विंशोत्तरी महादशा प्रणाली की गणना के अनुसार मनुष्य के जीवन में 9 ग्रह और 9 महादशाएं होती हैं. शनि महादशा की अवधि 20 वर्ष होती है. शनि की महादशा में अन्य ग्रहों की अंतर्दशाएं भी होती हैं, जो व्यक्ति पर मिश्रित प्रभाव डालती हैं. शनि के विभिन्न लग्नों में होने का प्रभाव उसे शुभ भी बनाता है और अशुभ भी. अलग-अलग लग्नों में शनि का प्रभाव अलग-अलग होता है, ऐसे में महादशा के फल और उनसे मिलने वाले फल भी अलग-अलग होते हैं. जन्म कुंडली में शनि की स्थिति के आधार पर शुभ या अशुभ दोनों प्रभाव हो सकते हैं. एक शुभ शनि अपने प्रशासन के दौरान बेहद अच्छा हो सकता है, जबकि एक अशुभ शनि बेहद हानिकारक हो सकता है. ज्योतिष में शनि सबसे महत्वपूर्ण ग्रहों में से एक है. शक्तिशाली शनि व्यक्ति को अत्यधिक मेहनती और ज्ञानवान बना सकता है. जीवन में सफलता पाने के लिए जन्म कुंडली में शनि का बहुत शक्तिशाली होना जरूरी है.
मेष लग्न के लिए शनि महादशा का परिणाम
मेष के लिए शनि दशमेश व एकादशेश होता है. यदि किसी का जन्म मेष लग्न में हुआ है तो शनि अच्छा देता है. शनि महादशा की अवधि में जातक को निश्चित रूप से शुभ फल की प्राप्ति हो सकती है. व्यक्ति अच्छी कंपनी, घर, भवन, अच्छी शिक्षा, करियर और वाहन आदि प्राप्त कर सकता है. शनि अशुभ होया अपनी कमजोर स्थिति में है, कमजोर शनि की महादशा हो तब परेशानी और अटकाव देता है.
वृष लग्न के लिए शनि की महादशा का फल
वृष लग्न के लिए शनि नवमेश व दशमेश होता है, बली शनि की अवधि में व्यक्ति को साहसी बनाती है. यदि शनि स्वराशि या उच्च राशि में स्थित हो तो शनि अत्यंत शुभ फल देता है. शनि यदि स्वराशि, उच्च राशि और मित्र राशि में स्थित हो तो व्यक्ति को साहसी, बलवान और स्वाभिमानी बनाता है. शनि की दशा में व्यक्ति प्रबंधकीय और प्रशासनिक कार्यों में अत्यधिक सफल हो सकता है, भाई-बहनों के बीच संबंध अच्छे हो सकते हैं. यदि शनि नीच का हो और पाप ग्रहों से पीड़ित हो तो यह भय, हीन भावना और छोटे भाई-बहनों के साथ विवाद जैसी कई परेशानियाँ देता है.
मिथुन लग्न के लिए शनि महादशा का परिणाम
मिथुन लग्न के लिए शनि अष्टमेश व नवमेश होता है. यदि शनि दशा हो और शनि अच्छी स्थिति में हो तो महादशा वरदान साबित होने वाली है. यदि शनि अपनी उच्च राशि में स्थित हो या अपनी स्वराशि में स्थित हो तो यह निश्चित रूप से अनुकूल समय होता है. यह धन, संपत्ति लाएगा और वाक्पटुता विकसित करेगा. यदि शनि नीच का हो और राहु, केतु जैसे पाप ग्रहों से घिरा हो तो परेशानी हो सकती है. इससे धन हानि, परिवार के सदस्यों के बीच विवाद, पैतृक संपत्ति का नुकसान और जीवन में अन्य कठिनाइयाँ हो सकती हैं.
कर्क लग्न के लिए शनि महादशा का परिणाम
कर्क लग्न के लिए शनि सप्तमेश व अष्टमेश का स्वामी है. आठवां घर एक नकारात्मक घर है. अतः अष्टम भाव में स्थित कोई भी ग्रह नकारात्मक परिणाम देता है लेकिन शनि यहां शुभ भी बन जाता है. शनि सप्तमेष होकर वैवाहिक जीवन को कमजोर कर देता है. शनि भी अच्छा कर सकता है यदि वह बृहस्पति और शुक्र जैसे शुभ ग्रहों के साथ मित्र राशि में स्थित हो. शनि ग्रह की दशा खराब होने पर परेशानी का समय रहेगा.
सिंह लग्न के लिए शनि महादशा के परिणाम
सिंह लग्न के लिए शनि षष्ठेश व सप्तमेश होता है जो अनुकूल ग्रह नहीं है. शनि की महादशा के दौरान शनि ग्रह तब तक अच्छे परिणाम नहीं लाएगा जब तक कि वह केंद्र और त्रिकोण जैसे लाभकारी घर में न हो. मित्र राशि में अच्छी तरह से स्थित शनि धन दे सकता है. आपको लाभ, यात्रा और आध्यात्मिक सफलता मिल सकती है. शनि की दशा में ज्ञान और बुद्धि का विकास होगा. कमजोर शनि महादशा धन हानि, सामाजिक अपमान, मानसिक दुख और अनावश्यक खर्च ला सकती है.
