ज्योतिष अनुसार एक शुभ योग किसी व्यक्ति के भविष्य निर्माण में जितना सहायक बनता है उतना उसके समस्त ग्रहों का लाभ होता है. हर व्यक्ति अपने जीवन में सुख-समृद्धि और खुशियों को पाने कि इच्छा रखता है. जीवन में भौतिक सुख संपदा का होना उसके लिए जीवन भर का संघर्ष भी हो सकता है लेकिन, यदि व्यक्ति कि कुंडली में कुछ शुभ योग बन रहे हौम तो अपने जीवन में उपलब्धियों के साथ साथ वह धन दौलत का लाभ उठाने में सफल रहता है. ऐसा ही एक योग है जिसे लक्ष्मी नारायण योग के नाम से जाना जाता है. यह योग एक शुभ और कुंडली में उत्तम योगों की श्रेणी में आता है.
लक्ष्मी नारायण योग कब बनता है आपकी कुंडली में ?
लक्ष्मी नारायण योग किसी व्यक्ति की कुंडली में लक्ष्मी नारायण योग तब बनता है जब शुभ ग्रह बुध और शुक्र का संयोग एक साथ होता है. इसके अलावा केंद्र भावों में यानी लग्न, चतुर्थ, सप्तम और चंद्रमा से दशम भाव में इसका बनना या फिर त्रिकोण भाव में इस योग का बनना बेहद शुभ फल देने वाला भी होता है. जिस व्यक्ति की कुण्डली में लक्ष्मी नारायण योग होता है वह सक्षम, कार्यकुशल, सभी सुख-सुविधाओं को प्राप्त करने वाला होता है. जीवन का आनंद लेने वाला और अपने व्यवसाय में उच्च पद प्राप्त करने में सफल होता है. यह योग व्यक्ति को तर्क-वितर्क, वाद-विवाद और रचनात्मक कलाओं में अत्यधिक कुशल भी बनाता है. बौद्धिक रुप से व्यक्ति पद प्राप्ति में सफल होता है ओर उसके द्वारा कई अन्य लोग भी लाभ को पाने में सफल होते हैं. अपने साथ साथ व्यक्ति दूसरों के लिए भी कल्याणकार बनता है.
लक्ष्मी नारायण योग पर अन्य ग्रहों का प्रभाव
जब सूर्य ग्रह इस योग को देखता है, तो यह जातक को अपने प्रारंभिक जीवन में प्रशासनिक और सरकारी शक्ति के साथ शक्तिशाली परिणाम देता है. बृहस्पति ग्रह को अन्य सभी ग्रहों में धनवान कहा गया है. चंद्रमा धन के लिए भी जाना जाता है. इसलिए कहा जाता है कि जब योग शुभ स्थान में होता है तो यह व्यक्ति को अच्छा धन मान सम्मान मिलता है और उसे लगातार धन कमाने के अवसर भी मिलते हैं.
ज्योतिषीय दृष्टि से यह योग कई लोगों कुंडली में बन सकता है. फिर भी, अन्य सभी ग्रह योगों की तरह, लक्ष्मी नारायण योग भी ग्रहों की शक्ति, स्थिति और उनके स्वामीत्व पर निर्भर करता है. विभिन्न ग्रहों की स्थिति इन ग्रहों की तुलना में अधिक मजबूत हो सकती है जिन्हें भी माना जाता है. दोनों ग्रहों को कुंडली में शुभदायक होना चाहिए और साथ ही लग्न के लिए भी ग्रहों को शुभ होना चाहिए. किसी भी नकारात्मक प्रभाव से मुक्त होना चाहिए, विशेष रूप से केतु-राहु की युति कभी भी इनके साथ नहीं होनी चाहिए. इस योग के परिणाम सकारात्मक रूप से बुध और शुक्र की दशा भुक्ति काल में मिलते देखे जाते हैं इसके अलावा अन्य ग्रहों की महादशा अवधि के दौरान इन ग्रहों की दशा होने पर भी इस योग का फल प्राप्त होता है.
करियर पर इस योग का प्रभाव भी महत्वपूर्ण होता है. कुंडली में लक्ष्मी नारायण योग के साथ जन्म लेने वाला व्यक्ति सक्षम, कुशल और जीवन की सभी विलासिता का आनंद लेने के साथ-साथ अपने करियर में उच्च स्थान प्राप्त करेगा. ऐसे लोग असाधारण रूप से चतुर होंगे और तर्क, वाद-विवाद और रचनात्मक कलाओं में निपुण होंगे. जिन लोगों के पास यह योग है, उनके व्यवसायों में समृद्ध होने की संभावना है. इन स्थानीय लोगों से करियर उन्मुख होने और अपनी आकांक्षाओं को आगे बढ़ाने की उम्मीद की जाती है. उनकी उपलब्धि से उन्हें समृद्ध बनाने की उम्मीद है. इस प्रकार लक्ष्मी नारायण योग के व्यावसायिक लाभ काफी लाभदायक माने जाते हैं.
कुंडली में लक्ष्मी नारायण योग के लाभ
यदि कुंडली में शुभ योग है तो व्यक्ति कई तरह के शुभ लाभों को पाने में सक्षम होता है. शत्रुओं का नाश करने की शक्ति होती है साथ ही शत्रुओं को मित्र बना लेने का हुनर भी प्राप्त होता है.
व्यक्ति आमतौर पर प्रशासनिक क्षेत्र में अत्यधिक गरिमा के पदों को पाने में सफल होता है. व्यक्ति जिस भी परियोजना या उद्यम में शामिल होता है, उसमें सफलता आसानी से प्राप्त कर लेता है
परिपक्व, बुद्धिमान और चतुर होता है व्यक्ति का अपने संचार कौशल पर अच्छा नियंत्रण होता है जो उसे एक अच्छा वक्ता बनाता है. वह लोगों से सम्मान अर्जित करता है. व्यक्ति अच्छे स्वास्थ्य और बड़ी प्रसिद्धि के साथ जीवन में मजबूत स्थिति का आनंद लेता है. कलात्मक गतिविधियों के साथ साथ एक सफल व्यक्ति बन पाता है. वह जीवन के मध्य वर्षों में प्रभावशाली सफलता प्राप्त करता है. वैदिक ज्योतिष के अनुसार सप्तम भाव विवाह के लिए माना जाता है और यदि लक्ष्मी नारायण योग सप्तम भाव में हो तो व्यक्ति जातक को एक अच्छे जीवनसाथी का आशीर्वाद प्राप्त होता है, और वह एक अच्छे परिवार होगी.शीघ्र वैवाहिक जीवन का सुख पाने में सक्षम होता है. वैवाहिक जीवन सुख से व्यतीत कर पाता है. संतान, प्रेम का सुख, धन को पाने में उसे सफलता मिलती है.