मंगलवार व्रत विधि -विधान । मंगलवार व्रत कैसे करें । Tuesday Fast

मंगलवार का व्रत सम्मान, बल, पुरुषार्थ और साहस में बढोतरी के लिये किया जाता है. इस व्रत को करने से उपवासक को सुख- समृ्द्धि की प्राप्ति होती है. यह व्रत उपवासक को राजकीय पद भी देता है. सम्मान और संतान की प्राप्ति के लिये मंगलवार का व्रत किया जाता है. इस व्रत की कथा का श्रवण करने से भी मंगल कामनाएं पूरी होने की संभावनाएं बन रही है. इस व्रत को करने से सभी पापों की मुक्ति होती है.    

मंगलवार का व्रत किसे करना चाहिए? । Who Should Observe Tuesday Fast 

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मंगलवार का व्रत उन व्यक्तियों को करना चाहिए, जिन व्यक्तियों की कुण्डली में मंगल पाप प्रभाव में हों या वह निर्बल होने के कारण अपने शुभ फल देने में असमर्थ हों, उन व्यक्तियों को यह व्रत अवश्य करना चाहिए. यह व्रत क्योकिं मंगल ग्रह की शान्ति के लिये किया जाता है. जिस व्यक्ति के स्वभाव में उग्रता हो, या हिंसात्मक प्रवृ्ति हो, उन व्यक्तियोम को अपने गुस्से को शांत करने के लिये , मंगलवार का व्रत करना मन को शांत करता है. लडके इस व्रत को बुद्धि और बल विकास के लिये कर सकते है. मंगलवार का व्रत करने सें व्यवसाय में भी सफलता मिलती है.  

मंगलवार व्रत महत्व | Importance of Tuesday Vrata 

प्रत्येक व्रत का अलग-अलग महत्व और फल हैं,  व्रत करने से व्यक्ति अपने आराध्य देवी- देवताओं को प्रसन्न करने में सफल होता है, और साथ ही उसे सुख-शान्ति की प्राप्ति भी होती है. इस व्रत को करने से धन, पति, असाध्य रोगों से मुक्ति आदि के लिये भी किया जाता है. वास्तव में इस मोह रुपी संसार से मुक्ति प्राप्ति के लिये भी व्रत किये जाते है. 

मंगल अगर किसी व्यक्ति की कुण्डली में जन्म लग्न में स्थित होकर पीडित अवस्था में हों, तो इस व्रत को विशेष रुप से करना चाहीए. जिन व्यक्तियों की कुण्डली में मंगल की महादशा, प्रत्यन्तर दशा आदि गोचर में अनिष्टकारी हो तो, मंगल ग्रह की शात्नि के लिये उसे मंगलवार का व्रत करना चाहिए. मंगलवार का व्रत इसीलिये अति उतम कहा गया है. श्री हनुमान जी की उपासना करने से वाचिक, मानसिक व अन्य सभी पापों से मुक्ति मिलती है. तथा उपवासक को सुख, धन और यश लाभ प्राप्त होता है.  

मंगलवार व्रत विधि | Method of Tuesday Fast 

मंगलवार के व्रत के दिन सात्विक विचार का रहना आवश्यक है.  इस व्रत को भूत-प्रेतादि बाधाओं से मुक्ति के लिये भी किया जाता है.  और व्रत वाले दिन व्रत की कथा अवश्य सुननी चाहिए. इस व्रत वाले दिन कभी भी नमक का प्रयोग नहीं करना चाहिए.