कन्या लग्न के लिए शनि की महादशा का फल
कन्या लग्न के लिए शनि पंचमेश व षष्ठेश होता है, इसलिए यह प्रेम ज्ञान और शत्रु पर अपना प्रभाव डालता है. शनि महादशा में धन और भौतिक सफलता मिल सकती है. ज्ञान और सम्मान की प्राप्ति होती है. लेकिन यदि शनि कमजोर या नीच है और पाप ग्रहों से पीड़ित होता है तो परेशानी शिक्षा की कमी का कारण होता है. यदि शनि मंगल, शनि, राहु, केतु जैसे पाप ग्रहों से युक्त हो तो यह दशा हानि दर्शाती है.
तुला लग्न के लिए शनि की महादशा का फल
तुला लग्न के लिए शनि शुभदायक होता है. चतुर्थेश व पंचमेश शनि दशा कई प्रकार की सफलता दे सकती है. शनि यदि दशम भाव में स्थित हो और केंद्र, त्रिकोण और मित्र राशि में हो तो अत्यंत शुभ फल दे सकता है. करियर में आपको सफलता मिल सकती है. यदि व्यापार कर रहे हैं तो महादशा में व्यापार दुगुना हो जाता है. शनि ग्रह दूसरों पर सामाजिक स्थिति, शक्ति और अधिकार देता है. शनि नीच राशि में स्थित हो तो अशुभ हो सकता है या शनि, राहु, केतु, मंगल और सूर्य जैसे पाप ग्रहों से घिरा हो तो भी अशुभ हो सकता है.
वृश्चिक लग्न के लिए शनि महादशा का परिणाम
वृश्चिक लग्न के लिए शनि तृतीयेश व चतुर्थेश होता है. शनि एक सामान्य ग्रह बन जाता है. शनि की दशा में भौतिक सफलता प्राप्त होती है. ज्ञान, पढ़ाई में सफलता, करियर, व्यवसाय और आध्यात्मिक को लेकर अधिक प्रयास रहते हैं. परिश्रम अधिक रहता है. शनि काल में आपको लगातार प्रयास से ही सफलताएं मिलने की संभावना है. शनि की दशा नीच राशि में स्थित होने या पाप ग्रहों से पीड़ित होने पर नकारात्मक हो सकती है.
धनु लग्न के लिए शनि महादशा का परिणाम
शनि द्वितीय व तृतीयेश होकर साधारण ही रहता है. यदि शनि मित्र राशि, मूलत्रिकोण, उच्च राशि में स्थित हो तो व्यक्ति की दशा में बहुत प्रगति होती है. शनि महादशा के दौरान खुशी, धन, सामाजिक स्थिति, शक्ति और दूसरों पर अधिकार दिया जाता है. कई चीजें जैसे स्वास्थ्य, व्यक्तित्व का प्रभाव बेहतर होता है. कमजोर शनि के दौरान व्यापार में परेशानी और सामाजिक प्रतिष्ठा प्राप्त करना मुश्किल होता है. स्वास्थ्य संबंधी परेशानी बनी रह सकती है.
मकर लग्न के लिए शनि महादशा का परिणाम
मकर लग्न के लिए शनि लग्न व द्वितियेश होता है. इसलिए इसके मिलेजुले फल देने की संभावना अधिक होती है. शनि महादशा नकारात्मक भावों में स्थित होने पर अधिक खराब परिणाम दे सकती है. यदि शनि पाप ग्रहों से युत हो तो और भी अशुभ फलों की वृद्धि होती है. यह स्वास्थ्य के मुद्दों, वैवाहिक कलह को दिखा सकता है. यदि शनि शुभ ग्रह बृहस्पति के साथ स्थित हो तो अनुकूल परिणाम की उम्मीद की जा सकती है. लग्न, चतुर्थ, पंचम, सप्तम, नवम और दशम भाव में बैठे शनि की महादशा के दौरान सकारात्मक परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं.
कुंभ लग्न के लिए शनि महादशा का परिणाम
कुम्भ लग्न के लिए शनि लग्नेश व द्वादशेश होता है. यह लग्न, विदेश, स्वास्थ्य, ऋण और शत्रु का प्रतिनिधित्व करता है. शनि की महादशा के दौरान नकारात्मक परिणाम अधिक देखे जा सकते हैं. राहु, केतु, मंगल, शनि और सूर्य जैसे पाप ग्रहों से युति और पीड़ित होने पर ये परिणाम अधिक खराब होते हैं. शनि लग्न, नवम, दशम भाव में स्थित हो तो कुछ सकारात्मक हो सकता है.
मीन लग्न के लिए शनि की महादशा का फल
मीन लग्न के लिए शनि लाभेश व द्वादशेश होता है. इसलिए मीन लग्न के लिए शनि दशा मिश्रित परिणाम देती है. इस दशा के समय जीवन में सफलता की अच्छी आशा रहती है. जीवन में कुछ अभूतपूर्व उपलब्धियां मिल सकती हैं. ज्ञान, बुद्धि, मानसिक सुख, भौतिक सफलता, सामाजिक प्रतिष्ठा, उच्च पद के लोगों से संपर्क बन सकता है. यदि शनि पापी हो, पाप ग्रहों से पीड़ित हो और नीच का हो तो मानसिक तनाव, अवसाद, भय और हीन भावना उभर सकती है.