ग्रहों की शक्ति कई तरह से हमारे समक्ष हम कई तरह के सूत्रों को उपयोग में लाते हैं. ग्रहों की शक्ति के लिए नवमांश कुंडली भी एक बेहद मजबूत सूत्र की तरह काम करता है. वैदिक ज्योतिष में अत्यधिक महत्व दिया गया है. प्रत्येक राशि 30 अंशों से बनी होती है और जब इसे 9 भागों में बांटा जाता है. प्रत्येक भाग को नवांश के रूप में जाना जाता है. मुख्य जन्म कुंडली या राशि चार्ट के बाद यह सबसे महत्वपूर्ण कुंडली मानी जाती है. नवमांश कुंडली की मदद से ग्रहों और भावों की शक्ति को जाना जाता है. यह कुंडली व्यक्ति के संपूर्ण कार्यों पर असर डालती है और विशेष रुप से विवाह के सुख पर इसकी स्थिति अधिक प्रभावित करने वाली होती है. नवमांश का मतलब है राशि के नवम भाग से है. इसे D-9 चार्ट के नाम से भी जाना जाता है. कुंडली का 9वां घर धर्म का स्थान भी है. इस कारण से यह धर्मांश के नाम से भी जाना जाता है. इसका उपयोग हमारे जीवन विशेषकर करियर, विवाह, भाग्य के सूक्ष्म विश्लेषण के लिए किया जाता है.
नवमांश चार्ट का ग्रह बल में महत्व
नवांश यह जन्म कुंडली हमारे जीवन के हर क्षेत्र के बारे में जानकारी देता है, यह स्वभाव , कार्य के प्रति हमारी प्रवृत्ति, करियर, विवाह, धन, भाग्य, स्वास्थ्य आदि पर अपना असर डालता है. जीवन के सभी क्षेत्रों के बारे में जानकारी के लिए डिविजनल चार्ट बहुत सहायक होते हैं. इसी में नवांश कुंडली भी है. इसका निर्माण प्रत्येक राशि को 9 भागों में विभाजित करके किया जाता है. नवांश लग्न 13-14 मिनट के अंतराल में बदल जाता है. नवांश का निर्माण मुख्य जन्म कुंडली से होता है. इसलिए यह वह परिणाम नहीं दे सकता जो मुख्य जन्म कुंडली में मौजूद नहीं है. जन्म कुंडली में कमजोर या अस्पष्ट संकेत होने पर यदि नवांश में उनका अच्छा प्रबल प्रभाव दिख रहा है तो चीजों के होने की संभावना होती है.
नवांश गणना कैसे करें
हर राशि 30 डिग्री की होती है अतः नवांश की गणना के लिए 30 अंशों को 9 भागों में विभाजित करते हैं. ऎसा करने से प्रत्येक भाग 3 डिग्री 20 मिनट का हो जाता है. उदाहरण के लिए जन्म मेष लग्न में हुआ है और लग्न का अंश 10 डिग्री है. अब मेष राशि को 9 बराबर भागों में विभाजित करते हैं. तो मेष राशि का पहला 3 डिग्री 20 मिनट पहला नवांश होगा जो मेष राशि में ही होगा. 3 डिग्री 21 मिनट से 6 डिग्री 40 मिनट तक दूसरा नवांश होगा जो वृषभ है, 6 डिग्री 41 मिनट से 10 डिग्री तक तीसरा नवांश होगा जो मिथुन होगा. और इसी तरह. लग्न 10 डिग्री का मेष राशि में है, इसलिए मेष राशि की गणना मेष से होती है नवांश लग्न मिथुन होगा.
