मेष राशि के लिए शनि साढे़साती प्रभाव

मेष राशि के लिए शनि साढे़साती प्रभाव 

शनि को राशि चक्र का एक चक्कर पूरा करने में लगभग तीस वर्ष लगते हैं. यह प्रत्येक राशि में लगभग ढ़ाई 2.5 वर्ष तक रहता है. शनि को एक ऐसा ग्रह माना जाता है जो अशुभ स्थिति में होने पर लोगों के लिए दुख और मुश्किलें लाता है. साढ़ेसाती 7.5 वर्ष की अवधि होती है, जिसके दौरान शनि विशेष रूप से अशुभ होता है और व्यक्ति के जीवन में लगातार समस्याएं उत्पन्न करता है. साढ़ेसाती तब शुरू होती है जब शनि व्यक्ति की जन्म राशि से बारहवीं राशि में प्रवेश करता है और तब समाप्त होती है जब शनि व्यक्ति की जन्म राशि से दूसरी राशि से बाहर निकलता है. इन तीन राशियों को पार करने में इसे लगभग साढ़ेसात वर्ष लगते हैं इसलिए इसे साढ़ेसाती कहा जाता है.

हर व्यक्ति साढ़ेसाती से गुजरता है, ज़्यादातर लोगों के लिए यह कम से कम दो या तीन बार होता है. ऐसा कहा जाता है कि जब तक साढ़ेसाती रहती है, तब तक आपको थोड़ी शांति मिलती है. लेकिन यह मत सोचिए कि सिर्फ़ इसलिए कि आप साढ़ेसाती में हैं, आपका जीवन नष्ट हो जाएगा. ऐसा नहीं है बहुत से लोग साढ़ेसाती के दौरान भी सफल होते रहते हैं. बहुत कुछ आपकी कुंडली की समग्र शुभता, अन्य ग्रहों की स्थिति और आपके अपने प्रयासों पर निर्भर करता है. आप शनि की साढ़ेसाती के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए उपाय भी कर सकते हैं.

मेष राशि के लिए साढ़ेसाती

मेष राशि मंगल द्वारा प्रभावित होती है. मेष राशि पर शनि की साढ़ेसाती के असर कई तरह से देखने को मिलते हैं. शनि अनुशासन है जबकि मंगल आवेग है. शनि सीमाएं हैं जबकि मंगल बेलगाम कार्य है. शनि बुढ़ापा है जबकि मंगल युवावस्था है. शनि विलंब है जबकि मंगल सहजता है. शनि आत्म-नियंत्रण है जबकि मंगल आक्रामकता है. मंगल एक ऐसा बच्चा है जिसे शनि माता-पिता के रूप में वश में करना चाहेगा. इन दोनों ग्रहों का महत्व एक दूसरे से इतना अलग है कि अब तक आप अनुमान लगा चुके होंगे कि इन दोनों के बीच किस तरह का रिश्ता है.

वैदिक ज्योतिष में, आप कह सकते हैं कि मंगल और शनि शत्रु हैं क्योंकि शनि की हवा मंगल की आग को और बढ़ाती है, इसलिए यह योग ठीक से काम नहीं करता है. मेष राशि वालों के लिए साढ़ेसाती आमतौर पर जीवन में एक मांगलिक अवधि होती है. विभिन्न राशियों में शनि की स्थिति के आधार पर समझना महत्वपूर्ण है ताकि यह पाता किया जा सके कि साढ़ेसाती मेष राशि के व्यक्ति के जीवन में क्या परिणाम लाएगी.

मेष राशि के लिए शनि साढ़ेसाती का पहला चरण 

जब शनि मेष राशि से बारहवें भाव में प्रवेश करेगा, तो वह मीन राशि में प्रवेश करेगा, जो मेष राशि से ठीक पहले की राशि है, जो पहले चरण की शुरुआत को दिखाने वाली होती है. मेष राशि वालों के लिए साढ़ेसाती का यह चरण औसत रहता है क्योंकि मीन राशि का स्वामी बृहस्पति शनि के प्रति सामान्य या कहें तटस्थ होते हैं. इसलिए इस चरण के दौरान बहुत यात्रा करनी पड़ सकती है, जिससे कई बार शारीरिक कष्ट हो सकता है. इस ढाई साल के चरण के दौरान आपको कभी-कभी स्वास्थ्य के कारण भी परेशानी हो सकती है. यह चरण आम तौर पर स्वास्थ्य समस्याओं के रुप में सामने आ सकता है.

