सूर्य शुक्र का युति योग क्यों प्रभावित करता है प्रेम संबंधों को ?

ज्योतिष शास्त्र में इन दोनों ग्रहों का एक बेहतर स्थान है. सूर्य ग्रह क्रूर होकर भी शुभता को दर्शाते हैं वहीं शुक को भी शुभ ग्रह माना जाता है. पर जब बात आती है इन दोनों के एक साथ होने की तब इस शुभता में कुछ कमी को देखा जा सकता है. इन दोनों ग्रहों का मिलन युति योग में तब अधिक परेशानी दे सकता है जब यह अंशात्मक रुप में अधिक नजदीक होता है. ऎसे में यह शुभ नहीं होता है क्योंकि जब शुक्र ग्रह सूर्य के करीब आता है तो वह अस्त हो जाता है. अस्त होने के साथ साथ शुक्र का कारक तत्व भी कमजोर होने लगता है. शुक्र की शुभता में जो प्रभाव होता है वह अपनी शुभता को कमजोर स्वरुप में पाता है. शुक्र का योग शुक्र के जल तत्व की  हानि करने जैसा होता है. यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि शुक्र ग्रह की सूर्य के साथ जिस राशि में युति योग बनता है वह कौन सी राशि है जिसका प्रभाव शुक्र पर देखने को मिलता है. 

सूर्य को अग्नि तत्व का ग्रह माना जाता है. ज्योतिष अनुसार प्राण एवं आत्मा का आधार भी सूर्य ग्रह ही होता है. सूर्य अत्यंत गर्मी युक्त, अग्नि तत्व, एवं तेज से भरपूर ग्रह है. सूर्य का महत्व काफी प्रभावी रहता है. किसी जन्म कुंडली में सूर्य का शुभस्थ होना प्रसिद्धि एवं मान सम्मान को प्रदान करने वाला होता है. सूर्य का प्रभाव जीवन में प्रगति के लिए बहुत ही सुखदायक होता है. अब दूसरी ओर शुक्र ग्रह भी अपनी सुंदरता एवं चमक के लिए अत्यंत प्रसिद्ध होता है. शुक्र की बात करें तो यह जल तत्व का ग्रह है. शुक्र शुभ एवं शीतल ग्रह है. शुक्र को वीर्य का कारक माना जाता है. शुक्र भौतिक सुख संपदा एवं समस्त इच्छाओं को दर्शाने वाला होता है. 

इन दोनों ग्रहों का योग जब एक साथ बनता है तो जल एवं अग्नि का संबंध दर्शाता है. इसके साथ ही शुक्र ग्रह की शुभता का असर सूर्य के साथ आने पर अस्त हो जाता है. किसी शुभ ग्रह का अस्त होना भी अशुभ माना जाता है. 

सूर्य – शुक्र की युति का फल एवं महत्व

ज्योतिष में इन दोनों ग्रहों के अलग-अलग प्रभाव दर्शाए गए हैं. सूर्य को जहां एक ओर आत्मा, मान, शक्ति, अधिकार आदि का कारक माना जाता है, वहीं शुक्र को भौतिक सुख, धन, सौंदर्य का कारक माना जाता है. ऐसे में देखा जाए तो ये दोनों ग्रह समृद्धि के कारक माने जाते हैं, लेकिन क्योंकि जब भी कोई ग्रह सूर्य के करीब आता है तो अस्त हो जाता है, ऐसे में सूर्य और शुक्र की युति बहुत अधिक अनुकूल नहीं मानी जाती है. 

ग्रहों का योग ज्योतिष में विशेष स्थिति को दर्शाता है. इस योग के द्वारा गोचर एवं जन्म कुंडली दोनों पर ही इस योग का प्रभाव स्पष्ट रुप से कई प्रकार से देखने को मिलता है. ज्योतिष अनुसार सूर्य का योग जब किसी ग्रह के साथ होता है तब इसके कारण कई तरह के योगों निर्मित होते हैं.  सूर्य और शुक्र का योग जब बनता है तो इन दोनों ग्रहों के फलों का मिला जुला असर दिखाने वाला होता है. यह युति योग जन्म कुंडली में बने या फिर गोचर में निर्मित होने पर अपना एक खास असर डालता है.