मंगलवार का व्रत भगवान मंगल और पवनपुत्र हनुमानजी को प्रसन्न करने के लिये इस व्रत को किया जाता है. इस व्रत को लगातार 21 मंगलवार तक किया जाता है.  इस व्रत को करने से मंगलग्रह की शान्ति होती है. इस व्रत को करने से पहले व्यक्ति को एक दिन पहले ही इसके लिये मानसिक रुप से स्वयं को तैयार कर लेना चाहिए. और व्रत वाले दिन उसे सूर्योदय से पहले उठना चाहिए. प्रात: काल में नित्यक्रियाओं से निवृ्त होकर उसे स्नान आदि क्रियाएं कर लेनी चाहिए. उसके बाद पूरे घर में गंगा जल या शुद्ध जल छिडकर उसे शुद्ध कर लेना चाहिए. व्रत वाले दिन व्यक्ति को लाल रंग के वस्त्र धारण करने चाहिए.  

घर की ईशान कोण की दिशा में किसी एकांत स्थान पर हनुमानजी की मूर्ति या चित्र स्थापित करना चाहिए.  पूजन स्थान पर चार बत्तियों का दिपक जलाया जाता है. और व्रत का संकल्प लिया जाता है. इसके बाद लाल गंध, पुष्प, अक्षत आदि से विधिवत हनुमानजी की पूजा करनी चाहिए.  

श्री हनुमानजी की पूजा करते समय मंगल देवता के इक्कीस नामों का उच्चारण करना शुभ माना जाता है.

मंगल देवता के नाम इस प्रकार है | Names of Mangal God :  

1. मंगल 2. भूमिपुत्र  3. ऋणहर्ता 4. धनप्रदा  5.  स्थिरासन 6. महाकाय 7. सर्वकामार्थसाधक  8. लोहित 9. लोहिताज्ञ 10.  सामगानंकृपाकर 11.धरात्मज 12.  कुज 13. भौम  14.  भूमिजा 15. भूमिनन्दन  16.  अंगारक  17.  यम  18. सर्वरोगहारक 19.वृष्टिकर्ता 20.  पापहर्ता  21. सब काम फल दात

हनुमान जी का अर्ध्य निम्न मंत्र से किया जाता है :  

भूमिपुत्रो महातेजा: कुमारो रक्तवस्त्रक:।

गृहाणाघर्यं मया दत्तमृणशांतिं प्रयच्छ हे।

इसके पश्चात कथा कर, आरती और प्रसाद का वितरण किया जता है.  सभी को व्रत का प्रसाद बांटकर स्वयं प्रसाद ग्रहण किया जाता है.

मंगलवार के व्रत की आरती | Aarti 

आरती कीजै हनुमान लला की ।  दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ।।

जाके बल से गिरिवर कांपै ।  रोग-दोष जाके निकट न झांपै ।।

अंजनि पुत्र महा बलदाई ।  संतन के प्रभु सदा सहाई ।।

दे बीरा रघुनाथ पठाए ।  लंका जारि सिया सुधि लाये ।।

लंका सो कोट समुद्र सी खाई ।  जात पवनसुत बार न लाई ।।

लंका जारि असुर सब मारे ।  सियाराम जी के काज संवारे ।।

लक्ष्मण मूर्च्छित पड़े सकारे ।  लाय संजीवन प्राण उबारे ।।

पैठि पताल तोरि जमकारे ।  अहिरावण की भुजा उखारे ।।

बाईं भुजा असुर संहारे ।  दाईं भुजा संत जन तारे ।।

सुर नर मुनि आरती उतारें ।  जय जय जय हनुमान उचारें ।।

कंचन थार कपूर लौ छाई ।  आरति करत अंजना माई ।।

जो हनुमान जी की आरती गावे ।  बसि बैकुण्ठ परमपद पावे ।।

लंक विध्वंस किए रघुराई ।  तुलसिदास प्रभु कीरति गाई ।।

मंगलवार व्रत उद्ध्यापन | Conclusion of Tuesday Fast 

मंगलवार के इक्कीस व्रत करने के बाद इच्छा पूर्ति करने के लिये मंगलवार व्रत का उद्धापन किया जाता है. उद्ध्यापन करने के बाद इक्कीस ब्रहामणों को भोजन कराकर यथाशक्ति दान -दक्षिणा दी जाती है.