शादी से पहले कुंडली मिलान क्यों है जरूरी

शादी से पहले कुंडली मिलान करने के कारण जिनसे विवाह में नही आती बाधाएं 

ज्योतिष शास्त्र में एक व्यक्ति के जीवन के प्रत्येक पक्ष को समझने में मदद मिलती है. इसी में एक महत्वपूर्ण चीज विवाह भी है. विवाह एक ऎसा संस्कार है जो अगर अच्छे रुप से जीवन में हो तो जीवन काफी सुखद रहता है. ऎसे में विवाह से जुड़े सुख और दुख को समझने के लिए ओर उसमें सफलता के लिए अगर ज्योतिष का सहयोग लिया जाए तो कई समस्याएं खत्म हो सकती हैं.

विवाह सबसे पवित्र रिश्ता माना जाता है जो दो लोगों को एक बंधन में बांधता है, जीवन हर स्थिति में मदद करने वाला भी है. एक व्यवस्था जहां दो व्यक्ति, एक निश्चित उम्र तक पहुंचने के बाद, एक दूसरे के साथ बसने का फैसला करते हैं. एक पारस्परिक प्रतिबद्धता जो दो व्यक्तियों को कठिन समय में एक-दूसरे के साथ खड़े होने के लिए सहमत करती है. एक दूसरे को जीवन में बढ़ते और समृद्ध होते देखना चाहते हैं. 

विवाह संबंधों को चाहे पश्चिमी संदर्भ में देखा जाए या भारतीर संदर्भ में इनके मूल में प्रेम, स्नेह और आपसी भागेदारी पर ही विशेष रुप से काम करता है. इसके बिना कहीं भी यह रिश्ता टिक नहीं सकता है. पश्चिम संस्कृति में  शादी आमतौर पर उन लोगों के बीच होती है जो प्यार में हैं और एक-दूसरे के साथ घर बसाने का फैसला कर चुके हैं हालांकि आज भारतीर संदर्भ में भी ये बातें अधिक महत्वपूर्ण होने लगी हैं किंतु फिर भी भारतीय संदर्भ में चीजें प्रतिमान बदले हुए दिखाई दे जाते हैं. यहां धैर्य और आपसी समझ अधिक सहायक बनती है रिश्ते को लम्बा चलाने में. 

गुण मिलान एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण  

भारत में विवाह पूर्व कुंडली मिलान किया जाता है जो कि एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी काफी महत्वपूर्ण होता है. यह विशेष रूप से विवाह की खुशी और उस से मिलने वाले सुख को दिखाने में सहायक बनता है. आज भी अरेंज  मैरिज और यहां तक की लव मैरिज में भी लोग इसे देखने में जिज्ञासु दिखाई देते हैं. 

ज्योतिष विज्ञान गणना का एक ज्ञान, जो भविष्य को देखने के लिए “नेत्र” के रूप में कार्य करता है, ग्रंथों, वेदों द्वारा दिया गया एक विशेषण है. इसमें कुंडली मिलन एक लड़के और लड़की के भविष्य का पता लगाने का एक बेहतर तरीका बनता है. इसके द्वारा वैवाहिक आनंद और संघर्ष दोनों ही बातों को आसानी से समझा जा सकता है. कुंडली मिलान या मंगनी की बात करते हैं, तो इसके लिए सबसे लोकप्रिय विधि को अष्टकूट मिलान कहा जाता है. कुंडली के वह आठ नियम हैं जिनमें अष्ट कूट मिलान होता है.

गुण मिलान 

कुंडली मिलन में, 36 गुण देखे जाते हैं जिन्हें एक सुखी वैवाहिक जीवन की समझने के लिए देखा जाता है. इन 36 गुणों का एक अलग गुण है जो व्यक्ति के जीवन में परिलक्षित होता है. इन 36 बिंदुओं को अष्टकूट मिलान प्रणाली में उपयोग किया जाता है. ये गुण जितने अधिक मेल खाते हैं, वैवाहिक जीवन उतना ही बेहतर होता है. कुंडली मिलन में सबसे महत्वपूर्ण गुण यौन अनुकूलता, भावनात्मक अनुकूलता माना गया है. 

आर्थिक स्थिति एवं समृद्धि का विवेचन 

जब दो अलग-अलग कुंडली का मिलान किया जाता है, तो उन्हें विवाह के बाद एक माना जाता है. कुंडली मिलान में, जब कुंडली मिलान किया जाता है, तो दो लोगों को एक इकाई माना जाता है और अष्टकूट मिलान प्रणाली के अनुसार इसे समझ अजाता है. दो लोग एक दूसरे के जीवन का समर्थन करने के का प्रभाव. यह वित्तीय मोर्चे पर स्थिरता लाने के तरीकों में से एक है. जैसा कि कहा जाता है कि सिर्फ प्यार से कोई भी सुखी जीवन नहीं जी सकता, घर चलाने के लिए आपको पैसों की जरूरत होती है. इसी तरह, दो व्यक्ति अपने व्यक्तिगत जीवन और अपने परिवारों के लिए वित्तीय समृद्धि लाते हैं. इसमें कोई भी कमी रिश्तों पर कष्ट ला सकती है. यहां पर दोनों के धन भाव लाभ की स्थिति को देखना और अन्य शुभ योगों का प्रभाव देखना भी शुभ होता है. 

वंश वृद्धि योग विश्लेषण 

कुंडली मिलान संतान उत्पत्ति के प्रशनों के लिए भी देखा जाता है. संतान की इच्छा परिवार के वंश को जारी रखने को भी दर्शाती है. जब विवाह मिलान होता है, तो सबसे महत्वपूर्ण चीज जो जांच की जाती है वह संतान से संबंधित सुख का भी होता है और यदि यह सभी समस्याओं से मुक्त होता है तो विवाह सुखमय स्थिति को पाता है. कुंडली मिलन के जरिए परिवार का पालन-पोषण करने के साथ-साथ नवजात के स्वास्थ्य की भी जांच की जाती है. बच्चे के जन्म के साथ ही, बच्चे का स्वास्थ्य भी महत्वपूर्ण होता है.  इसलिए, कुंडली मिलान में इस बिंदु को उचित महत्व दिया जाता है. 

कुंडली में बनने वाले योग-दोष  

कुंडली में मौजूद कोई भी दोष एक अभिशाप की तरह होता है. ऎसे में कुंडली मिलान के समय दोष इत्यादि को भी उचित रुप से देखने की आवश्यकता होती है. कुंडली में मंगल दोष, कालसर्प दोष, पितृ दोष इत्यादि बातों को देखना भी जरूरी होता है और दोष शांति के पश्चात ही इस मिलान को उचित माना जाता है. 

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