्य का शुभ प्रभाव
कुंडली के आठवें भाव में सूर्य की उपस्थिति के कारण, ऐसे लोग किसी भी अचानक और कठिन परिस्थितियों पर तुरंत प्रतिक्रिया करने वाले होते हैं. ऐसे लोग किसी भी स्थिति को बहुत प्रभावी ढंग से नियंत्रित करने में सक्षम होते हैं. इसके अलावा, ऐसे जातकों में सही समय पर सही बात कहने की बेहतरीन क्षमता होती है और यह जीवन की अनिश्चितताओं और अप्रत्याशित घटनाओं में एक कुशल और अच्छे प्रबंधक होने के गुण को दर्शाता है. यही कारण है कि ऐसे लोग अपने जीवन में आने वाली गतिविधियों को अच्छी तरह से प्रबंधित करके हमेशा मानसिक रूप से समृद्ध और स्वतंत्र महसूस करते हैं. व्यक्ति अपने आस पास की स्थिति के प्रति काफी जागरुक भी होता है. आसानी से किसी से मिलते नहीं हैं लेकिन जब जुड़ाव होता है तो समर्पण का भाव भी रखते हैं.
अष्टम भाव में सूर्य का नकारात्मक प्रभाव
कुंडली के आठवें भाव में सूर्य से प्रभावित लोग वास्तव में भावुक नहीं होते हैं या अपनी भावनाओं को आसानी से व्यक्त नहीं करते हैं. ऐसे लोग अपने भीतर कई भावनाओं को दबाते हैं, उन्हें दूसरों के सामने व्यक्त नहीं करते हैं और आसानी से किसी पर भरोसा नहीं करते हैं. पहले ये किसी भी व्यक्ति को परखते हैं और फिर अगर वे उसे उन कसौटियों पर उपयुक्त पाते हैं और अगर वे उसे दिल से पसंद करते हैं, तभी वे उसे अपना करीबी दोस्त मानते हैं और अपने जीवन में शामिल करते हैं.
अष्टम भाव स्वास्थ्य और रहस्य
इस सूर्य स्थान वाले लोगों में गुप्तविद्या, रहस्यवाद और आध्यात्मिक उपचार की ओर स्वाभाविक झुकाव होता है. वे ज्योतिष, टैरो और गूढ़ ज्ञान के अन्य रूपों की ओर आकर्षित होते हैं. यह रुचि उन्हें ब्रह्मांड की अदृश्य शक्तियों से जुड़ने में मदद करती है और जीवन की जटिलताओं के बारे में उनकी समझ को बढ़ाती है. आठवां भाव शरीर के छिपे हुए पहलुओं, जैसे प्रजनन प्रणाली और यौन स्वास्थ्य को नियंत्रित करता है.
इस भाव में सूर्य का असर स्वास्थ्य के मामले में दिक्कतें दे सकता है, हेल्थ से जुड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, खासकर अगर सूर्य पीड़ित हो. ऎसे में व्यक्ति को अपने भावनात्मक स्वास्थ्य के प्रति भी सचेत रहना चाहिए, क्योंकि दबी हुई भावनाएं शारीरिक बीमारियों के रूप में प्रकट हो सकती हैं. नियमित आध्यात्मिक अभ्यास, ध्यान संतुलन बनाए रखने में मदद कर सकता है.
अष्टम भाव में सूर्य का वैवाहिक जीवन और प्रेम संबंधों पर प्रभाव
अष्टम भाव में सूर्य की शुभ युति जातक के वैवाहिक जीवन को सुख, समृद्धि और आर्थिक उन्नति प्रदान करती है और जातक के करियर में भी मदद करती है. इन लोगों को अपने वैवाहिक जीवन में ससुराल पक्ष से अच्छा धन मिलने की संभावना रहती है. हालांकि, जीवन में सामंजस्य होने पर भी कुछ परिस्थितियों में कलह या संघर्ष हो सकता है.
जन्म कुंडली के आठवें भाव में सूर्य का होना परिवर्तन, गहन आत्म-जागरूकता और व्यक्ति के जीवन, मृत्यु और रहस्यवाद के मामलों से जुड़ाव का एक शक्तिशाली संकेतक है. इस भाव को अक्सर परिवर्तन का भाव कहा जाता है, यह साझा संसाधनों, विरासत, छिपे हुए ज्ञान और भावनात्मक पुनर्जन्म जैसे क्षेत्रों को नियंत्रित करता है. यहां सूर्य की उपस्थिति जातक के जीवन में अद्वितीय गुण और चुनौतियां लाती है, जो उनके व्यक्तित्व, करियर, रिश्तों और व्यक्तिगत विकास को प्रभावित करती है.