5वां भाव-संतान भाव क्या है. | Prem Bhava Meaning | Fifth House in Horoscope | 5th House in Indian Astrology

पंचम भाव प्रेम भाव है, इसे शिक्षा का भाव भी कहा जाता है. इसके अतिरिक्त इस भाव को पणफर और कोण भाव भी कहा जाता है. पंचम भाव सन्तान, बुद्धिमता, बुद्धिमानी, सट्टेबाजी, प्रसिद्धि, पदवी, बुद्धि, भावनाएं, पहला गर्भाशय, अचानक धन-सम्पति की प्राप्ति, अच्छे सिद्धान्त, पिता के धर्मपरायण कार्य, दूरदृ्ष्टि, स्मरणशक्ति, अन्दाजा लगाने की प्रवृ्ति, इश्क, प्रेम सम्बन्ध, सदाचार, इष्ट, देवी-देवता, भक्ति, भविष्य के जीवन का ज्ञान, प्रतिष्ठा. 

व सरकारी सहायता, मंत्री पद नौकरी, प्रकाशन, भार्या का लाभ, उत्सव सम्बन्धित अवसर, खेल, मनोरंजन, रोमांच,भार्या या साझेदार का भाग्य, प्रेमालाप, क्रीडा, नाटक, संगीत, नृ्त्य, गीत-नाटत, लाटरी, जुआ खेलना, दांव लगाना, ताश, घोडों की दौड, शेयर, शेयर बाजार, शब्द वर्ग, पहेली, प्रेम संबन्ध, प्रणय निवेदन, अपहरण, धार्मिक सोच, आध्यात्मिक, अभ्यास, बलात्कार, समाज, रोमांस, मंत्र सिद्धि, दैहिक सुख, कपडे, पेट, उपासना. 

पंचम भाव का कारक ग्रह कौन सा है. | What are the Karaka things of 5th Bhava   

पंचम भाव का कारक ग्रह गुरु है. गुरु इस भाव का कारक होकर संतान, ज्ञान, इष्ट, देवी-देवता, शिक्षा, राजसम्मान देता है. बुध कारक ग्रह होकर बुद्धिमत्ता, शेयर, लाटरी व बैठे बिठायें मिलने वाला धन. 

पंचम भाव से स्थूल रुप में किस विषय का विश्लेषण किया जाता है. |  What does the House of Education Explain.  

पंचम भाव विशेष रुप संतान प्राप्ति के लिए देखा जाता है.

पंचम भाव को सूक्ष्म रुप में क्या देखा जाता है. |  What does the House of Love accurately explains.

पंचम भाव को बुद्धिमता भाव का विश्लेषण करने के लिए देखा जाता है.  

पंचम भाव से कौन से सगे-सम्बन्धियों का विश्लेषण किया जा सकता है. | 5th House represents which  relationships. 

यह भाव व्यक्ति की प्रथम संतान, दादा, भार्या का बडा भाई या बहन का विश्लेषण करने के लिए प्रयोग किया जाता है.  

पंचम भाव शरीर के कौन से अंगों का प्रतिनिधित्व करता है. | 5th House is the Karak House of which body parts. 

पंचम भाव से ह्र्दय के निचले भाग का दायां कोष, उदर, जिगर, गाल ब्लेडर, पीयूश ग्रन्थी, आन्तें, ह्रदय. 

द्रेष्कोणों के अनुसार दायां गाल, ह्रदय के निचले भाग का दायां कोष, और ह्रदय का बहिकर्ण का दायां भाग, दायां घुटना आदि अंगों का निरिक्षण करने के लिए प्रयोग किया जाता है. 

पंचमेश अन्य भाव स्वामियों के साथ मिलकार कौन से परिवर्तन योग बनाता है. |  6th Lord Privartan Yoga Results 

पंचमेश और षष्टेश का भाव परिवर्तन होने पर व्यक्ति के स्वास्थय में कमी बनी रहती है. व्यक्ति अधिक बुद्धिमान नहीं होता, उसकी शिक्षा भी बाधित होती है. साथ ही वह एक अच्छा खिलाडी बन सकता है.  

पंचमेश और षष्ठेश भावेश परिवर्तन योग में हों, तो व्यक्ति के जीवन साथी की आयु में कमी होती है.  साथ ही यह व्यक्ति के वैवाहिक जीवन को भी प्रभावित करता है. इस योग की अशुभता से व्यक्ति को अपनी संतान से वियोग का सामना भी करना पड सकता है.  

पंचमेश और अष्टमेश का परिवर्तन योग व्यक्ति की संतान के लिए शुभ योग नहीं है. यह योग व्यक्ति की संतान को मिलने वाले पैतृक सम्पति को प्रभावित करता है. व्यक्ति को अपने जीवन में स्वयं के द्वारा किए गये कार्यो से अप्रसन्नता होती है. साथ ही यह योग व्यक्ति के स्वास्थय को भी प्रभावित करता है. 

पंचमेश और नवमेश में परिवर्तन योग होने पर व्यक्ति को धन की प्राप्ति होती है. व्यक्ति धर्म और धार्मिक विश्वास वाला होता है. व्यक्ति का स्वास्थय अनुकुल रहता है. व्यक्ति धनवान होता है. ओर सभी प्रकार से समृ्द्धशाली होता है़ इसके साथ ही यह योग व्यक्ति को उच्च शिक्षा दिलाने में भी सहयोग करता है. 

पंचमेश और दशमेश आपस में परिवर्तन योग हो रहा हो तो व्यक्ति एक बौद्धिक व्यवसाय करता है. बच्चों के स्वास्थय सम्बधी चिन्ताओं में बढोतरी होती है. 

पंचमेश और एकादशेश भावेश परिवर्तन योग बना रहे हों, तो व्यक्ति को पंचम भाव से जुडे सभी कारकतत्वों कि प्राप्ति होती है, यह योग व्यक्ति को शिक्षा, धन, संतान और प्रेम विषयों में सफलता देता है. साथ ही इस योग में एकादश भावेश के शामिल होने से एकादश भाव भी बली हो जाता है,इसके फलस्वरुप व्यक्ति की आय में बढोतरी होती है.  

पंचमेश और द्वादश भाव के स्वामी में परिवर्तन योग बनने पर व्यक्ति को संतान के कारण चिन्ताएं होती है, यह योग संतान के जीवन के व्यस्थित होने में कठिनाईयां देता है. उसके बच्चों के मध्य सौहार्द नहीं पाया जाता, और बच्चे भी विदेश में कार्यरत होते है.