रोग तथा रोग निवारण से संबंधित प्रश्न | Questions Related to Disease and Treatment of Disease

रोग संबंधी प्रश्न |Disease Related Question

जब किसी व्यक्ति विशेष की सेहत या स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव चल रहा हो और उसे स्वास्थ्य लाभ ना हो रहा हो तब वह हारकर ज्योतिषी का सहारा लेता है. कई बार रोगी अति कमजोर होता है और उसके स्थान पर उसके अपने प्रियजन प्रश्न करते हैं. यदि रोगी के जन्म की पूरी जानकारी उपलब्ध है तब जन्म कुण्डली से आंकलन किया जाता है और यदि जन्म विवरण उपलब्ध नहीं है तब प्रश्न कुण्डली से विश्लेषण किया जाता है. 

रोग प्रश्न में केन्द्र स्थानों का बहुत महत्व है. ऎसा इसलिए है कि लग्न से चिकित्सक का विचार किया जाता है. चतुर्थ भाव से औषधि अर्थात दवाई का विचार किया जाता है. सप्तम भाव से रोग का विचार किया जाता है. दशम भाव से रोगी का विचार किया जाता है. 

यदि प्रश्न कुण्डली के लग्न में शुभ ग्रह हों तो चिकित्सक एक अनुभवी तथा योग्य व्यक्ति है. चौथे भाव में शुभ ग्रह हों तो औषधि एवं चिकित्सा पद्धति अच्छी नहीं होती. सप्तम भाव में शुभ ग्रह हों तो क्षुद्र रोग होता है. दशम भाव में शुभ ग्रह हों तो रोगी परहेज करने वाला होता है. इस प्रकार आप समझ सकते हैं कि केन्द्र स्थानों में शुभ ग्रह होने से रोगी शीघ्र अच्छा हो जाता है. यदि केन्द्र स्थानों में अशुभ ग्रह हों तो रोगी का रोग बढ़ जाता है. आइए रोगी के ठीक होने के बारे में पहले चर्चा करें. 

रोगी के संबंध में प्रश्न कुण्डली का सामान्य विश्लेषण | General  analysis of Prashna Kundali of Patient 

बीमारी के प्रश्न में लग्न,लग्नेश, चन्द्रमा तथा 6,8,12 भावों का मुख्य रुप से विश्लेषण करना है. 

* लग्न का विश्लेषण | Analysis of Lagna

(1)लग्न में शुभ ग्रह हैं तो चिकित्सक अच्छा है. 

(2)लग्न में पाप ग्रह स्थित हों तब चिकित्सक अच्छा नहीं है. यदि पाप ग्रह लग्नेश होकर लग्न में स्थित है तब वह अच्छा है और चिकित्सक भी अच्छा है. 

(3)लग्न में वक्री ग्रह हो तो चिकित्सक बदलना पड़ सकता है अथवा जातक बार-बार डॉक्टर को बदल चुके हैं अथवा जिस डॉक्टर को छोड़कर आए हैं उसी डॉक्टर के पास जाना पड़ सकता है. यदि प्रश्न के समय मंगल ग्रह लग्न में स्थित होगा तो डॉक्टर बदलना पड़ सकता है. 

* चतुर्थ भाव का विश्लेषण | Analysis of Fourth House 

(1) चतुर्थ भाव से दवाई का विश्लेषण किया जाता है. यदि शुभ ग्रह चतुर्थ भाव में स्थित है तो दवाई असर करेगी. रोगी के रोग का निदान भी सही होगा. 

(2)यदि पाप ग्रह चतुर्थ भाव में स्थित है तो दवाई असर नहीं करेगी. यदि पाप ग्रह स्वराशि का है तब दवाई अधिक असर नहीं करेगी. 

(3)यदि चतुर्थ भाव में वक्री ग्रह है तब बीमारी की सही पहचान नहीं हो पाई है अथवा जो दवा मरीज ले रहा है वह विपरीत परिणाम दे सकती है. 

(4) यदि प्रश्न के समय चतुर्थ भाव में केतु स्थित है तो बीमारी समझ नहीं आएगी. 

(5) प्रश्न के समय चतुर्थ भाव में मंदगामी ग्रह स्थित हैं तो बीमारी लम्बे समय तक बनी रह सकती है. 

* सप्तम भाव का विश्लेषण | Analysis of Seventh House 

(1) सप्तम भाव से बीमारी से निवृति देखी जाती है. यदि प्रश्न के समय सप्तम भाव में पाप ग्रह हों तो बीमारी गंभीर तथा नाजुक है. 

(2) सप्तम भाव में शुभ ग्रह है तो बीमारी साध्य है. बीमारी नियंत्रण में आ जाएगी. 

(3) सप्तम भाव में वक्री ग्रह है तो वर्तमान बीमारी ठीक होकर दूसरी बीमारी हो जाएगी. 

(4)प्रश्न के समय यदि सप्तम भाव में मंगल होगा तब रोगी की शल्य चिकित्सा होगी और मरीज ठीक हो जाएगा. 

(5)यदि सप्तम भाव में बृहस्पति है तब शल्य चिकित्सा नहीं होगी. बिना शल्य चिकित्सा के रोगी ठीक हो जाएगा. 

(6) यदि सप्तम भाव में शनि स्थित है तो शल्य चिकित्सा नहीं होती लेकिन शरीर से कोई एक छोटा अंग निकाला जा सकता है.

(7) राहु/केतु रुकावट का काम करते हैं. सप्तम भाव में राहु या केतु स्थित होगा तो शरीर के जिस भाग में बीमारी है उस भाग के किसी अंग में रुकावट(blockage) हो सकती है. 

(8) सप्तम भाव में शुभ ग्रह होने पर रोगी जल्दी ठीक हो जाता है. 

(9) सप्तम भाव में सूर्य स्थित है तो रेडियोथेरेपी(Radiotherapy) जैसे कार्य से मरीज ठीक हो सकता है. 

* दशम भाव का विश्लेषण Analysis of Tenth House 

(1) प्रश्न कुण्डली में दशम भाव से मरीज का आंकलन किया जाता है. प्रश्न के समय शुभ ग्रह दशम भाव में स्थित है तो मरीज सहयोग करने वाला होगा. 

(2) प्रश्न के समय यदि अशुभ ग्रह दशम भाव में स्थित है तब मरीज, चिकित्सक तथा परिवार के अन्य सदस्यों से सहयोग करने वाला नहीं होगा. मरीज की बद-हजमी तथा परहेज ना करने से रोग बढे़गा. 

* प्रश्न के समय 6,8,12 भाव में पाप ग्रहों की अधिक संख्या सही नहीं है. छठे भाव में पाप ग्रह रोग भी देंगें और रोग से लड़ने की शक्ति भी देगें. 

* 12वें भाव में पाप ग्रह हों तो मरीज को कष्ट अधिक हो सकता है. यदि 8वें तथा 12वें भाव में ग्रह बली है तो मरीज ठीक हो जाएगा. यदि ग्रह निर्बल है तो परेशानी हो सकती है.  

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