मेष राशि के लिए शनि साढ़ेसाती का दूसरा चरण 

मेष राशि के लिए शनि साढ़ेसाती का दूसरा चरण मुख्य पड़ाव होताहै क्योंकि इस समय शनि चंद्र राशि में होता है और मेष राशि चंद्र राशि है, जो मंगल के स्वामित्व की राशि और और मंगल का शनि के साथ शत्रु संबंध होता है. जब शनि मेष राशि में गोचर करता है, जो दूसरे चरण की शुरुआत को दर्शाता है, तो यह बहुत अधिक मानसिक तनाव और चिंता का कारण बनता है. इस साढ़े साती अवधि के दौरान व्यक्ति जल्दी गुस्सा हो जाता है. 

इस चरण के दौरान आत्मविश्वास में कमी और अवसाद प्रमुख हो जाता है. साथ ही, इनकम के स्रोत से जुड़ी कुछ समस्याएं भी महसूस हो सकती हैं. ईर्ष्या जैसी भावनाएं भी व्यक्ति के मन में घर कर जाती हैं. यह विवाहित जीवन में तनाव और भारी गड़बड़ी का कारण बनता है. इस अवधि के दौरान सभी प्रकार के अलगाव, संकट या तलाक हो सकते हैं, जो चरण के साथ-साथ व्यक्ति के पिछले कर्मों पर निर्भर करता है.

यह एक ऐसा समय होता है जब मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है. दूसरे चरण या ‘चरम’ चरण से गुजरने वाला व्यक्ति काफी हद तक परेशान महसूस कर सकता है और अवसाद और खुद को नुकसान पहुंचाने के नकारात्मक विचार न केवल मन में आ सकते हैं बल्कि उन्हें अंजाम भी दिया जा सकता है.  

मेष राशि के लिए साढ़े साती के दूसरे चरण के दौरान व्यावसायिक साझेदारी भी प्रतिकूल रहती है. शनि अब जन्म के चंद्रमा के साथ है, इसलिए यह चरण स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं और घरेलू समस्याओं को भी जन्म देता है. न केवल वरिष्ठों बल्कि अधीनस्थों के हाथों भी अपमान सहना पड़ सकता है. शनि और चंद्रमा की युति व्यक्ति के जीवन में ‘विष योग’ या विषैले पहलू बनाती है जो स्थिति को और बढ़ा देती है और जीवन के हर पहलू को सहन करना कठिन बना देती है. यह सबसे कठिन चरण है और लोगों के पास अपनी दीर्घकालिक दृष्टि खोए बिना इससे निपटने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. 

मेष राशि के लिए शनि साढ़ेसाती का तीसरा चरण  

मेष राशि के लिए शनि साढ़ेसाती का तीसरा चरण अंतिम चरण होता है जो कठिन है, लेकिन देखा जाए तो पहले से ही सबसे बुरे दौर से गुज़रने के बाद, व्यक्ति इन बातों के लिए सहनशील भी बन जाता है क्योंकि वह अपने पिछले सबक अच्छी तरह से सीख लेता है. शनि मेष राशि के बाद वृषभ राशि में प्रवेश करता है, जो शुक्र की राशि है. यह शनि के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध रखता है. शुक्र की ऊर्जा यहां एक शांत प्रभाव के रूप में काम करती है. 

यह व्यक्ति को बहुत मेहनती बनाता है. इसमें कोई संदेह नहीं है कि इस चरण के दौरान कुछ मानसिक तनाव बना रहेगा, और व्यक्ति को सफलता के लिए भी आवश्यकता से अधिक मेहनत करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा. इस दौरान आपके करीबी परिवार के सदस्यों के साथ कुछ गलतफहमियां भी बनी रह सकती हैं. इस चरण के दौरान अपने खर्चों में कटौती करने की आवश्यकता हो सकती है, लेकिन अचानक लाभ भी हो सकता है जो कुछ राहत दे सकता है.

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