व्यक्ति स्वभाव से सुन्दर और महत्वाकांक्षी हो सकता है. उसके पास दूसरों का मार्गदर्श करने का गुण होता है वह बोलचाल में कुशल होता है,  स्वभाव से धार्मिक हो सकता है और धार्मिक गतिविधियों में शामिल हो सकता है. गुरु द्वारा धार्मिक ज्ञान प्राप्त कर सकता है. धार्मिक यात्रा पर जाने का योग प्राप्त हो सकता है. परोपकार से युक्त काम कर सकता है. पिता का पक्ष अनुकूल रह सकता है. पिता धनी और प्रतिष्ठित व्यक्ति हो सकते हैं. जातक के जन्म के बाद पिता की आर्थिक स्थिति में सुधार हो सकता है. धन के मामले में कुछ पारिवारिक विवाद हो सकता है. इसके अलावा पिता को स्वास्थ्य संबंधी परेशानी हो सकती है.

जीवन साथी का सुख प्रभावित हो सकता है. जीवनसाथी अहंकारी हो सकता है. जातक का साथी ग्रर्व से युक्त तथा काफी उच्च महत्वाकांक्षी भी होता है. प्रेम संबंधों एवं दांपत्य जीवन में प्रेम अनुकूल न रह पाए. किसी न किसी कारण विवाद की स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है. 

व्यक्ति आर्थिक रुप से धनी हो सकता है और विलासितापूर्ण जीवन शैली का आनंद ले सकता है. धन और ऐश्वर्य के लिए प्रसिद्ध हो सकता है. भाग्य का फल स्वयं के प्रयासों से ही प्राप्त होता. पैसों के मामले में वह भाग्यशाली हो सकता है. अच्छा ज्ञान रखता है. वह उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकता है. शुक्र और सूर्य के साथ युति करते समय यह संतान प्राप्ति की समस्या को भी दिखा सकता है. 

शुक्र – सूर्य युति के सकारात्मक और नकरात्मक पहलू 

सूर्य और शुक्र की कुछ विशेषताएं जहां शुभता को दर्शाती हैं वहीम इनके कुछ नकारात्मक पक्ष भी दिखाई देते हैं. सूर्य उग्रता और आक्रामकता से भरा है, शुक्र शीतलता और सुंदरता के बारे में है. सूर्य और शुक्र दोनों ही ऊर्जावान और रचनात्मक ग्रह माने जाते हैं. इनके एक साथ आने पर चीजें कैसी होंगी, यह देखना भी काफी दिलचस्प और ज्ञानवर्धक होता है. वैदिक ज्योतिष के अनुसार एक ही भाव स्थान एवं राशि में सूर्य और शुक्र का होना व्यक्ति को रचनात्मक एवं कलात्मकता का गुण प्रदान करने वाला होता है. व्यक्ति सामाजिक गतिविधियों में भी शामिल होता है तथा उसके पास अच्छी आकर्षण क्षमता भी होती है. सूर्य और शुक्र की युति व्यक्ति को कल्पनाशील, महत्वाकांक्षी बनाती है साथ में शांत एवं धैर्यशील गंभीरता भी प्रदान करने वाली होती है. 

इसके यदि नकारात्मक पक्ष की बात करें तो पाएंगे कि व्यक्ति कई बार दोहरे मापदंड भी अपना सकते हैं. दिखावे से अधिक जुड़े हो सकते हैं. चीजों को बढ़ा चढ़ा कर करने की प्रवृत्ति भी उसमें अधिक होती है. कुछ स्थितियों में बहुत आलसी हो सकते हैं. सूर्य शुक्र की युति में व्यक्ति अभिमानी भी हो सकता है. गलत चीजों की आदत पड़ सकती है. शराब की लत, अनैतिक इच्छाएं और अन्य विकार भी जीवन को प्रभावित कर सकते हैं. स्वभाव से कूटनीति भी अ़च्छे से करने वाले होते है. 

This entry was posted in astrology yogas, planets, transit, vedic astrology and tagged , , , . Bookmark the permalink.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *