13वीं राशि । 13th Zodiac Sign

एक पाश्चात्य ज्योतिषी के अनुसार भचक्र में राशियों की संख्या 12 से 13 हों, गई है. पृ्थ्वी के अपनी धूरी में होने वाले बदलाव ने राशियों में एक नई राशि को जोड दिया है. वैदिक ज्योतिष के फलित का आधार प्रारम्भिक काल से सूर्य न होकर चन्द्र रहा है. पाश्चात्य जगत में दिन प्रतिदिन कोई न कोई अफवाह उठती ही रहती है. जिनमें से कुछ का आधार होता है. और कुछ बेआधार होती है. भचक्र में 13वीं राशि के आने की घटना केवल विश्व का ध्यान अपनी और आकर्षित करना हो सकता है. 

वैदिक ज्योतिष में ऎसे दावों के लिये कोई स्थान नहीं है. ब्रह्माण्ड की आकाश गंगा में कई तारे बनते-और बिगडते रहते है. ग्रहों की संख्या को लेकर चल रहा पुराना विवाद अभी थमा भी नहीं था, की अब राशियों में वृ्द्धि की बात की जा रही है. दावा करने वाले अमेरिका के  मार्की की माने तो भचक्र में एक नई राशि का प्रवेश हो गया है. जिसका नाम ओफियूकस बताया गया है. आने वाली इस नई राशि ने भचक्र में वृ्श्चिक राशि और धनु राशि के मध्य में स्थान पाया है.

पिछले 3000 वर्षो में राशियों की संख्या को लेकर कोई भ्रम नहीं था. इस प्रकार की किसी घटना का होना, ज्योतिष जगत में किसी भूकम्प से कम नहीं है. पृ्थ्वी की स्थिति में होने वाला इस बदलाव ने ज्योतिष जगत में आमूल-चूल परिवर्तन का समय होने की बात कही जा रही है. 

परन्तु पिछले कुछ सालों से जिस प्रकार पाश्चात्य ज्योतिष के 12 ग्रहों के अस्तित्व में आने की बात को स्वीकार नहीं किया जा रहा है. और मात्र 9 ग्रहों के आधार पर ही फलित करने पर भी वैदिक ज्योतिष आज पाश्चात्य ज्योतिष से फलित के आधार पर कहीं आगे है. वैदिक ज्योतिष को मानने वाले विद्वान अपनी ज्योतिष पद्वतियों को लेकर किसी प्रकार की भ्रम की स्थिति में नहीं है. परन्तु हां पाश्चात्य जगत में 12 राशियों में 13वीं राशि के जुडने की यह घटना न जाने कितने व्यक्तियों को अपनी राशि को लेकर भ्रम की स्थिति में रखेगी, यह कहा नहीं जा सकता है? 

पाश्चात्य ज्योतिष जगत में इस तरह की अफवाहे प्रतिदिन के जीवन का एक भाग बन चुकी है. इस घटना के होने के बाद सूर्य जन्म राशियों में कुछ इस प्रकार का परिवर्तन होने की बात कही जा रही है. इस राशि चक्र के बाद सूर्य की गति क्या होगी, इसके विषय में भी कुछ स्पष्ट नहीं कहा गया है.  

राशि माह तिथि से माह तिथि तक
मकर जनवरी 20 फरवरी 16
कुम्भ फरवरी 16 मार्च 11
मीन मार्च 11 अप्रैल 18
मेष अप्रैल 18 मई 13
वृ्षभ मई 13 जून 21
मिथुन जून 21 जुलाई 20
कर्क जुलाई 20 अगस्त 10
सिंह अगस्त 10 सितम्बर 16
कन्या सितम्बर 16 अक्तुबर 30
तुला अक्तूबर 30 नवम्बर 23
वृ्श्चिक नवम्बर 23 नवम्बर 29
ओफियुकस नवम्बर 29 दिसम्बर 17
धनु दिसम्बर 17 जनवरी 20

 

राशियों के इस विवरणिका को देखने के बाद यह समझना और भी कठिन हो जायेगा, कि जो राशि तिथि कल तक धनु राशि के लिये फल दे रहीं थी, अचानक से उसके फल ओफियुकस राशि के व्यक्तियों के लिये कैसे हो जायेगें. इस राशि सूची के अनुसार वृ्श्चिक राशि में जन्म लेने वाले व्यक्तियों का अनुपात इस राशि के आने के बाद कम हो जायेगा. इसकी तुलना में ओफियुकस राशि को अधिक महत्व देते हुए, उसे 18 दिन दिये गये है. 

सूर्य राशि से देखे तो किसी राशि में सूर्य अधिक दिन रहेगा, और किसी में कम दिन. इस तालिका को सही माने तो दिनों में होने वाले अंतर के अनुसार सूर्य की गति भी प्रतिदिन एक समान नहीं रहेगी. जो की हैरान करने वाली बात होगी़. (hitechgazette) पाश्चात्य जगत की इस पहेली को समझने-समझाने में अभी समय लग सकता है. फिर भी अपनी भविष्यवाणी के आधार पर सुर्खियों में आने से अधिक यह जगत अफवाहों और प्रसिद्धि पाने के आधुनिक साधनों के कारण अधिक जाना जाने लगा है.  

पिछले काफी दिनों से पाश्चात्य ज्योतिषिय संस्थाएं शान्त थी, कुछ हलचल मचाने वाली घटना नहीं आ रही थी, उसी चुपी को तोडते हुए, यह दावा पेश किया गया है, कि राशियों की संख्या 12 से 13 हो गई. वैदिक ज्योतिष उन राशियों और ग्रहों को अपने विश्लेषण में शामिल नहीं करता है, जिनका प्रभाव पृ्थ्वी पर नहीं पडता है. वैदिक ज्योतिष में यह माना जाता है, कि पृ्थ्वी से अत्यधिक दूर होने के कारण इनका प्रभाव, यहां के व्यक्तियों पर बहुत ही कम है.      

भारत के वैदिक ज्योतिष को विश्व के सभी बडे देखों में सराहा और माना जाता है. सूक्ष्म घटनाओं की भविष्यवाणियां करने में वैदिक ज्योतिष शुरु से ही पाश्चात्य ज्योतिष को पीछे छोडता रहा है. ज्योतिष हमारे देश के प्राचीन शास्त्रों में से एक है. यहां के व्यक्ति आस्था और विश्वास के साथ जीवन की शुरुआत ज्योतिष की भविष्यवाणियों से करना पसन्द करते है. साथ ही यह भी सर्वविदित है, कि भारत परम्पराओं का अनुशरण करने वाला देश है. 

ज्योतिष जगत शुरु से ही यहां के ज्योतिष शास्त्र को नमस्कार करता रहा है. ऎसे में कुछ अफवाहों के आधार पर अपने पद्वतियों में बदलाव करने का चलन यहां के ज्योतिषियों में कहीं नजर नहीं आता है. राशियों में परिवर्तन की घटना एक भ्रम का बादल मात्र है, कुछ दिनों तक रहेगा, और बरस के शान्त हो जायेगा? इससे किसी बडे बदलाव की उम्मीद करना सही नहीं है.