नवमांश लग्न कैसे पहचानें
नवमांश कुंडली के प्रथम भाव को नवमांश लग्न या कारकांश लग्न के रूप में जाना जाता है. वैदिक ज्योतिष में नवांश का अर्थ है राशि चक्र का नौवां भाग. लग्न की डिग्री के अनुसार, नवांश लग्न या नवांश लग्न निर्धारित किया जाता है. नवमांश लग्न स्वामी का अर्थ है राशि स्वामी या उस राशि का स्वामी जहां नवमांश लग्न या नवमांश लग्न स्थित है. यह नवमांश कुंडली में प्रथम भाव का लग्न स्वामी या स्वामी है. उदाहरण के लिए आपका नवांश लग्न मेष है. मेष राशि का स्वामी मंगल है. अतः मंगल नवमांश लग्न स्वामी बन जाता है.
नवमांश कुंडली में ग्रहों के बल को देखने की स्थिति
कुंडली में ग्रह की स्थिति जैसी भी हो वह नवांश कुंडली में किस भाव या किसी स्थिति में है इसके द्वारा ग्रह बल को समझ पाना और उसके फलों को जान पाना संभव होता है. यदि कोई ग्रह राशि कुंडली या मुख्य जन्म कुंडली में उच्च का है, लेकिन नवांश कुंडली में नीच का हो जाता है, तो यह अच्छा परिणाम देने में विफल रहता है. इसके विपरीत अगर नवमांश कुंडली में उच्च ग्रह स्वराशि या मित्र राशि में हों तो यह बहुत अच्छे परिणाम देता है. यहीम ग्रह के बल की उपयुक्त स्थिति का पता चल पाता है. हम कई बार ऎसे ग्रहों की दशा को पाते हैं जो कुंडली में उच्च के होते हैं लेकिन उनका असर उस रुप में नहीं मिल पाता है जैसा कि मिलना चाहिए. इस स्थिति में नवांश कुंडली में ग्रह खी स्थिति यदि नीच अवस्था की है या पाप ग्रहों से प्रभावित होती है तो ग्रह का बल कमजोर हो जाता है.
नवंश कुंडली उच्च ग्रह और नीच ग्रह की शक्ति को समझने का एक विशेष तरीका है. जब कोई ग्रह उच्च का हो जाता है तो उसे बलवान माना जाता है. लेकिन उच्च ग्रह हमेशा अपेक्षित या वांछित परिणाम नहीं देते हैं. इसका कारण नवांश या अन्य मंडलीय कुंडली में इसकी कमज़ोरी है.
इसके अलावा उच्च ग्रह को शत्रु राशि पर नहीं होना चाहिए और नवांश कुंडली में अशुभ या शत्रु ग्रह से पीड़ित भी नहीं होना चाहिए. यदि कोई ग्रह राशि कुंडली में उच्च का है लेकिन नवांश कुंडली में नीच का हो जाता है, तो उसकी शक्ति काफी हद तक कम हो जाती है. अतः यह अपेक्षित परिणाम नहीं दे पाता.
इसीलिए हम कुंडली जांचते समय नवमांश और अन्य मंडल कुंडली में ग्रहों की ताकत की जांच करते हैं. अन्यथा आपको हमेशा आश्चर्य होगा कि आपको वांछित परिणाम क्यों नहीं मिल रहे हैं. आप मुझसे कुंडली विश्लेषण भी बुक कर सकते हैं.
यदि कोई नीच ग्रह नवमांश कुंडली में उच्च का हो जाता है तो उसकी नीच स्थिति समाप्त हो जाती है. यह दुर्बलता या नीचभंग को रद्द करने के मुख्य मानदंडों में से एक है. कई अन्य सिद्धांत भी हैं जिनके द्वारा ग्रह की दुर्बलता को समाप्त किया जाता है.
ऐसी परिस्थिति में नीच का ग्रह आपको लाभकारी परिणाम देगा. उदाहरण के लिए आपका जन्म सिंह लग्न में हुआ है और शनि आपका सप्तमेश है. लेकिन शनि मेष राशि में स्थित है जहां वह नीच का हो जाता है लेकिन शनि तुला नवांश में है. इस स्थिति में शनि आपको शुभ फल देगा और आपको शनि के अशुभ फल नहीं मिल पाते हैं. इस तरह से नवांश कुंडली ग्रह के बल को समझने में बहुत सहायक बनती है.